रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः हार्दिक गुज्जर फिल्मस और पेन आडियो
निर्देशकः हार्दिक गज्जर
कलाकारःजैकी श्राफ,प्रतीक गांधी ,शर्मिन सहगल,प्रतिमा कानन,दिवीना ठाकुर व अन्य.
अवधिः एक घंटा पचास मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5
‘‘सिर्फ प्यार करना ही नही बल्कि प्यार जताना भी आना चाहिए’’ तथा ‘हर रिश्ते में खामियों को नजरंदाज करना चाहिए’ की बात करने वाली हार्दिक गुज्जर की रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘‘अतिथि भूतो भवा’’ हल्की फुल्की हास्य फिल्म है. पर सशक्त फिल्म नहीं है.
कहानी:
वर्तमान समय की इस कहानी का जुड़ाव 75 वर्ष से भी है. इसका जुड़ाव कहानी के केंद्र में स्टैंड अप कौमेडियन श्रीकांत शिरोड़कर (प्रतीक गांधी) हैं, जिन्हें खाना बनाने का शौक है.वह अपनी गर्लफ्रेंड व एअर होस्टेस नेत्रा (शर्मिन सेहगल ) के साथ चार वर्ष से लिव इन रिलेषनषिप में रह रहे हैं. श्रीकांत को प्यार जताना जरूरी नहीं लगता है,जबकि नेत्रा के लिए इमोशन्स और भावनाएं ही सबसे ज्यादा महत्व रखती हैं.इसी वजह से हर दिन छोटी छोटी बात पर श्रीकांत और नेत्रा के बीच तू तू मैं मैं होती रहती है. नेत्रा अब ‘लिव इन रिलेषनषिप’ को शादी में बदलना चाहती है.मगर श्रीकांत को अपने रिश्ते को नाम देने में कोई दिलचस्पी नहीं है. एक दिन जब अचानक एक दिन रात में अपने स्टैंडअप कौमेडी शो से वापस लौटते हुए श्रीकांत शिरोड़कर बीच रास्ते पर कुछ ऐसा करता है कि एक भूत (जैकी श्राफ ) उसके साथ अतिथि बनकर श्रीकांत के घर आ जाता है.भूत का दावा है कि वह माखन सिंह है. और श्रीकांत शिरोड़कर तो उनके दारजी यानी कि दादा जी हैं,जिनका पुर्नजन्म हुआ है.1975 में माखन सिंह 16 सत्रह वर्ष के दारजी ने वादा किया था कि वह उनकी प्रेमिका मंजू यादव से मिलवाकर रहेंगें.जब माखन अपनी प्रेमिका को होली के दिन दारजी की इच्छानुसार अपनी प्रेमिका मंजू को प्रेम पत्र देने जाता है,तो जैसे ही वह मंजू को प्रेम पत्र व गुलाब का फूल देने वाला होता है, तभी उन्हें दारजी को हार्ट अटैक होने की खबर मिलती है.माखन सिंह के घर पहुंचने पर दारजी स्वर्ग सिधार चुके ेहोते हैं.इधर माखन को अपना प्यार नसीब नही होता.लगभग पैंतालिस वर्ष बीत चुके हैं.माखन की मौत हो चुकी है.पर श्रीकांत से मिलने तक वह एक पेड़ पर उल्टा टंगे रहते हैं.और दारजी ने मंुबई के महाराष्ट्यिन परिवार में श्रीकांत शिरोड़कर के नाम से पुर्नजन्म ले लिया है.अब माखन सिंह का भूत अपने दारजी यानी कि श्रीकांत शिरोड़कर के माध्यम से अपनी जिंदगी का प्यार पाना चाहता है.मजबूरन श्रीकांत शिरोड़कर अपनी महिला मित्र व स्टैडअप कौमेडियन सुचारिता सेन की गाड़ी में सुचारित ,अपनी प्रेमिका नेत्रा व माखन के भूत के साथ मथुरा पहुंचता है.कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.अंततः श्रीकांत शिरोड़कर,नेत्रा व सुचित्रा को प्यार व रिश्तों की अहमियत समझ में आती है.
लेखन व निर्देशनः
गत वर्ष बतौर लेखक व निर्देशक रोमंाटिक फिल्म ‘‘भवाई’’ लेकर आने वाले फिल्मकार हार्दिक गुज्जर रोमांटिक कौमेडी की भूत वाली फिल्म ‘अतिथि भूतो भव’ लेकर आए हैं.जिसमें उन्होने जहां रिश्तों व प्यार की अहमियत व रिश्ते को कैसे मजबूत किया जाए, इस पर रोशनी डाली है. तो वहीं बेवजह अंधविश्वास फैलाने के साथ ही धर्म को भी बेचने का प्रयास किया है.साठ प्रतिशत फिल्म मथुरा में है, तो वहां मंदिर वगैरह का नजर आना स्वाभाविक है.मगर मुंबई से मथुरा जाते हुए जब ग्वालियर में सुचारिता के घर पर रूकते हैं,उस वक्त बेवजह दुर्गा जी की विशालमूर्ति व दुर्गा पूजा, आरती आदि के दृष्य रखे गए हैं.मजेदार बात यह है कि यह भूत डराने की बजाय खुद दुर्गा माता की मूर्ति के आगे फूल चढ़ता है और कृष्ण मंदिर में भी जाता है.इन धार्मिक दृश्यों का कहानी से कोई संबंध नही है.बल्कि इससे कहानी में व्यवधान आता है.कहानी के स्तर पर 55 वर्षीय भूत का अपने युवा दादाजी से अपने प्यार को दिलाने की गुहार लगाना,अजीब सा लगता है.कई दृष्य ऐसे हैं,जिनमें हंसी नही आती,बल्कि बोरियत होती है.रोड ट्पि पर कई फिल्में बन चुकी हैं.उनके मुकाबले यह फिल्म काफी सतही है.फिर भी इसकी कहानी व पटकथा चुस्त है.संवाद काफी सहज हैं.भूत व पुर्नजन्म के माध्यम से कहानी को कए नया अंदाज देने का प्रयास किया गया है.फिल्म कहीं न कहीं महिला प्रधान होने का दावा करती है.क्योंकि फिल्म के एक दृश्य में ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ का विषाल विज्ञापन भी नजर आता है.फिल्म कुछ जगहों पर काफी धीमी है,जिसे एडीटिंग टेबल पर कसा जाना चाहिए था. निर्देशक ने इस फिल्म के माध्यम से प्यार के अमर होने की बात भी की है.सुचारिता के किरदार को ठीक से लिखा ही नही गया.
अभिनयः
श्रीकांत शिरोड़कर के किरदार में प्रतीक गांधी के अभिनय को देखकर निराषा होती है.गुजराती रंगमंच पर अपने अभिनय कार जलवा दिखाने के बाद गुजराती फिल्मों से फिल्मी दुनिया में पदार्पण करने वाले प्रतीक गांधी ने हिंदी वेब सीरीज ‘स्कैम 92’ से अपनी अभिनय प्रतिभा की जो छाप छोड़ी थी,उस पर श्रीकांत षिरोड़कर के किरदार में वह धूल छाड़ते हुए ही नजर आते हैं. भूत के किरदार में जैकी श्राफ ने ठीक ठाक अभिनय किया है.छोटे से किरदार में प्रतिमा कानन अपना असर छोड़ जाती हैं. मशहूर फिल्मसर्जक संजय लीला भंसाली की भांजी और 2019 में प्रदर्शित फिल्म ‘मलाल’ में अभिनय कर चुकी शर्मिन सेहगल ने नेत्रा का किरदार निभाया है, जो कि उनके कैरियर की दूसरी फिल्म है. पर वह सिर्फ खूबसूरत नजर आयी हैं. किशोर वय के माखन सिंह के किरदार में प्रभज्येात सिंह ने काफी अच्छी परफार्मेस दी है.