• रेटिंगः 3 स्टार
  • निर्माताः साजिद कुरेशी व अंजुम कुरेशी
  • निर्देशकः हर्ष वर्द्धन
  • कलाकारः रितिका सिंह, सुनील सोनी, मनीष झांझोलिया, संदीप गोयत, ज्ञान प्रकाश व अन्य.  
  • अवधिः एक घंटा 46 मिनट

हम 21वीं सदी के अत्याधुनिक युग में जी रहे हैं. देश की सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके उत्थान के लिए कई सारे कानून बना रखे हैं. इसके बावजूद क्या वास्ताव में भारत में हर लड़की को बुनियादी आजादी ,सुरक्षा व सुविधाए मुहैय्या हैं? इस सवाल का जवाब नकारात्मक ही है. आज भी हर दिन कम से कम सौ लड़कियों का अपहरण किया जा रहा है. इनमें से कई लड़कियंा गैंगरैप की भी शिकार होती हैं. पर हमारे देश की सरकार व पुलिस सिर्फ बयानबाजी कर मौन हो जाती है.

वास्तव में जिस समाज में पुरूष, लड़की/ महिला का शीलभंग करने में संकोच नही करता,वह समाज पितृसत्तात्मक सोच वाला समाज है. जब तक यह सोच नहीं बदलेगी,तब तक लड़कियों व महिलाओं संग अपराध होते रहेंगें.  देश में लड़कियों के साथ जो घटनाएं हो रही हैं,उन्ही सत्य घटनाक्रमों से प्रेरित होकर फिल्मकार हर्ष वर्द्धन फिल्म ‘इनकार’ लेकर आए रहे हैं.

हरियाणा की पृष्ठभूमि वाली इस फिल्म की कहानी सेक्स लोभी व हवसी युवा पीढ़ी द्वारा एक लड़की का अपहरण किए जाने की कहानी है. इसमें फिल्मकार ने लड़कियों के खिलाफ हो रहे अपराध के लिए पितृसत्तात्मक सोच को अलग अंदाज में बेनकाब किया है. यह फिल्म हिंदी भाषा में बनी है और तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम भाषाओं में रिलीज हुई है.

नागपुर,महाराष्ट् में जन्में हर्ष वर्द्धन ने पारिवारिक दबाव में मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद वह सिनेमैटोग्राफी की पढ़ाई करने के लिए लाॅस एजेंल्स, अमरीका के कोलंबिया कालेज चले गए. फिर उन्होने फिल्म लेखन व निर्देषन की भी ट्ेनिंग ली. अमरीका रहते हुए फिल्म ‘ ए सेकेट हेंडशेक’ का लेखन व निर्देशन किया. उसके बाद अमरीका से भारत वापस आकर एक उपन्यास ‘व्हेन हरी मेट हिस साली’ लिखा. अब उन्होने फिल्म ‘‘इन कार’’ का लेखन व निर्देशन किया. इस फिल्म की कहानी चलती हुई कार में ही घटित होती है. इसके लिए कार के ही अंदर दो कैमरे रखकर इसे फिल्माया गया.

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