निर्माताः टीवीएफ
निर्देशकः वैभव वंधू
लेखक:प्रशांत कुमार और शुभम शर्मा
कलाकारःनवीन कस्तुरिया , अरुणाभ कुमार , अभय महाजन , अभिषेक बनर्जी , ऋद्धि डोगरा , सिकंदर खेर और
आशीष विद्यार्थी आदि
अवधिः पांच एपीसोड, पांच घंटे,हर एपीसोड लगभग एक घंटा
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

डिजिटिलाइजेशन के दौर में हर क्षेत्र में नौकरियों का अकाल पड़ गया है.डिजिटल के जमाने में अब चार
व्यक्तियों का काम एक इंसान करने लगा है.ऐसे वक्त में युवा पीढ़ी आत्म निर्भर बनने के लिए अपना ‘स्टार्ट अप’ बिजनेसशुरू कर रही है.स्टार्ट अप क्या है? आसान भाषा में यह एक ऐसा व्यापार है,जिसका उद्देश्य लोगों की सेवा करते हुए उनकी जरूरतों को पूरा कर खुद के लिए मुनाफा कमाना है.

स्टार्टअप का अर्थ होता है, एक या एक से ज्यादा लोगो द्वारा स्थापित की गई कंपनी और इस कंपनी का उदेश्य शुरूआती दिनों में लोगों की समस्याओं को हल करना होता है और फिर आगे चलकर ऐसी ही कंपनियां एक बड़ी कारोबारी कंपनी में बदल जाती हैं.पर उसके इस कदम में उसे किस तरह
की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.कहां भावनाएं मर जाती हैं? इन सभी को केंद्र में रखकर टीवीएफ वेब सीरीज ‘पिचर्स सीजन 2’ लेकर आया है.जो कि 23 दिसंबर से ‘जी 5’ पर स्ट्ीम हो रही है.इसका पहला सीजन 2015 में आया था.

कहानीः
‘पिचर्स‘ के पहले सीजन में चार दोस्तों की कहानी थी,जिन्होने अपनी स्थायी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्ट अप शुरू करते हुए एक साथ ‘प्रगति’ कंपनी शुरू करते हैं.लेकिन सीजन 2 में उनमंे से एक जीतू ने उनका साथ छोड़ दिया है.अब तीन युवक बचे हैं,पर अब ‘प्रगति’ में 24 लोगों की टीम शामिल हो गई है.‘प्रगति’ के संस्थापक नवीन (नवीन कस्तूरिया) , सौरभ मंडल (अभय महाजन) व योगेंद्र कुमार पांडे उर्फ योगी ( अरुणाभ कुमार)अपनी कंपनी के विस्तार के लिए सतत प्रयासरत हैं. पर कंपनी के साथ नए लोग जुड़े हैं,तो नई परेशानियां भी हैं.कंपनी को आगे बढ़ाने और स्टार्टअप की गलाकाट दुनिया में कंपनी के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए चुनौतियां भी हैं और संघर्ष भी.नवीन का मानना है कि जहां संघर्ष नहीं,वहां प्रगति नहीं.’’

नवीन बंसल अपने पार्टनर मंडल और योगी के साथ एक बड़े उद्योगपति के सी शर्मा के पास अपनी कंपनी में इंवेस्टमेंट करने की बात करने जाते हैं,तो के सी शर्मा ,नवीन बंसल और उसके दोस्तों से कहते हैं कि ‘ऑनलाइन कंपनी का भविष्य उज्ज्वल नहीं है.’पर अंततः के सी शर्मा इस शर्त पर नवीन की कंपनी ‘प्रगति’ में पैसा लगाने के लिए राजी होते हैं कि अगर नवीन बंसल 90 दिनों के अंदर अपनी कंपनी में 50 करोड़ रूपए ले आएं,तो वह कंपनी में इन्वेस्ट कर देंगे.

बिना कुछ सोचे ही नवीन हामी भर देता है.उसके दोस्तों को लगता है कि 90 दिन के अंदर 50 करोड़ रुपये कहां से आएंगे.उतावलेपन में लिया गया निर्णय अक्सर नुकसान ही पहुंचता है.लेकिन नवीन अपने दोस्तों को समझाता है कि किसी भी काम के लिए धैर्य और आत्मविश्वास बहुत ही जरूरी है.उसके बाद नवीन अपनी दोस्त प्राची से मदद मांगता है,मगर प्राची के सामने भी अपनी कंपनी को राजी करना आसान नही है.नवीन बंसल की प्राची मदद कर पाती,उससे पहले ही के सी शर्मा एक दूसरी कंपनी ‘अल्फा वन’ के साथ डील कर लेते हैं.नवीन बंसल को अब नए सिरे से इंवेस्टर की तलाश में जुटना पड़ता है.वह अपने दोस्तों को समझाता है कि जीवन में बहुत सारी समस्याएं आती रहती हंै.प्रगति के
सामने समस्याएं हैं.

उनके पास धन की कमी हैं.कंपनी के खर्चे हैं.24 लोगों को सैलरी भी देनी है.मगर नवीन बंसल हार
मानने वालों में से नही है.पांचवे एपीसोड में कहानी पहुॅचते पहुॅचते ‘प्रगति’ का कुनबा बिखरता हुआ नजर आता है.आधे लोग ‘प्रगति’ छोड़कर ‘अल्फा वन’ से जुड़ने जा रहे हैं.हालात ऐसे बनते है कि नवीन,मंडल व योगी भी अलगाव की नौबत आ जाती है.तभी ‘अल्फा वन’ की तरफ से ‘प्रगति’ को खरीदने का आफर आता है.नवीन हामी भर देता है कि कागज तैयार करो,लेकिन उससे पहले नवीन अपने दोनों नाराज दोस्तों योगी व मंडल को पवई झील के पास मिलने बुलाता है.

जहां तीनों पुनः भावुक हो जाते हैं और तय करते हैं कि ‘प्रगति’ नहीं बेचनी है.अब पुनः ‘शून्य’ से षुरूआत
करेंगे.उसके बाद खर्च कम करने के लिए वह अपना बड़ा आलीशान आफिस छोड़ने का फैसला कर लेते हैं.आफिस का फर्नीचर बेचा जाता है.तभी के सी षर्मा आकर ‘प्रगति’ में तीन सौ करोड़ इंवेस्ट करने की बात करते हैं और बताते हैं कि उन्होेने ‘अल्फा वन’ से संबंध तोड़ दिए हैं.

समीक्षाः
इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी यूएसपी यही है कि यह दर्शक को स्टार्ट-अप कल्चर को बहुत यथार्थ परक ढंग से दिखाती है. कहानी दमदार है.आम जीवन जीने वाले लोगों की जमीन से उठकर व्यापार शुरू करने,उसकी कठिनाइयों से जूझने की यात्रा से दर्शक खुद को जुड़ा हुआ पाता है.

लेखक व क्रिएटर के तौर पर अरुणाभ कुमार की खूबी यह है कि वह अपनी कहानी खोजने के लिए दूर-दूर तक नहीं जाते,बल्कि अपने पड़ोसी के बारे में लिखते हैं.वह हवा बाजी करने की बजाय यथार्थ परक कहानी को जन्म देते हैं,जिसमें इंसानी भावनाओं का जज्बा होता है.यह एक अलग बात है कि पहले
सीजन की बनिबस्त ‘पिचर्स सीजन 2’ में भावनाओ ंकी जगह तकनीक ने ले ली है.अरुणाभ और उनके लेखकीय टीम
(प्रशांत कुमार, शुभम शर्मा, और तल्हा सिद्दीकी) ने ऐसी पटकथा तैयार की है,जो एंटरप्रेन्योर्स के जीवन की बारीकियों को गहराई से सामने लाती है.लंबे एपीसोड के बावजूद कहानी और पटकथा दर्षकों को बांधकर रखती है.लेखन की खूबी के चलते परदे पर जो कुछ दर्षक देखता है,उस पर वह यकीन करने लगता है. नवीन जिस तरह से ‘प्रगति’ को बर्बाद करने वाले ‘अल्फा वन’ के ेसामने घुटने टेकने का निणर््ाय लेते हैं,वह इसकी कमजोर कड़ी है.

इस तरह के निर्णय से अपना व्यापार षुरू करने व जिन्होने व्यापार या स्टार्ट अप षुरू करने
के बाद उसे स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं,ऐसे लोगों को नवीन का निर्णय निराष करता है.
सीरीज के निर्देशक वैभव बंधु ने ‘पिचर्स‘ के रूप में ऐसा विषय चुना है,जो युवा पीढ़ी को कुछ न कुछ करने की प्रेरणा देता है.ओटीटी प्लेटफार्म पर जो भी सीरीजअब बन रही हैं वह वास्तविकता के बहुत करीब होती जा रही हैं.

वैभव बंधु ने इस सीरीज के जरिए एक अच्छी कहानी कहने की कोशिश की है.सीरीज का पहला एपिसोड
थोड़ा सा धीमा है,लेकिन आप जैसा जैसे सीरीज को आगे देखते जाते हैं, उत्सुकता बनी रहती है.
अर्जुन कुकरेती की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है.

अभिनयः
हमेशा जोखिम उठाने और सभी बड़े निर्णय लेने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहने वाले टीम लीडर नवीन के किरदार मेें नवीन कस्तूरिया खूब जंचे हैं.उन्होने इस किरदार में जान डाल दी है. तेजतर्रार, लेकिन उजड्ड स्वभाव वाले योगी के किरदार मेे अरुणाभ भी जंचते हैं. मार्केटिंग हेड की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही हर मुसीबत के समय 24 लोगों की टीम को एकजुट रखने वाले मंडल के किरदार में अभय महाजन ने बड़ा स्वाभाविक अभिनय किया है.

नवीन की दोस्त और एक इंवेस्टर कंपनी में कार्यरत प्राची के किरदार में रिद्धि डोगरा अपनी छाप छोड़ जाती हैं.विलेन और ‘अल्फा वन’ कंपनी के मालिक के अति छोटे किरदार में भी सकंदर खेर असफल हैं.के सी कंपनी के मालिक के तौर पर छोटे किरदार में आशीष विद्यार्थी अपना रंग जमाने मेें सफल हो जाते हैं.यूट्यूबर रवि राम रस्तोगी के किरदार में गोपाल दत्त
लोगों को हंसाने में कामयाब रहते हैं.

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...