Motivation : सब कुछ समय पर छोड़ कर, हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ सही नहीं होगा. चीजें और ज्यादा खराब ही होंगी. अपनी समस्यों से भागे नहीं बल्कि उन का सामना करते हुए कोशिश करते रहें और सब कुछ खुद से ही ठीक करने की कोशिश करें.
इसे ऐसे समझें
अगर कोई दूसरी कक्षा का छात्र शिकायत करे कि उस से दसवीं कक्षा के सवाल नहीं हल हो रहे, तो उसे आप समझदार कहेंगे या उस की बात पर हंस देंगे? दसवीं कक्षा के सवाल हल करने की कोशिश आठवींनौवीं में आ कर करना, अभी जो सामने है उस को समझें और उचित कदम उठाएं. कुछ लोग हर बात में कह देते हैं कि वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है. अरे भईया, अगर आप की टांग टूटी है और आप डाक्टर के पास नहीं गए, आप ने प्लास्टर नहीं करवाया. तो बेशक आप की टांग ठीक हो जाएगी. लेकिन आप जिंदगी भर लंगड़ाते रहोगे.
क्यूंकि जिस तरीके वो टूटी है न वो वैसे ही वह उलटी सीधी जुड़ जाएगी. लेकिन अगर उसे सही जगह जुड़वाना है तो वह खुद नहीं जुड़ेगी बल्कि डाक्टर की मदद से सही जगह जोड़नी पड़ेगी. वक्त पर छोड़ कर हाथ पर हाथ रख कर बैठने से सिर्फ नुकसान ही होगा, चीजें और उलझ सकती हैं आप को ठीक करना पड़ता है. इसी तरह वक्त के साथ सब ठीक नहीं होता. इसलिए प्रोफेशनल गाइडेंस ले, अपने आसपास के लोगों से मदद लें.
ये मत समझिए कि वो तो वीक लोगों का काम है. अगर आप को अपने को पूरी तरह से ठीक करना है तो ये तो करना ही पड़ेगा. अपनी समस्याओं का हल भी निकालना पड़ेगा और उन्हें ठीक भी करना पड़ेगा. जो ये सोचते हैं ठीक हो जाएगा उन के अपने घर में कमजोरी है. वो अपनी कमजोरी पर ध्यान नहीं दे रहें और सोचते हैं कि सब अपने आप ठीक हो जाएगा.
अगर लड़का पढ़ा नहीं, तो पिता का खुद का मध्यम वर्ग है, मां पढ़ीलिखी तो है पर नौकरी नहीं करती, वो जो 40 -50 हजार की आमदनी है उसी में खुश है. लड़के को पढ़ाने में उन्होंने कोई रूचि नहीं दिखाई, लड़के ने कोई स्किल भी सीखने की कोशिश नहीं की. क्यूंकि उसे लाइफ में कुछ करने, आगे बढ़ने की प्रेरणा कहीं से मिली ही नहीं, वह भी मां की तरह जो जैसा है उसी में खुश है. उसे भी लाइफ में आगे बढ़ कर कुछ नया करने की सोच या इच्छा नहीं है. फिर सब सोचते हैं सब ठीक हो जाएगा. अरे, ठीक कहां से होगा जब सारे इनपुट खराब है.
ये वही परिवार हैं जो चमत्कारों के भरोसे बैठे हैं. और बड़ाबड़ा चढ़ावा पंडितों को देते हैं, वो भी इन की कुंडली देख कर बेतुके हल बताते हैं कि अपने आप सब ठीक हो जाएगा. अभी ग्रह नक्षत्र की दिशा कुछ सही नहीं है, समय सही नहीं चल रहा, कुछ समय बाद अपने आप सब ठीक हो जाएगा.
अपनी जमीनी हकीकत को देखों चीजें अपने आप नहीं ठीक होती हैं.
आप बगैर इट, सीमेंट लाए पक्का मकान नहीं बना सकते. कच्चा मकान घासफूस से बना भी लिया तो इस तरह पहली बारिश में वो ढह जाएगा. इसलिए पहले अपने घर की नींव मजबूत करें. अपने घर की समस्याएं हल करें.
इस के लिए किसी की मदद लें सही करने के लिए हाथपैर मारें और इन पंडितों के जाल से बाहर निकल कर हकीकत की दुनिया में कदम रखें और वक्त के साथ सब सही नहीं होता बल्कि वक्त के साथ कदम से कदम मिला कर चलें और सब सही करने की कोशिश में खुद जुट जाएं. आइए जाने कुछ ऐसे ही सिचुएशन के बारे में जिन का हल खुद नहीं निकलता बल्कि निकालना पड़ता है.
सिचुएशन-1 लड़का कमाता नहीं, तो कोई नहीं शादी करा दो जिम्मेवारी आ जाएगी
कई घरों में देख ने में आता है कि अगर लड़का घर पर बेकार बैठा है, वो कुछ कमाता नहीं है, उसे किसी भी चीज कि कोई जिम्मेवारी नहीं है, तो अक्सर मातापिता को लगता है या रिश्तेदार ऐसा कहते हैं कि कोई नहीं अब इस की शादी करा देते हैं जिम्मेवारी पड़ेगी बीवी आएगी तो कमाना सीख ही लेगा. जब सर पर पड़ती है तो सब आ ही जाता है, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा.
हल क्या है- अपने निकम्मे लड़के की शादी करा देने से वह जिम्मेवार हो जाएगा यह सोच ही अपने आप में गलत है. बल्कि उस के बाद तो आप दोदो लोगों की जिम्मेवारी झेलेंगे. इस से तो अच्छा है अपने घर को ठीक करें, पहले जाने की बेटा पढ़ा क्यूं नहीं? क्या उस की रूचि किसी और चीज में है? उसे कोई प्रोफेशनल हेल्प दिलाएं, उस की समस्याओं का पहले हल निकाले, उसे किसी और स्किल में तैयार करें, किसी के साथ कोई बिजनेस कराएं और अगर वह चल पड़े तब शादी का सोचें.
किसी पंडित के कहने में आ कर कि शादी के बाद बेटा कमाने लगेगा यह बात ठीक नहीं है. शादी के बाद कोई चमत्कार नहीं होने वाला. बल्कि ऐसा कर के आप लड़की की जिंदगी भी खराब कर रहे हैं. जब तक बेटा कमाने लायक ना हो जाएं तब तक उस की शादी करना ठीक नहीं.
सिचुएशन 2-शादी में कुछ ठीक नहीं चल रहा कोई नहीं बच्चा कर लो सब ठीक हो जाएगा
कई बार देखने में आता है कि शादी में अगर पतिपत्नी की आपस में बन नहीं रही हो. दोनों के बीच झगड़े बढ़ते ही जा रहे हो, दोनों को एकदूसरे की शकल तक पसंद नहीं, बात इतनी बढ़ती जा रही है कि घरवालों तक पहुंच गए. बस फिर क्या था उन्होंने निकाल लिया एक हल कि बच्चा कर लो सब ठीक हो जाएगा. अब यहां यह बात समझ नहीं आई कि लड़ाई पतिपत्नी की है उस में बच्चे का क्या रोल.
उलटे बच्चे के आने से दोनों का रिश्ता और ज्यादा खराब हो जाएगा, बच्चे की जिम्मेवारी को ले कर झगड़े और बढ़ेंगे. तब तो हालत यह हो जाएगी कि न छोड़ते बनेगा और न ही साथ रहते. इसलिए सब ठीक करने का यह तरीका बहुत गलत है. कई बार पतिपत्नी बच्चे के चलते अपनी टोक्सिक शादी को निभाने के लिए मजबूर हो जाते हैं और फिर आधी जिंदगी लड़तेमरते बीत जाने पर बच्चों के बड़ा होने पर अलग होने का कोई फैसला करते है इस में ताउम्र बच्चे भी पिसते है.
हल क्या है- पतिपत्नी में अनबन है तो समय के साथ बच्चा होने पर कुछ भी ठीक नहीं होगा बल्कि अब 2 नहीं 3 लोग इस शादी में पीसेंगे इसलिए अगर नहीं बन रही है तो साथ बैठ कर बातचीत के जरिए अपने मसलों को सुलझाएं.
अगर फिर भी बात नहीं बन रही और लग रहा है गलत साथी का चुनाव हो गया है तो बच्चा लाने की तो सोचिए भी मत बल्कि इस टोक्सिक शादी से बाहर कैसे निकला जाए इस पर विचार करें ऐसे शादी में बच्चा समस्या का हल नहीं बल्कि खुद एक बड़ी समस्या बन कर पतिपत्नी के सामने आ जाता है.
सिचुएशन 3- पढ़ाई में मन नहीं है तो भी कौमर्स दिला दो, एडमिशन हो जाएगा तो पास भी हो ही जाएगा
अगर टीनएजर का मन नहीं है पढ़ाई में और उस ने स्कूल भी बहुत रो रो कर पास किया है, तो फिर ऐसे में यह सोचना कि कोई नहीं कालेज में एडमिशन तो लेना ही पड़ेगा, जब एडमिशन हो जाएगा तो पढ़ भी लेगा ही. ये सोच गलत है. ऐसे में वह और भी फ़्रस्टेटिड हो जाएगा. उसे पता ही नहीं चलेगा कि उसे लाइफ में करना क्या है. पढ़ाई वह कर नहीं पा रहा बिजनेस की उसे समझ नहीं. इसलिए कुछ सालों बाद न उसे जौब मिलेगी न ही कोई और स्किल उस के पास होंगे.
हल क्या है- अगर टीनएजर की पढ़ने में रूचि कम है तो उस के साथ बैठे उस की समस्याओं को समझें कि आखिर क्या वजह है जो वह पढ़ नहीं पा रहा. उसे कोई गाइडेंस चाहिए तो वो दें. उस का इंट्रेस्ट पढ़ाई में नहीं है और वो डांस, सिंगिंग या किसी और लाइन में कुछ करना चाहता है तो उसे वह कराएं. कई बार टीनएजर अपने मन के काम के ज्यादा सफल हो सकते हैं. पढ़ाई तो प्राइवेट भी पूरी कराई जा सकती है.
सिचुएशन 4- सासबहू की नहीं बन रही हो भी साथ में रहो समय लगेगा सब ठीक हो जाएगा
अगर सासबहू की नहीं बन रही, उन की पटरी साथ में नहीं जम रही, दोनों एकदूसरे को टार्चर करने और नीचे देख ने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहीं तो भी साथ में रहों क्यूंकि सब ठीक जो करना है. भले ही इस ठीक करने के चक्कर में सासबहू के साथसाथ और भी रिश्ते दांव पर क्यूं न लग जाए, पतिपत्नी का रिश्ता तलाक तक क्यूं न पहुंच जाएं? पर साथ में रहना जरुरी है. क्या ये सही है?
हल क्या है – अगर सासबहू की नहीं बन रही, तो ये किस किताब में लिखा है कि दोनों को पूरा जीवन लड़तेमरते एक ही घर में रहना जरुरी है? क्यूं बहू अलग घर में नहीं रह सकती? जब कि अगर नहीं बन रही और अलगअलग रहना शुरू कर दें तो एक संभावना है कि रिश्ते आगे जा कर इतने तो रही जाएंगे कि दोनों कभीकभार खुशी या गम के मौके पर एक साथ खड़े हो जाएं लेकिन अगर साथ रहें तो कुछ सालों बाद एकदूसरे की शकल भी बर्दाश नहीं करेंगे. इसलिए ये सब अपने आप ठीक नहीं होगा बल्कि दोनों को उन की जिंदगी अपनेअपने ढंग से जीने दें तभी दोनों एकदूसरे की थोड़े इज्जत कर पाएंगी.
सिचुएशन 5- जौब में सही नहीं चल रहा, तो भी उसी में टिके रहो कुछ समय में सब ठीक हो जाएगा
अभी हाल ही में पुणे की कंपनी की एक सीए लड़की की मौत की खबरें खूब पढ़ने में आई जो अपने ज्यादा काम के बोझ की वजह से परेशां थी और इसलिए उसे अटैक आ गया क्यूंकि उस ने भी सोचा होगा सब ठीक हो जाएगा. लेकिन जब जौब का वर्कप्रेशर वो नहीं झेल पा रही थी, तो जौब छोड़ने का फैसला उस ने क्यूं नहीं लिया? परेशां होते रहना लेकिन फिर भी अपनी समस्या का हल न निकालना और उसे वक्त पर छोड़ देना कहां की समझदारी है.
हल क्या है –अगर आप की कंपनी में आप के साथ कोई पोलटिक्स हो रही है, वर्कप्रेशर ज्यादा है, वहां काम करना अच्छा नहीं लग रहा, तो ये चीजें अपने आप ठीक नहीं होंगी. आप को ठीक करनी पड़ेगी. जो चीज पसंद नहीं या जिस के साथ एडजस्ट नहीं कर पा रहें उसे बताना पड़ेगा. अपने लिए खुद ही माहौल सही करना पड़ेगा, ज्यादा काम के लिए न बोलना पड़ेगा. लेकिन ऐसा कुछ करने के बजाए आप सोचें की कुछ समय में ये सब खुद ही ठीक हो जाएगा तो ये खुद कभी ठीक नहीं होगा. ठीक करने के लिए आप को मेहनत करनी होगी. आवाज उठानी होगी, और फिर भी अगर सही नहीं होता तो खुद ही ये जौब छोड़ कर दूसरी लेनी होगी.
जब समय ठीक न चल रहा हो, तो ये काम करने से मदद मिल सकती है:
• सकारात्मक सोच रखें- क्यूंकि आप की सोच ही है जो आप को मुश्किल समय से निकाल सकती है.
• परिवार का सहारा लें- परिवार की एकता में बहुत शक्ति होती है अपनों के साथ के भरोसे बड़ी से बड़ी कठिनाई को पार किया जा सकता है.
• खुद को खुश रखें- जब आप हर हाल में खुश होंगे तभी तो आगे बढ़ने के बारे में रिलैक्स माइंड से कुछ सोच पाएंगे.
• बारबार कोशिश करते रहें- अगर किसी काम में सफलता नहीं मिल रही तो भी कोशिश करते रहें. हिम्मत न हारे. एक दिन सफलता जरूर मिलेगी.
• अपनी असफलता के कारणों का विश्लेषण करें- यह करना बहुत जरुरी है ताकि पता चल सके कि आप का मनचाहा आखिर हो क्यूं नहीं रहा. उन कारणों को ढूंढें और उन्हें खुद ही दूर करने का प्रयास करें.
• अपनी कार्यशैली में बदलाव करें- हो सकता है जो काम आप कर रहे थे वह सही न हो. जिस तरह से कर रहे थे वह तरीका ही गलत हो. इसलिए पहले अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएं.
• किसी भरोसेमंद व्यक्ति से सलाह लें- अगर खुद कुछ समझ नहीं आ रहा तो किसी की मदद लें और अपनी समस्याओं को समझाने की कोशिश करें नाकि उन से भागें.
• फिजिकल एक्टिविटीज करें- जी हां, डेली एक्सरसाइज, योग करने से मन शांत होता है और नएनए आईडिया आते हैं जिस से काम में मदद मिलती है.
• काउंसलर से मिलें- काउंसलर से मिलने को कोई हौवा न बनाए वो आप की मदद के लिए ही हैं. उन से बात कर के बहुत सी ऐसी बातें आप के बारें में जान लेंगे जिन के बारे में आप को खुद भी पता नहीं होगा. फिर समस्या का हल भी बताएंगे.
• अच्छे समय खुद नहीं आता – जीवन में हमें कभी किसी भी खास समय का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने हर समय को खास बनाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. धैर्य बनाए रखें बारबार कोशिश करते रहें और हार न मानें. जब जीवन में कुछ भी सही नहीं होता है, तो हमें अपने मन को बदलने के लिए क्या करना चाहिए?
जब जीवन में कुछ भी सही नहीं हो रहा है, तो आप सब से पहले अपने मन को शांत करने की कोशिश करें, आप भी जानते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता है. इसलिए सब्र रखिए मित्र ये समय भी निकल जाएगा, इस दौरान अपने परिवार, मित्रों के साथ समय बिताएं, उस से बात करें.
• मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें- ध्यान, योग, या अन्य विश्राम तकनीकों का इस्तेमाल करें.
• थोड़ी देर के लिए आराम करें- इस से ताजगी महसूस होती है और बेहतर फैसले लिए जा सकते हैं.
• पौजिटिव गाने सुनें: इस से शरीर में एंडोफिन हार्मोन रिलीज होता है और बेहतर महसूस होता है.
• विश्वास बनाए रखें: यह याद रखें कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता. जीवन में उतारचढ़ाव आते रहते हैं.
इसलिए ऐसा हो सकता है कि रौशनी कम है और आप को मंजिल तक का पूरा रास्ता साफ नहीं दिख रहा, पर फिर भी दो कदम चलने लायक रौशनी है, तो आप का दायित्व है कि आप दो कदम चलें, आप जैसे ही थोड़ा आगे पहुंचेंगे आप को फिर कुछ कदम लेने लायक रौशनी मिल जाएगी, बस यह मांग मत रखिए कि आप को आखिरी कदम तक सब एक बार में क्यों नहीं दिख रहा.