मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए वह एकदूसरे से अपने सुखदुख सा झा कर तनावमुक्त महसूस करता है. परिवार, समाज और सारी दुनिया आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना से ही चल रही है. कष्ट या संकट किसी पर भी आ सकते हैं. ऐसे समय में सहायता की जरूरत होती है. सहायता मिल जाने से कष्ट दूर न सही पर कम जरूर हो जाते हैं. इसलिए जीवन में सहायता का बहुत बड़ा महत्त्व है.

ऐसी बातें हम सुनतेदेखते तो बहुत हैं लेकिन इस का असली अर्थ हम तभी सम झ पाएंगे जब खुद किसी की मदद कर के देखेंगे. ऐसा कर के हम दूसरों की नजरों में ही नहीं, अपनी नजरों में भी काफी ऊंचे उठ सकते हैं और खुद का सम्मान पहले से कहीं अधिक कर सकते हैं.

मदद के बहाने सोशल सर्कल बनेगा

मदद करने के बहाने ही सही कई लोगों से जानपहचान तो बढ़ेगी ही. इस से लोग आप को जानेंगे और आप का एक अच्छा सोशल सर्कल बनेगा जोकि हर तरह से आप के लिए फायदेमंद होगा. इस से आप का टाइम भी पास होगा और नए लोगों से मिल कर उन के विचार जान कर आप को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलेगी. जिन लोगों के परिवारों में से कोई चला गया उन्हें किसी के भावनात्मक सहयोग की भी आवश्यकता है और आर्थिक सहयोग की भी. वे दूसरों की सहायता ले रहे हैं.

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हैल्पफुल नेचर को सभी पसंद करते हैं

जो व्यक्ति हमेशा बिन बुलाए सब की मदद के लिए तैयार रहता है उस की पहचान खुदबखुद बन जाती है. वह अपने लिए किसी परिचय का मुहताज नहीं होता. बिना बोले ही सब को पता चल जाता है कि पड़ोस में रहने वाली वह महिला सब की मदद करती है और ऐसी महिला से हर कोई दोस्ती करना चाहता है ताकि उन से कुछ अच्छी बातें सीखी जा सकें.

मदद करना अच्छा मानवीय गुण

मदर टेरेसा की पहचान ही है मानवता की सेवा. बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं और अपना जीवन सफल बनाते हैं. दूसरों की मदद करना जिंदगी जीने की यह कला अगर एक बार आप ने सीख ली तो संतुष्टि का ऐसा भाव पैदा होगा जो सारे सुखों से ऊपर है. जो दूसरों की मदद करता है वह सब के दिलों में सहज ही घर बना लेता है.

निस्वार्थ भाव से करें मदद

अगर आप हमेशा निस्वार्थ भाव से सब की मदद करते हैं तो जब आप को कभी मदद की जरूरत होगी तो आप की तरफ भी मदद के हाथ बिना कहे ही बढ़ आएंगे. उस समय आप को लगेगा कि इतने समय से जो आप मदद कर रहे थे वह व्यर्थ नहीं गई, बल्कि आप ने बहुत से ऐसे लोगों को अपने साथ बांध लिया है जिन के रहते कोई परेशानी आप से पहले उन तक पहुंचेगी.

मदद के तरीके हैं हजार

ऐसा नहीं है कि आप सिर्फ पैसे से ही लोगों की मदद कर सकती हैं और अगर पैसा नहीं है तो मदद नहीं की जा सकती है. कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें पैसे की नहीं, प्यार के दो बोल की दरकार होती है. जैसे आप की ही सोसाइटी के कुछ बुजुर्ग ऐसे होंगे जो बहुत अकेले हैं और बीमार भी, आप उन की भी मदद कर सकती हैं.

अपने औफिस से आते हुए उन की भी कभीकभार सब्जी ले आएं, उन्हें रैगुलर चैकअप के लिए डाक्टर के पास ले जाएं, कभी घर में कुछ अच्छा बनाएं तो अपना खाना उन के घर ले जाएं और उन के साथ ही खाएं. त्योहार उन के साथ मनाएं. आप की ये छोटीछोटी बातें उन का जीवन पूरी तरह से परिवर्तित कर देंगी. उन्हें लगेगा ही नहीं कि उन का अपना कोई नहीं है बल्कि उन के लिए तो आप ही सबकुछ होंगे.

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इस के अलावा अगर जौब नहीं करते और दिन के समय घर में खाली रहते हैं तो गरीब बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर पढ़ा सकते हैं. मेड आदि के बच्चे जो स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन ट्यूशन का खर्च नहीं उठा सकते उन्हें पढ़ाई में मदद करें.

महीने में एकआध बार किसी अनाथालय में जा कर थोड़ा समय बिताएं और सब के सुखदुख सुनें. उन के दुख सुन कर आप को अपना दुख बहुत कम लगने लगेगा और उन का दुख बांट कर दिल को सुकून मिलेगा.

बढ़ेगा आत्मविश्वास

आप भी किसी से कम नहीं हैं. कोई है जिस के काम आप भी आ सकते हैं. आप की यह सोच आगे बढ़ने में मददगार होगी. इस से खुद पर विश्वास बढ़ेगा और एक अच्छा जीवन जीने की इच्छा भी पैदा होगी, जिस में आप किसी के काम आ सकें, कोई हो जिसे आप की जरूरत हो.

अकेली हो कर भी अकेली नहीं होंगी

माना आप सिंगल वूमन हैं लेकिन दूसरों की सहायता कर के आप इतने लोगों से जुड़ जाएंगी कि कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होगा. आप चाहें तो किसी एनजीओ आदि को भी जौइन कर सकती हैं. वहां जरूरतमंदों की सेवा और मदद भी हो जाएगी और कुछ पैसे भी कमा लेंगी. इस तरह आप के आसपास बहुत से ऐसे लोग होंगे जो आप को बिना किसी स्वार्थ के अनकंडीशनली प्यार करेंगे, फिर चाहे वे बच्चे हों या बड़े ध्यान दें

दूसरों की मदद करना अच्छी बात है लेकिन ऐसा करने में खुद को और अपने घर को इग्नोर न करें. पहले स्वयं आप और आप की सेहत है, उस के बाद कुछ और है.

मदद करते हुए आउट औफ वे न चले जाएं. कहीं ऐसा न हो कि किसी का पर्सनल मैटर हो और वह आप की मदद न लेना चाहे, पर आप के जबरदस्ती इंटरफियर की वजह से बात बनने के बजाय और भी बिगड़ जाए.

दूसरों का दुख देख कर आप शांत रहने की कोशिश करें और उस की मदद करें. लेकिन अगर आप ही विचलित हो गए तो मदद करना मुश्किल हो जाएगा.

जब हम लोगों की मदद करने लगते हैं तो कई बार लोग भी उस का गलत फायदा उठाने लगते हैं. इसलिए बीचबीच में यह चैक करती रहें कि जिस की मदद कर रही हैं वह वाकई में जरूरतमंद है भी या आप को उल्लू बना रहा है.

दूसरों की सहायता करते समय सहज बुद्धि का भी प्रयोग करना जरूरी है. लेकिन आप दूसरों का दुख देख कर स्वयं दुखी और परेशान हो जाते हैं तो उन की क्या मदद करेंगे बल्कि वे लोग खुद आप को ही संभालने में लग जाएंगे.

जब भी आप के मन में यह सवाल आए कि मैं ही मदद क्यों करूं तो याद रखें कि हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं उन्हें तनाव कम रहता है, जबकि मानसिक शांति और आनंद का अनुभव ज्यादा रहता है. इसलिए दूसरों की मदद कर के आप अपना भला भी कर रही हैं.

मदद उन लोगों की भी करें जो आप के प्रति उदासीन रहे हों. अपने प्रति रूखापन रखने वाले व्यक्ति को अपनी दयालुता दिखाएं. हो सकता है, आप की इसी दयालुता से उस व्यक्ति का हृदय पिघल जाए और उसे अपनी गलती का एहसास हो जाए. अगर ऐसा न भी हो तो भी मदद करें वरना उस व्यक्ति में और आप में फर्क ही क्या रह जाएगा.

एक बात अवश्य याद रखें कि अगर हम किसी की मदद करें तो भले ही उस से बहुत बड़ी क्रांति नहीं आएगी लेकिन जिस व्यक्ति की मदद हम कर रहे हैं उसे खुशी जरूर मिलेगी और उस के चेहरे पर खुशी के भाव देख कर आप के चेहरे पर जो संतोष होगा वह हजारों रुपए खर्च कर के भी नहीं खरीदा जा सकता.

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किस की करें मदद

अपनी सोसाइटी में हर प्रोग्राम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें और वहां काम में सब की मदद करें.

अगर सोसाइटी में कोई चैरिटी आदि की जा रही हो तो उस में अपना नाम भी लिखवा लें.

अपने रिश्तेदारों व परिवारजनों की बीमारी आदि में मदद करने से पीछे न हटें.

असहाय व जरूरतमंदों की मदद करें.

विशेष बच्चों की सहायता करें.

निसहाय और लाचार लोगों की मदद करें.

सर्वे-1 : दूसरों की सहायता क्यों करते हैं हम?

हम अकसर बिना किसी उम्मीद के दूसरों की सहायता करते हैं. कभी सोचा है क्यों? एक नए अध्ययन के अनुसार, इस के लिए हम एक खास जैविक प्रक्रिया का धन्यवाद कर सकते हैं जो हमें एकजुट रहने के लिए प्रेरित करती है. पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन की एक शोधकर्ता क्रिस्टीना मार्कवेज के अनुसार, हम किसी वृद्ध को सड़क पार कराने में संकोच नहीं करते. इसी को सामाजिक व्यवहार कहा जाता है.

सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में चूहों के व्यवहार का अध्ययन किया. इस के बाद शोधकर्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि सामाजिक व्यवहार परोपकारी कार्य से बिलकुल अलग है.

मार्कवेज ने बताया, ‘‘अपने प्रयोग में हम ने चूहों की जोड़ी को अलगअलग भूमिका दी. इस में एक को मदद करने वाला जबकि दूसरे को उस के सा झीदार के तौर पर भूमिका दी गई. मदद

करने वाला विकल्प तलाशने के लिए स्वतंत्र था.’’

मार्कवेज ने आगे बताया, ‘‘प्रयोग के तौर पर एक विकल्प में एक चूहे के लिए दरवाजा खुला हुआ था जहां खाने का इनाम खुद को ही दिया जाना था. वहीं, दूसरे विकल्प के तौर पर दूसरा दरवाजा खुला हुआ था, जहां दोनों चूहों के लिए भोजन रखे थे.’’

इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादातर चूहे दूसरे विकल्प की ओर आकर्षित हुए. मार्कवेज के अनुसार,

15 चूहों में से केवल एक ने पहले विकल्प पर गौर किया.

तो इस का मतलब, चूहे भी मनुष्य के उच्च सिद्धांत का पालन करते हैं या मनुष्य चूहों के साथ कुछ बुनियादी सामाजिक सिद्धांत सा झा करते हैं.

इस शोध का नेतृत्व करने वाली मार्ता मोइटा का कहना है, ‘‘सामाजिक होना चूहों और मनुष्यों के लिए कई स्थितियों में लाभकारी है. साधारण जैविक प्रक्रिया, जैसे जब समूह के सदस्य पुरस्कार प्राप्त करते हैं तो सकारात्मक भाव पैदा होते हैं. दूसरों के लिए संवेदनशील होना आदि बातों से व्यक्तिगत लाभ भी हो सकता है. इसलिए मनुष्य सामाजिक प्राणी है और दूसरों की मदद करना उस के अच्छे स्वभाव का ही एक गुण होता है.

सर्वे-2 : दूसरों की सहायता पर निर्भर हैं करोड़ों लोग

यह जान कर आप का दिल कांप जाएगा कि आज भी विश्व में रिकौर्ड 13 करोड़ लोग जीवित रहने के लिए दूसरों की सहायता पर निर्भर हैं. यह आश्चर्यजनक संख्या पृथ्वी के सर्वाधिक जनसंख्या वाले 10वें देश के बराबर है. संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने यह बात अगस्त 2016 में मानवता दिवस पर दिए गए अपने संदेश में कही थी.

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