Delhi Elections : हमेशा से ही दिल्ली विधानसभा चुनाव शिक्षा, विकास और स्थानीय मुद्दों के इर्दगिर्द घूमते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ चुनाव से एक नई प्रवृति देखने को मिली है कि चुनावों में धर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है.
देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा साल 2014 के लोकसभा चुनाव से लगातार चुनावों में धर्म का झंडा ले कर निकल पड़ती है और लोगों को यह बताती है कि उन का धर्म खतरे में है. चुनाव दिल्ली का हो या झारखंड का, भाजपा का झुकाव हमेशा से ही धर्म की ओर रहा है. भाजपा का धर्म पर अपना स्टैंड रखने से उसे कई चुनावों में फायदे भी हुए हैं तो कई चुनावों में भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है.
2024 का लोकसभा चुनाव यह साफ करता है कि धर्म का झंडा ले कर चलने वाली भाजपा के लिए अब राह आसान नहीं है. उन्हें धर्म की राजनीति से ऊपर उठ कर विकास की राजनीति करनी होगी, नहीं तो अगले चुनावों में परिणाम अयोध्या की तरह देखने को मिल सकता है.
बहरहाल, भाजपा इसे बरकरार रखते हुए दिल्ली के चुनाव में कूद गई है और 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे से अपने चुनाव प्रचार में जान फूंकने की पूरी कोशिश कर रही है. भाजपा नेता हर मंदिर और गुरुद्वारे के चक्कर लगा रहे हैं और अपनी बात को लोगों के सामने रख रहे हैं. उन्हें यह लगता है कि उन के असली वोटर तो उन्हें इन्हीं पवित्र स्थानों पर मिलेंगे.
हालांकि इस तरह का चुनाव प्रचार भाजपा ने पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी किया था और राम मंदिर पर कोर्ट के फैसले को ले कर अपने पक्ष में जम कर ढिंढोरा पीटा था. साथ ही ढिंढोरा पीटपीट कर धुआंधार प्रचार भी किया था. वह तो बाद में जनता ने बताया कि उन की चुनाव प्रचार में सिर्फ धुंआ था धार तो रत्ती भर भी नहीं थी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन