बीस्कूल आप को जरूरी ज्ञान और कौशल दे कर कौर्पोरेट दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करते हैं. हालांकि सौफ्ट स्किल्स भी महत्त्वपूर्ण होती हैं और आप को एक कामयाब मैनेजर एवं लीडर बनने में मदद करती हैं. ये मूल्य आप की अवधारणाओं, आप के व्यवहार, क्रियाओं और फैसलों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जो आप के नियोक्ताओं के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं.
स्ट्राइविंग फौर एक्सीलैंस (उत्कृष्टता के लिए प्रयास) : आप के काम के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना आप के पेशे का सब से महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और जरूरी है कि इस मूल्य को आप अपने जीवन में जल्द से जल्द सीख लें. इस के लिए आप जो भी करते हैं, उस में गुणवत्तापूर्ण प्रयासों को जारी रखें जब तक यह आप की आदत में शामिल न हो जाए. फिर चाहे आप खेलों की बात करें, पाठ्येत्तर गतिविधियों की, अकादमी की, क्लब में शामिल होने की, सोसाइटी या किसी अन्य सामाजिक कार्य की, आप को अपने सभी कार्यों में गुणवत्तापूर्ण प्रयासों को जारी रखना चाहिए.
हालांकि अगर आप औसत प्रदर्शन कर रहे हैं तो हो सकता है कि आप आरामदायक महसूस करें. लेकिन अगर आप अपनेआप को इस जोन से बाहर निकाल कर नई संभावनाओं की तलाश करें तो आप अपनी प्रतिभा को पहचान सकेंगे और इस का इस्तेमाल सही दिशा में कर सकेंगे.
इंटिग्रिटी (वफादारी) : आप की प्रतिष्ठा को बनाने में सालों लग जाते हैं लेकिन इसे खोने में सिर्फ एक सैकंड लगता है. इसे मैनेजमैंट के एक क्लास में नहीं सिखाया जा सकता. इसे आप को खुद सीखना होता है. सभी परिस्थितियों में वफादारी यानी इंटिग्रिटी को बनाए रखना एक मैनेजर के लिए बहुत जरूरी है. इंटिग्रिटी का तात्पर्य है, पूरी तरह से ईमानदार, सच्चा और भरोसेमंद होना. कोई आप को देख रहा है या नहीं, आप को इन गुणों को हमेशा बनाए रखना चाहिए. ये गुण न केवल आप के कार्यस्थल पर होने चाहिए बल्कि तब भी आप में रहने चाहिए जब आप अपने परिवार, दोस्तों या किसी और के साथ हों.
शेयरिंग (सा झेदारी) : यह सम झना बेहद जरूरी है कि एक कंपनी में काम करने वाले सभी लोग एकदूसरे से स्वतंत्र नहीं होते, वे एकदूसरे से जुड़े होते हैं, ऐसे में शेयरिंग अपरिहार्य हो जाती है. आप से उम्मीद की जाती है कि आप अपने संसाधनों, विचारों और ज्ञान को अपने सहकर्मियों एवं सहयोगियों के साथ बांटेंगे. इसी को हम ‘टीमवर्क’ कहते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि विद्यार्थी टीम में काम करना सीखे ताकि वह आसानी से सब के साथ मिल कर काम कर सके और अपने कौशल व ज्ञान को टीम के सभी सदस्यों के साथ बांट सके.
इनोवेशन : आउट औफ बौक्स एक ऐसा मुहावरा है जिस का अकसर सही अर्थ नहीं सम झा जाता. इस का तात्पर्य किसी बड़ी खोज या बड़ी सफलता से नहीं है. इनोवेशन हमारी दैनिक प्रक्रियाओं का हिस्सा हो सकते हैं. जब हम हमारी नियमित प्रक्रियाओं को चुनौती के रूप में देखते हैं, तभी हम उन चीजों को नए तरीके से करने की कोशिश करते हैं और अपने अंदर नए मूल्यों को विकसित कर पाते हैं.
ओनरशिप यानी जिम्मेदारी : मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वे जो काम कर रहे हैं उस की पूरी जिम्मेदारी लें. शुरू से ले कर अंत में उस काम को जिम्मेदारी से पूरा करें, क्योंकि इस के लिए आप पर भरोसा किया जाता है. इस के परिणामों के लिए आप ही जवाबदेह होते हैं. जब भी आप को कोई परियोजना या अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाती है तो आप से कुछ उम्मीद भी होती है. मैनेजर के रूप में किसी भी कमी का दोष आप किसी और को नहीं दे सकते.
जौब या नौकरी : आप का सकारात्मक दृष्टिकोण आप के व्यक्तित्व में झलकता है. एक खुशमिजाज व्यक्ति अपने काम में खुशी ढूंढ़ता है, वह अपने आसपास के माहौल को भी खुशनुमा बना देता है. कार्यस्थल पर खुशी का माहौल तब बनता है जब आप अपने काम से प्यार करते हैं और 100 फीसदी आउटपुट देते हैं. आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा अपनेआप को प्रोत्साहित करते रहते हैं. अपनी नौकरी को सिर्फ एक काम न मानें, बल्कि यह आप के लिए जनून होना चाहिए. तभी आप इस से प्यार कर सकेंगे और इस में मौजूद अनगिनत संभावनाओं को खोज सकेंगे.
पैशन फौर लर्निंग यानी सीखने का जनून : कुछ नया सीखने की जिज्ञासा व्यक्ति में अंत तक रहनी चाहिए. जो लोग हमेशा कुछ नया सीखने और अपनेआप में सुधार लाने की कोशिश करते हैं, उन का ग्राफ हमेशा ऊपर की ओर ही जाता है. यह जनून आप में तभी पैदा होता है जब आप अपने काम में रुचि बनाए रखते हैं. साथ ही, आप अपने आसपास की दुनिया के लिए अपने आंख और कान खुले रखते हैं. अगर आप में यह जनून है तो आप की कौशल और विशेषज्ञता में हमेशा सुधार होता है.
सहानुभूति : सहानुभूति प्रबंधन कौशल के लिए जरूरी है. एक प्रबंधक के लिए बेहद जरूरी है कि वह दूसरों के दृष्टिकोण को सम झे. दूसरे लोगों के काम को सम झना, उसे स्वीकार करना और उस की सराहना करना आप को आना चाहिए. लीडरशिप के बहुत से सिद्धांतों के अनुसार एंपैथी लीडरशिप का अभिन्न अंग है.
करेज यानी बहादुरी : हो सकता है कि बहादुरी को आप वीरता या बलिदान सम झें. एक सफल प्रबंधक के लिए बहादुरी जरूरी है. यह बहादुरी मैनेजर को सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है. उसे अपने आइडिया को इंपलीमैंट करने में मदद करती है. कार्यस्थल पर इस बहादुरी का तात्पर्य है कि आप कुछ अलग सोचने की कोशिश करें, इनोवेट करें, कोई नया विचार रखें. इसी की मदद से एक कंपनी और इस के लोग विकसित हो सकते हैं. यह कम्युनिकेशन को बढ़ावा देती है. एक संगठन में पारदर्शिता व निष्पक्षता लाती है, इसलिए कंपनी के सभी लोगों के लिए बहादुर होना जरूरी है.
रिस्पौन्सिवनैस यानी जवाबदेही : एक मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह अपने आसपास की स्थिति और अपने उपभोक्ताओं के लिए जवाबदेह हो. इस के लिए उसे तुरंत फैसला लेने में सक्षम होना चाहिए. उस में अवसरों को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए. उस में समस्याओं के प्रभावी समाधान खोजने की क्षमता होनी चाहिए और उन क्षेत्रों की पहचान की क्षमता होनी चाहिए जिन में सुधार की संभावना हो.
रैशनलिस्ट होना : एक एमबीए को भावनाओं और धार्मिक प्रचार से उठ कर सोचना चाहिए क्योंकि उस के लिए देश का हर नागरिक बराबर का है और हरेक की परचेजिंग ग्रोथ है, कम या ज्यादा. उसे व्हाट्सऐप का ज्ञान तो बिलकुल दिमाग में घुसने नहीं देना चाहिए. चुनौतियों के लिए सही लोगों का चयन करें, अपने धर्म या जाति का नहीं. अपनी टीम में कभी धर्म या जाति को ले कर विवाद खड़ा न होने दें और हमेशा एकदो रैशनिलस्ट विचारकों की किताबें बैड के सिराहने रखनी चाहिए.