हमारे महल्ले में एक अंकल रहते हैं. वैसे तो हर महल्ले में कई प्रकार के अंकल पाए जाते हैं, पर हमारे महल्ले के यह अंकल बाकी अंकलों से काफी अलग हैं.
दरअसल, वे महल्ले में सामान्यतः पाए जाने वाले अंकलों की तुलना में कुछ ज्यादा ही ब्रौड माइंडेड हैं. वे इतने ज्यादा खुले विचारों के हैं कि ट्रूकौलर पर उन का फोन नंबर भी ‘ब्रौड माइंडेड अंकल’ के नाम से दिखता है. वे मानते हैं कि इस नई पीढ़ी के साथ मातापिता को दोस्तों की तरह पेश आना चाहिए.
अंकल का अपने बच्चों के साथ भी काफी दोस्ताना व्यवहार है. वे लड़के और लड़की में जरा भी फर्क नहीं करते हैं. अपने बेटों और बेटी दोनों की बराबर नियम से कुटाई करते हैं. मजाल है, जो कोई बच्चा कह दे कि दूसरा बच्चा उस से कम क्यों पिट रहा है.
बच्चों का मोबाइल फोन चुपचाप चैक करने और उन के सोशल मीडिया अकाउंट की जासूसी करने में भी वे लड़केलड़की में कोई भेदभाव नहीं करते. अंकल प्रत्येक क्षेत्र में लैंगिक समानता के सिद्धांत में विश्वास करते हैं.
आज के समय में जब बापबेटे साथ में बैठ कर एक टेबल पर खाना नहीं खाते, हमारे ब्रौड माइंडेड अंकल अपने दोनो बेटों के साथ बैठ कर शराब पीते हैं. बड़ा बेटा पैग बनाता जाता है और अंकल पीते जाते हैं. छोटा बेटा चखना तैयार करता है. अंकल ने सभी को काम बांट कर रखा है, जिस से किसी प्रकार का विवाद न हो.
अंकल का मानना है कि यदि पिता अपने बच्चों के साथ बैठ कर शराब न पिए, तो बच्चे अपने आवारा दोस्तों के पास जा कर बिगड़ सकते हैं. अंकल की दूरदृष्टि के चलते उन के दोनों बेटे पैग बनाने और चखना लगाने में उस्ताद हो गए हैं.
एक बार छोटे बेटे ने नजर चुरा कर थोड़ी बीयर पी ली, तो अंकल ने उसे बहुत प्यार से समझाया, जिस के बाद बच्चे के मुंह पर चार टांके लगे. लेकिन इस घटना के बाद अंकल और उन के बच्चों की दोस्ती और अधिक परिपक्व हो गई.
अपने बच्चों की पढ़ाई और कैरियर को ले कर भी अंकल के विचार काफी सुलझे हुए हैं. वे बच्चों पर अपनी पसंद कभी नहीं थोपते. वे बस बच्चों को अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर सुझाव देते हैं और थोड़ा डराधमका कर अंतिम निर्णय बच्चों पर छोड़ देते हैं. इसीलिए उन्होंने अपने बेटे को इंजीनियरिंग करने का सुझाव दिया, पर जबरदस्ती नहीं की.
जब उन के नालायक बेटे ने कहा कि उसे इंजीनियरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं है, तब अंकल को बुरा तो बहुत लगा, पर उन्होंने इस स्थिति को बेहद सौहार्द्रपूर्ण तरीके से संभाला. कोई अन्य अभिभावक होते तो बेटे को मारते, डांटते, पर हमारे ब्रौड माइंडेड अंकल ने प्यार से बेटे से बस इतना कहा कि यदि उसे कोई और कैरियर चुनना है, तो उसे यह घर छोड़ कर जाना पड़ेगा और अपनी पढ़ाई का खर्चा भी खुद ही उठाना पड़ेगा. इस के साथ ही अंकल की जायदाद में तो वह हिस्सा भूल ही जाए.
बस, अंकल के इन प्रेरक शब्दों ने ऐसा जादू किया कि लड़का इंजीनियरिंग करने के लिए तैयार हो गया. आज पड़ोस के अंकल परेशान हैं कि आखिर अंकल के बच्चे उन के काबू में कैसे हैं?
अब जब यह तय हो गया कि अंकल का बेटा इंजीनियर बनेगा तो बात फिर कालेज पर आई. अब अंकल ने अपने व्यक्तिगत जीवन में कभी छोटे लक्ष्य नहीं रखे तो भला बेटे के लिए कैसे कोई समझौता करते.
अंकल ने बेटे को साफ कर दिया कि वे आईआईटी से नीचे के किसी कालेज से खुश नहीं होने वाले. वैसे, अंकल काफी सुलझे हुए हैं और बच्चों के कैरियर के मामले में काफी उदार हैं, पर उन्हें उन चार लोगों से काफी डर लगता है, जिन की नजर चौबीस घंटे अंकल की फैमिली पर रहती है.
अंकल को अकसर अपने बच्चों से कहते हुए सुना गया है कि ‘ऐसा मत करो, चार लोग देखेंगे तो क्या बोलेंगे.‘
पता नहीं, वे कौन से चार लोग हैं, जिन्हें आज तक किसी ने भी नहीं देखा, पर वे अंकल के परिवार में इतना इंटरैस्ट लेते हैं और अंकल भी उन्हें बहुत मानते हैं. अंकल के बच्चों का तो पूरा बचपन ही उन चार लोगों को खुश करने में बीता है.
खैर, अंकल ने बेटे को आईआईटी में दाखिल करवाने के लिए अपनी जान लगा दी. बेटे को कईकई दिनों तक कमरे में बंद कर के रखा, ताकि वह चुपचाप, बिना व्यवधान के पढ़ाई कर पाए. उसे डायपर का डब्बा भी ला कर दिया, ताकि वह अनुपयोगी कार्यों में अपना समय न खराब करे. यहां तक कि सुबहशाम 2-2 घंटे खुद अंकल ने उसे मोटिवेशनल लैक्चर दिया. पर, सब बेकार. बेटे का आईआईटी में दाखिला नहीं हुआ. होता भी कैसे, नीयत ही नहीं थी उस की इंजीनियरिंग करने की. बेचारे अंकल भी क्या करते. अंकल जितने ब्रौड माइंडेड हैं, बच्चे उन के उतने ही नालायक निकले.
खैर, अंकल काफी सुलझे विचार वाले थे. एक आईआईटी की परीक्षा भला अंकल के बुलंद इरादों को कैसे रोक सकती थी. बेटे को इंजीनियरिंग करवाने की उन की प्रबल इच्छा के चलते रास्ते खुद ब खुद बनते चले गए और जल्दी ही बेटे का एडमिशन पोपटमल कालेज औफ इंजीनियरिंग में हो गया. बेटा आखिर तक मना करता रहा कि मुझे इंजीनियरिंग में कोई रुचि नहीं है, पर अंकल खुद हाथ पकड़ कर उस को कालेज छोड़ आए. आखिरकार उन के लड़के को समझ आया कि होस्टल जा कर ही पापा के मोटिवेशनल लैक्चर से छुटकारा मिल सकता है. वह चुपचाप कालेज के होस्टल में शिफ्ट हो गया, जहां पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के अलावा वह सबकुछ सीख गया.
जितने खुले विचार अंकल के बच्चों की पढ़ाई को ले कर थे, उस से कहीं ज्यादा खुले विचार उन के बच्चों की शादीब्याह को ले कर थे.
अंकल ने अपने बच्चों को लव मैरिज करने की पूरी छूट दे रखी थी. उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि तुम को जिस से शादी करनी हो, कर लेना. बस, वह अपनी कास्ट का होना चाहिए.
आजकल के जमाने में भला कौन अपने बच्चों को इस तरह खुलेआम प्रेमविवाह की अनुमति देता है. अंकल को लव मैरिज से कोई समस्या नहीं थी. रोमांटिक हिंदी फिल्में देखना उन्हें काफी पसंद था. अंकल ने तो अपनी ओर से कुछ बायोडाटा तक ला कर अपने बच्चों के सामने रख दिए कि इन में से जिस किसी को चाहो जा कर लव मैरिज कर लो. इस तरह अंकल बच्चों को पार्टनर ढूंढ़ने की मेहनत से ही बचाना चाहते थे.
पर, जैसा कि हम जानते ही हैं, अंकल के बच्चे ठहरे पूरे नालायक. अंकल द्वारा इतना सब करने के बाद भी जब उन की बेटी ने अपनी कास्ट के बाहर के एक लड़के रमेश से शादी करने की इच्छा जाहिर की, तो अंकल ने बेटी पर जरा भी गुस्सा नहीं किया. बस, उस का मोबाइल फोन ले कर उसे एक कमरे में बंद कर दिया. उन की लड़की ने बहुत बहस की कि पापा, मैं रमेश से प्यार करती हूं, सुरेश के साथ खुश नहीं रहूंगी.
अंकल ने हंसते हुए समझाया कि शादी कर के भला आज तक कौन खुश हुआ है, इसलिए जब दुखी ही होना है तो क्यों न अपनी ही जाति के लड़के के साथ रह कर दुखी हुआ जाए.
ऐसा बिलकुल नहीं था कि अंकल को अंतर्जातीय विवाह से कोई समस्या हो. अंकल तो जातिधर्म में बिलकुल यकीन नहीं करते थे. पर यह कमबख्त समाज, यह तो जातिधर्म सभी को मानता है और अंकल को रहना भी इसी समाज में ही है. अब अंकल समाज को तो नहीं बदल सकते इसलिए उन्होंने ‘चेंज योरसैल्फ बिफोर चेंजिंग द वर्ल्ड’ के सिद्धांत पर चलते हुए खुद को ही बदलने की ठान ली. समाज की खातिर न सिर्फ उन्होंने खुद को बदला, बल्कि बच्चों के कैरियर और प्यार भी कुरबान कर दिए. अपनी लड़की की शादी जबरन अपनी जाति के लड़के सुरेश से करवाने के बाद उन का कद समाज में और बढ़ गया.
तो इस तरह से अंकल ने प्यारमुहब्बत से अपने दोनों बच्चों को सैटल कर ही दिया. लड़के ने सफलतापूर्वक पोपटमल कालेज से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और अपना स्टार्टअप खोलने के लिए थाईलैंड चला गया. जातेजाते वह अंकल जी का वह एटीएम कार्ड भी ले गया, जिस के पीछे ही अंकल ने उस का पिन लिख रखा था. बाद में जब अंकल के पास अकाउंट खाली होने के मैसेज आए, तो उन्होंने एक पिता के तौर पर यह सोच कर बेटे को माफ कर दिया कि सब उसी का ही तो था. लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर वे बेटे को माफ नहीं कर पाए और पुलिस स्टेशन जा कर एफआईआर दर्ज करवा ही दी.
आखिरी समाचार मिलने तक उन के बेटे ने थाईलैंड में अपना धंधा जमा लिया था, वहीं दूसरी तरफ लड़की भी सुरेश से शादी कर के सैटल हो गई थी.
अंकल अब भी कालोनी के बच्चों को प्रेरित करने के लिए मोटिवेशनल लैक्चर देते रहते हैं और आज भी सब उन्हें ब्रौड माइंडेड अंकल के नाम से ही जानते हैं.