सुजाता और राजीव चौहान की शादी को सिर्फ 6 महीने ही हुए थे कि उन में रोज ?ागड़ा होने लगा. बात पिटाई तक पहुंच गई. आखिर तंग आ कर दोनों ने एकदूसरे से अलग होने का फैसला कर लिया. तलाक का फैसला देते हुए जज ने कहा कि शादी से पहले आप दोनों को काउंसलर की मदद लेनी चाहिए थी, ताकि वे आप को सम?ा सकते कि आगे दोनों में निभेगी या नहीं.
सोनिया मंडल और आकाश महतो शादी से पहले कई बार मिले, साथ घूमने गए, फिल्में देखीं वगैरहवगैरह. उन्हें लगा कि हम दोनों एकदूसरे के बारे में काफी कुछ जानतेसम?ाते हैं.
उन की शादी में एक पेंच था. दोनों हालांकि जाट बिरादरी के थे पर एक के घरवाले जमींदार किसान थे और दूसरे के फौज में साधारण सिपाही, पर पैसा इतना था कि बच्चों को शहर में पढ़ा सकें. सोनिया के पिता ने कहा भी कि आकाश के मातापिता का घर छोटा सा और वे इस तरह पैसा नहीं खर्च कर सकेंगे, पर दोनों ने कहा कि हमें तो शहर में रहना है, हमें आकाश के परिवार से क्या लेनादेना.
दोनों की नौकरियां अच्छी थीं, लगभग बराबर और रोजमर्रा के खाने के लिए काफी आय थी. उन्होंने प्लानिंग भी कर ली थी कि जल्दी ही अपना एक फ्लैट ले लेंगे. लेकिन शादी के 2 महीने बाद ही दोनों में तूतूमैंमैं, शुरू हो गई. आकाश के भाईबहन अकसर उन के प्लैट पर आ कर रहने लगे और सोनिया पर रोब जमाते. नतीजा यह हुआ कि सोनिया अपने मायके वापस आ गई. घरवालों ने लाख सम?ाया, लेकिन दोनों ही कुछ भी सम?ाने को तैयार न हुए.
सोनिया का कहना है, ‘‘आकाश बहुत शंकालु प्रवृत्ति का है. मु?ो किसी से बात नहीं करने देता है.’’ उधर आकाश का कहना है, ‘‘सोनिया में बहुत बचपना है. अपनी निजी बातें भी वह सब के सामने बोल देती है और उस की यही आदत ?ागड़े का कारण बन जाती है.’’
दोनों ने आर्थिकभेद कम बताया क्योंकि वह तो उन्हें पहले ही दोनों के मांबापों ने बोल दिया था. उस घुटन का गुस्सा कहीं और फूटा. कुछ इसी तरह की समस्याओं को ले कर हाल ही में एक सैमिनार का आयोजन किया गया. सैमिनार में इस बात पर जोर दिया गया कि लोगों में शादी से पहले होने वाली काउंसलिंग को ले कर जागरूकता की कमी है, इसी वजह से तलाक की संख्या में तेजी आई है.
इस के साथ ही यूथ में आपसी सम?ा की भी कमी है. इस बात को मैरिज काउंसलर्स भी मानते हैं कि आजकल की पीढ़ी में धैर्य की कमी है, फिर दोनों कमाते हैं तो उन में अहं का टकराव भी तलाक की वजह बनता है. शादी से पहले क्या काउंसलिंग की जरूरत होती है और उस का क्या नतीजा सकारात्मक रहता है, इस पर कुछ मैरिज काउंसलर्स से बात की गई.
फैसला कुछ घंटों में नहीं लिया जाता एक सैक्सोलौजिस्ट और मैरिज काउंसलर का कहना है, ‘‘ऐसा नहीं
है कि इस तरह की समस्याओं का सामना केवल मिडिल क्लास के लोग कर रहे हैं, बल्कि पढ़ेलिखे और उच्च आय ग्रुप के लोगों में भी इस तरह की परेशानियां हैं. अकसर यूथ फैमिली के दबाव और सोसाइटी के चलते शादी जैसे अहम फैसले कर तो लेते हैं, लेकिन रिलेशनशिप को ज्यादा समय मेंटेन नहीं रख पाते. लगातार तलाक के मामलों में बढ़ोतरी आने की वजह से मैरिज काउंसलर के कैरियर का ग्राफ दिनबदिन बढ़ता जा रहा है.
‘‘काउंसलर हर मुद्दे पर खुल कर बात करते हैं. कभी दोनों को साथ बैठा कर तो कभी अलगअलग बात करते हैं. इस में कैरियर संबंधी, आय से संबंधित, संयुक्त परिवार में रहने से संबंधित, बच्चों की संख्या आदि जैसे कई मुद्दे होते हैं. पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात भी होती है. घरेलू बातों से ले कर हम दफ्तर तक की बातों को भी शामिल करते हैं. जिंदगीभर साथ रहने का निर्णय सिर्फ कुछ घंटों में नहीं लिया जा सकता है. उन के साथ लंबीलंबी सिटिंग्स करनी पड़ती हैं. दोनों पक्षों में मातापिता से भी बात करते हैं. आगे चल कर किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं, उन पर पहले से विचार किया जाता है, बात की जाती है, उन का समाधान किस तरह से किया जा सकता है, इस के बारे में सोचा जाता है.’’
वे आगे कहते हैं, ‘‘विवाह के बाद अकसर समस्याएं घरेलू स्तर पर शुरू होती हैं जो धीरेधीरे कामकाज से ले कर रिश्तेदारों तक पहुंच जाती हैं. युवा यह जान ही नहीं पाते कि शादी के बाद आपसी बहस और ?ागड़े में वे किस स्तर तक उतर गए हैं. कई बार इस के भयंकर परिणाम सामने आते हैं. एकदूसरे पर हाथ उठाना, घर के सामान की तोड़फोड़, बच्चे हो गए हों तो उन पर बेवजह गुस्सा निकालना जैसी घटनाएं आएदिन परिवार में घटती हैं.
मैरिज काउंसलर्स मानते हैं कि आजकल पतिपत्नी दोनों कामकाजी हो गए हैं, जाहिर है अपेक्षाएं आशा से अधिक होने लगी हैं. साथ ही, घर में जिम्मेदारियों को ले कर भी दोनों में तनाव रहता है. मैरिज काउंसलर्स इन्हीं समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं.
विचारों में एकरूपता लाने की कोशिश
किसी भी लड़केलड़की को शादी से पहले किसी प्रोफैशनल ऐक्सपर्ट से बात करनी चाहिए. इस से उस के लिए सही फैसला लेना आसान हो जाएगा. वह शादी से पहले इस बात को जान सकेगा कि उस का होने वाला पार्टनर उस से क्या अपेक्षाएं रखता है और क्या वह उन सभी उम्मीदों पर खरा उतरता है.
मैरिज काउंसलर्स क्या सभी तरह की समस्याओं को दूर करने में मददगार हो सकते हैं? चावला सर का इस बारे में कहना है, ‘‘मैरिज काउंसलर्स एक हद तक आपसी विचारों में एकरूपता ला सकते हैं. यह सही है कि जीवन में ऐसी कई बातें होती हैं जिन के बारे में पहले से नहीं पता होता है, इसलिए स्थितियां काफी हद तक बिगड़ जाती हैं लेकिन कम से कम हम कोशिश तो करते हैं कि सबकुछ सामान्य हो जाए.’’ उन का मानना है कि घरेलू ?ागड़ों को सु?ालाने के लिए फैमिली कोर्ट हैं, परिवार परामर्श केंद्र हैं लेकिन
ये सब शादी के बाद अस्तित्व में आते हैं. शादी से पहले ही यदि मदद दी जाए, सलाह दी जाए तो हो सकता है आने वाले समय में तलाक और मनमुटाव की घटनाएं कम हो जाएं.
तलाकों की संख्या अब हर जाति में बढ़ने लगी है. कुर्मी की तलाकशुदा, जाट तलाकशुदा जैसे व्हाट्सऐप ग्रुपों से पता चलता है कि यह समस्या हर वर्ग की है और ऊंची जातियों के जज/वकील इन में से बहुतों के पारिवारिक बैकग्राउंड को भी नहीं सम?ा पाते. काउंसलरों का काम होता है कि वे हर तरह की समस्या का पूर्वानुमान करें. काउंसलर के सामने कभी दोनों साथ तो कभी एकएक कर के बैठते हैं. ऐसे में बहुत सी दबी बातें शादी से पहले साफ हो सकती हैं.
बड़े शहरों के साथसाथ अब छोटे शहरों में भी प्रीमैरिज काउंसलर्स संस्थाएं काम कर रही हैं. इन संस्थाओ में मनोवैज्ञानिक समाजशास्त्री और कानूनविद लोगों को सलाह देते हैं ताकि आने वाली जिंदगी में खुशहाली रहे. अब तो ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है जो अपने मन का संशय दूर करने में काउंसलर्स की मदद लेने लगे हैं. उन्हें पैसा देना हो उन को खलता नहीं, वे यह सम?ाते हैं कि पंडोंपुरोहितों को देने से इन्हें देना अच्छा है.