ब्रिटेन की जनता ने ऋषि सुनक को नकार कर किएर स्टार्मर को देश का नया प्रधानमंत्री चुन लिया है. चुनावों में मिली करारी हार के बाद सत्ता से बाहर हुए ऋषि सुनक ने ब्रिटेन की जनता से माफी मांगते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. भारत में भारतीय जनता पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले बड़े जोरशोर से लगाया जा रहा ‘400 पार’ का नारा यहां भाजपा के लिए तो कामयाब नहीं हुआ, मगर ब्रिटेन की जनता ने इस नारे को मुख्य विपक्षी पार्टी के पक्ष में जरूर सच साबित कर दिया.
किएर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी को 650 में से 412 सीटों पर जीत हासिल हुई. लेबर पार्टी को अपने इतिहास की बड़ी जीत इस बार मिली है. इस प्रचंड बहुमत के साथ वह ब्रिटेन में एक मजबूत और निर्णायक सरकार बनाएगी. जबकि ऋषि सुनक की अगुआई वाली कंजर्वेटिव पार्टी को महज 121 सीटें ही मिलीं. यानी, 244 सीटों का नुकसान सुनक को उठाना पड़ा है. 1997 के बाद पहली बार अपने इतिहास में कंजर्वेटिव पार्टी को इतना बड़ा नुकसान हुआ है. इस से जाहिर होता है कि ब्रिटेन की जनता ऋषि सुनक से कितनी नाराज थी.
2020 में ब्रेक्सिट आया, जब यूनाइटेड किंगडम ने यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का निर्णय लिया. इस का बहुत आर्थिक नुकसान देश को उठाना पड़ा. ब्रेक्सिट के परिणामस्वरूप 2023 तक औसत ब्रिटिश नागरिक की आर्थिक स्थिति लगभग 2,000 पाउंड खराब हो गई और करीब 2 मिलियन नौकरियां कम हो गईं. एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रेक्सिट के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था लगभग 140 बिलियन पाउंड छोटी हो गई है. ब्रिटेन अपनी जर्जर आर्थिक स्थिति से कराह रहा था कि तभी कोविड महामारी ने देश में जानमाल का भारी नुकसान किया. कोविड महामारी के बाद से देश बढ़ती महंगाई और जन समस्याओं से त्राहित्राहि कर उठा.
2022 में जब ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने तो इन समस्याओं से देश को बाहर निकालने का कोई ठोस प्रयास शुरू करने के बजाय वे हिंदू धर्म का प्रचारप्रसार करते और हिंदुत्व का सिंबल बनते ज्यादा नजर आए. वे देश की गिरती अर्थयवस्था को पटरी पर वापस लाने के लिए कुछ भी खास नहीं कर पाए, जिस के चलते ब्रिटेन में कौस्ट औफ लिविंग बढ़ती चली गई जबकि दूसरी ओर सुनक और उन के परिवार की संपत्ति में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई.
मिलतीजुलती समानताएं
ऋषि सुनक और उन की पत्नी अक्षता मूर्ति ब्रिटेन के किंग चार्ल्स थर्ड से भी ज्यादा अमीर हो गए. आज उन के पास 6,915 करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि ब्रिटेन के राजा के पास 6,513 करोड़ रुपए की ही संपत्ति है. ऋषि सुनक की ब्रिटेन में एक ऐसे अमीर हिंदू की छवि बन गई जिस के साथ आम आदमी खुद को कनैक्ट नहीं कर पा रहा था. उन की तमाम बातें, जो भारत में मोदी सरकार के क्रियाकलापों से मिलतीजुलती हैं, उन के खिलाफ ब्रिटेन की जनता में आक्रोश का बड़ा कारण बन गईं.
भारत में एनडीए-2 के कार्यकाल के दौरान ऋषि सुनक यहां काफी चर्चित रहे. जी-20 के आयोजन में उन्होंने पत्नी अक्षता के साथ शिरकत की और प्रधानमंत्री मोदी से उन की गहरी निकटता दिखी. ऋषि सुनक खुद को सनातनी हिंदू बताते हुए गर्व महसूस करते हैं. हिंदू त्योहारों, परंपराओं, रीतिरिवाजों का पालन और मंदिर दर्शन को ले कर वे चर्चा में रहते हैं. और ये सभी बातें भारतीय दक्षिणपंथी विचारधारा से मेल खाती हैं. जब वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे तब मोदी सरकार ने उन की खूब प्रशंसा की थी. यह प्रशंसा इसलिए थी क्योंकि ऋषि सुनक ने खुद को प्राउड हिंदू कहा था.
ऋषि सुनक का एक भारतीय कनैक्शन यह भी है कि वे इंफोसिस कंपनी के संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति के पति हैं. ऋषि ने अक्षता मूर्ति से 2009 में बेंगलुरु में शादी की थी. उन की सास सुधा मूर्ति वर्तमान राज्यसभा की सदस्य हैं, उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था. सुधा मूर्ति ने 14 मार्च को अपने पति एन आर नारायण मूर्ति की उपस्थिति में राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ली थी. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात की जानकारी अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर के दी.
चुनावी हार की वजह धर्म
ऋषि सुनक की चुनावी हार की समीक्षा करते समय उन के परिवार और उन की पत्नी एवं ससुराल पक्ष के बारे में बात करना आवश्यक है. भारत से उन के संबंध और हिंदू धर्म में उन की गहरी आस्था की चर्चा भी जरूरी है. वे पहले ब्रिटिश एशियाई और पहले हिंदू हैं जो ब्रिटेन में लोकतांत्रिक सत्ता के शिखर तक पहुंचे. साल 2022 में ऋषि सुनक जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे तब भारत में भी काफी चर्चा में रहे. वे जब भारत आए थे तब दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर भी गए थे और मंदिर प्रांगण में पत्नी अक्षता के साथ सिर पर रूमाल बांधे नंगेपैर वाली उन की फोटो सोशल मीडिया व तमाम गोदी चैनलों पर काफी वायरल हुई थी. अक्षरधाम में उन्होंने पत्नी अक्षता के साथ बाकायदा पूजाअर्चना की. इस दौरान उन्होंने सारे देवताओं की मूर्तियों के सामने फूल रखे और घुटनों के बल बैठ कर माथा टेका. वहां के भगवा वस्त्रधारी साधुसंतों के साथ उन के अनेक फोटो वायरल हुए. ये तसवीरें सुनक के सनातनी विचारों को सामने लाईं, जिन का ज्यादा श्रेय उन की पत्नी अक्षता को जाता है.
यह पहली बार नहीं है जब वे हिंदू अवतार में नजर आए. इस से पहले भी वे अकसर मंदिरों में दर्शन, गोपूजा और कलाई पर कलावा बंधवाते हुए नजर आते रहे हैं. सुनक हमेशा अपनी टेबल पर श्रीगणेश भगवान की एक मूर्ति रखते हैं. सुनक को मंदिरों में भोजन खिलाते भी देखा जाता रहा है. इस सब के पीछे उन की पत्नी अक्षता का बड़ा हाथ है जो सनातनी विचारों और तौरतरीकों में पलीबढ़ी हैं. खुद उन की मां सुधा मूर्ति का कथन है, ‘सुनक आज जो कुछ भी हैं मेरी बेटी की वजह से हैं.’
ऋषि सुनक का अतीत
ऋषि सुनक का जन्म वर्ष 1980 में उषा सुनक और यशवीर सुनक के घर साउथैम्पटन में हुआ था. उन के मातापिता पूर्वी अफ़्रीका के ब्रिटिश उपनिवेशों से ब्रिटेन पहुंचे थे. उन के पिता यशवीर का जन्म ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहे प्रोटेक्टरेट औफ कीनिया में हुआ था. सुनक के दादाजी का जन्म ब्रिटिश शासन वाले पंजाब में हुआ था. वहां से 1930 के दशक में वे पूर्वी अफ्रीका चले गए और वहीं बस गए. लेकिन जैसेजैसे अफ्रीकी देश ब्रिटिश शासन से आजाद होने लगे, भारतीय समुदाय के लोग ब्रिटेन पहुंचने लगे.
सुनक के दादाजी तंगनयिका में टैक्स अधिकारी थे और ब्रिटेन आने के बाद उन्हें राजस्व विभाग में नौकरी मिल गई थी. सुनक के मातापिता मैडिकल के पेशे में थे. पिता नैशनल हैल्थ सर्विस में फैमिली डाक्टर थे और मां फार्मेसी चलाने लगी थीं. वे धार्मिक लोग थे मगर धर्म उन की निजी आस्था का मामला था, वे उस के प्रदर्शन में विश्वास नहीं करते थे, जबकि, ऋषि सुनक और अक्षता ने अपने धर्म के प्रदर्शन का कोई मौका नहीं छोड़ा.
धर्म की राजनीति
पिछले साल अगस्त में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर ऋषि सुनक का एक बयान भी काफी सुर्ख़ियों में रहा. कथावाचक मोरारी बापू ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में कथा सुना रहे थे. उस कार्यक्रम में ऋषि सुनक भी शरीक हुए थे. ऋषि सुनक ने मोरारी बापू की आरती की और मंच से अपनी बातें साझा कीं.
सुनक ने अपनी बात जय सिया राम नारे से शुरू करते हुए कहा, “भारत के स्वतंत्रता दिवस पर मोरारी बापू की कथा में आ कर अच्छा लग रहा है. मैं यहां प्रधानमंत्री की तरह नहीं, हिंदू की तरह आया हूं. मेरे लिए आस्था बेहद निजी है. ज़िंदगी के हर पहलू में यह मुझे दिशा दिखाती है. प्रधानमंत्री होना सम्मान की बात है, लेकिन यह इतना आसान काम नहीं है. कड़े फैसले लेने होते हैं. मुश्किल हालात का सामना करना होता है. ऐसे में हमारी आस्था हमें साहस और ताकत देती है ताकि देश के लिए अच्छे फैसले लिए जा सकें. जैसे, बापू के पीछे हनुमान हैं. मुझे गर्व है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की मेरी मेज पर भी गणेशजी हैं.”
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर दीवाली पर दीया जलाना मेरे लिए बहुत कमाल का पल था. हिंदू धर्म को ले कर ऋषि सुनक पहले भी बोलते रहे हैं. साल 2020 में जब ऋषि ने वित्त मंत्री पद की शपथ ली थी तब उन्होंने गीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी. ऐसे वीडियोज भी हैं जिन में ऋषि सुनक गाय की पूजा करते देखे जा सकते हैं. निश्चित ही ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री थे, मगर वे इन दिनों अपने धर्म को ले कर जिस तरह सीमा लांघ रहे थे, वह शायद ब्रिटेन के लोगों को पसंद नहीं आया.
ब्रिटेन में विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता की परंपरा है. ब्रिटिश लोग अपने सामाजिक शिष्टाचार पर गर्व करते हैं. चाय के समय से ले कर स्थानीय पब में मछली और चिप्स खाने जैसी सामान्य बात तक, विनम्रता, शिष्टाचार और सामान्य शिष्टाचार उन की संस्कृति की पहचान है. उदाहरण के लिए, लाइन में खड़े होना, जिसे ब्रिटिश लोग ‘क्यू’ कहते हैं, बहुत गंभीरता से लिया जाता है.
ईसाई धर्म यहां सब से बड़ा धर्म है, हालांकि 2021 की जनगणना के अनुसार, मान्यताओं की विविधता बढ़ रही है, जिस में अधार्मिक लोगों की संख्या प्रत्येक धर्म से अधिक है. 2021 की जनगणना के मुताबिक, इंगलैंड और वेल्स में 46.2 फीसदी आबादी ईसाई हैं, जबकि 38 फीसदी लोग ऐसे हैं जो किसी भी धर्म में विश्वास नहीं करते हैं. बाकी आबादी में से 6.5 फीसदी मुसलिम, 1.7 फीसदी हिंदू, 0.9 फीसदी सिख, 0.5 फीसदी यहूदी और 0.5 फीसदी बौद्ध हैं.
ब्रिटेन के लोग उतने भी धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं जितना दुनिया उन्हें बताती है या मानती है. यहां ईसाई धर्म का प्रभुत्व हमेशा रहा है. ऐसे में ऋषि सुनक का खुद को प्राउड हिंदू कह कर सनातनी कर्मकांडों का जरूरत से ज्यादा प्रदर्शन करना और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद पत्नी अक्षता के साथ विभिन्न हिंदू धार्मिक स्थलों पर जा कर पूजाअर्चना करने की तसवीरों का वायरल होना ब्रिटेन में उन के राजनीतिक लक्ष्य के खिलाफ चला गया.
कोकोनट भारतीय
एक बात और बताते चलें. इंगलैंड या यूनाइटेड किंगडम में जो भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं वे खुद को कोकोनट कहते हैं. जैसे नारियल ऊपर से भूरा और अंदर से सफेद होता है, तो यह लोग मानते हैं कि उन की त्वचा भले सांवली हो मगर उन का दिल गोरे लोगों की तरह गोरा हो चुका है. मतलब, वो भले भारतीय मूल के हों मगर उन की प्रतिबद्धता ब्रिटेन के प्रति है. जबकि वहां के गोरे इस बात को दिल से नहीं मानते हैं, वे भारतीय मूल के लोगों पर नस्लवादी, रंगभेदी टिप्पणियां करते रहते हैं.
इस के अलावा ब्रिटेन में ईसाईयों और मुसलमानों की संख्या हिंदुओं से ज्यादा है. ऐसे में एक तो भारतीय मूल का होना और दूसरा हिंदू होना और उस चीज का राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों से बारबार बखान करना ऋषि सुनक के लिए चुनाव में माइनस पौइंट बन गया. फिर उन्होंने ब्रिटेन की जनता के हित में कोई खास काम नहीं किया, देश को आर्थिक संकट से उबारने में उन का योगदान कुछ खास नहीं रहा. लिहाजा, ब्रिटेन की जनता ने उन्हें नकार दिया और एक गोरे के हाथ में देश की सत्ता सौंप दी.
चुनावी नतीजों के बाद ऋषि सुनक ने समर्थकों और देश की जनता से माफी मांगी है और कहा है कि इस नतीजे से सीख लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “आज रात की इस मुश्किल घड़ी में मैं रिचमंड और नौर्थहेलर्टन संसदीय क्षेत्र के लोगों के प्रति शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने हमें नियमित रूप से समर्थन दिया. मैं 10 साल पहले जब यहां आ कर बसा था, तभी से आप लोगों ने मुझे और मेरे परिवार को बेशुमार प्यार दिया और हमें यहीं का होने का एहसास कराया. मैं आगे भी आप के सांसद के रूप में सेवा करने को ले कर उत्साहित हूं. ब्रिटिश जनता ने अपना स्पष्ट फ़ैसला सुना दिया है. काफीकुछ सीखने और देखने के लिए है और मैं इस हार की पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं.”