YouTube : आजकल यूट्यूब ऐसे चैनलों की भरमार है जिन में भूतों की घटनाओं, चुड़ैल का साया, वशीकरण, भटकती आत्माओं, ब्लैक मैजिक के किस्सेकहानियां सुनने को मिलते हैं. ये किस्से कौरी कल्पनाएं होती हैं जिसे ये लोगों तक पहुंचा रहे हैं.

 

यूट्यूब पर देखें तो कुछ क्रिएटर्स ब्रह्मांड की चीख से ले कर, खून पीने वाले पेड़ों, ड्रेकुला, भूतों, नरभक्षियों, जंगली आत्माओं, पिशाचों, चुड़ैलों की उलजलूल कहानियों पर कंटेंट बना रहे हैं. इन्हें देखने वाले लाखों व्यूअर्स हैं. ये कहानियां ऐसे बताते हैं कि लगता है सही कह रहे हैं. कई लोग इन की कही बातों को सही मान बैठते हैं और उसी तरह चीजों को सोचने लगते हैं. 

 

इन की काबिलियत इसी में है कि डरावनी कहानी सुनाने में ये एक माहौल और भूतिया सेटिंग बना लेते हैं. इस में ये परफैक्ट होते हैं. यही वजह है इन के फौलोवर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है. मगर यहां जो भी कंटेंट दिखाया जा रहा है वह समाज में अंधविश्वास फैलाने का काम कर रहा है जोकि सही नहीं है. 

 

इन्हें देखने वाले अधिकतर टीनएजर्स हैं, जिन पर भूत प्रेत जैसी बातें छोटी उम्र से ही इंपैक्ट करने लगती हैं. क्या यह सही है?  भूतप्रेत जैसे पोंगा के किस्सेकहानियां क्या विज्ञान की दुनिया में युवाओं को पीछे धकेलने का काम नहीं करते?

 

एक समय था जब गांवों में भूत प्रेत के किस्से खूब फैले होते थे. लोग रात में अंधेरे में जाने से डरते थे. आज उसी गांव में स्ट्रीट लाइट लगी तो वहां से भूत और उस के किस्से भी गायब होते दिखाई दिए. असल वजह है अंधेरा जो डराता है. दिल्ली जैसा शहर दिन और रात दोनों समय जगा रहता है, यहां अंधेरा नहीं होता इसलिए भूत जैसी कौरी बकवास यहां नहीं फैलते.   

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