Elderly Health Issues : छोटे परिवार होने के कारण परेशानियां बढ़ रही हैं. मां बाप की देखभाल में युवाओं का करियर प्रभावित हो जाता है. गांव और शहर दोनों ही जगहों पर इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं.

‘बाबा अभी रात नहीं हुई है. घर की लाइट चली गई है. इसलिए आप को रात का आभास हो रहा है. अभी तो कनु कोचिंग से भी वापस नहीं आई है.’ दीपिका ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा. जिन को लग रहा था कि रात हो गई है. 80 साल के प्रभाकर अपनी बहू और उस की दो बेटियों के साथ रहते थे. बेटे की मृत्यु के बाद उन की याददाश्त पर प्रभाव पड़ा. उन को भूलने की बीमारी हो गई. ससुर और बेटियों को संभालने के लिए दीपिका को अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़नी पड़ी.

प्रभाकर को भूलने के साथ ही साथ चिंता करने की भी आदत पड़ गई थी. छोटीछोटी बात को ले कर चिंता करते थे और फिर झगड़ने लगते थे.

35 साल की दीपिका अपने ससुर, पति और बच्चों के साथ रहती थी. दीपिका प्राइवेट जॉब करती थी. उस के पति रमेश की जनरल मर्चेंट की दुकान थी. ससुर को पेंशन मिलती थी. ऐसे में उन का परिवार चल रहा था. दीपिका की 2 बेटियां कनु और मनु थी. वह स्कूल में पढ़ती थी. इस बीच उन के पति को नशे की लत लग गई. जिस के बाद उन की दुकान कर्ज में डूबने लगी. घर में झगड़े होने लगे. ऐसे में एक दिन उन्होंने आत्महत्या कर ली.

रमेश की आत्महत्या ने पूरे परिवार को तितर बितर कर दिया. ससुर प्रभाकर बीमार रहने लगे. जिस के कारण दीपिका को अपनी जॉब छोड़नी पड़ी. अब घर केवल ससुर की पेंशन और घर के किराए से चल रहा था. दीपिका की दोनों बेटियां पढ़ रही थी. उन की जिम्मेदारियां बढ़ रही थी. दूसरी तरफ ससुर को भूलने की बीमारी ने परेशानी में डाल रखा था. दीपिका का पूरा करियर खत्म हो गया था. इस तरह की हालत केवल दीपिका की ही नहीं थी. कुछ इसी हालातों से कविता भी गुजर रही है.

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