फ्री में बहुतकुछ देने के वादे सभी दल करते हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल की ब्रैंड बनती मुफ्त की राजनीति से सभी दल हलकान हैं. इन में नया नाम पंजाब के नएनवेले मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी का भी जुड़ गया है क्योंकि उन के लिए वहां अकाली दल से बड़ा खतरा ‘आप’ है. ?ाल्लाए चन्नी ने केजरीवाल को काला अंगरेज कह दिया तो जवाब में आस्तीन चढ़ाते हुए पूरी विनम्रता से केजरीवाल ने कहा, ‘मैं सांवला हूं और सांवला आदमी कभी ?ाठे वादे नहीं करता.’

धर्मकर्म और जातपांत की राजनीति वाले देश में पहली दफा त्वचा के रंग पर श्रेष्ठ होने का दावा किया गया. केजरीवाल का इशारा सोनिया गांधी की तरफ था या नहीं, यह तो उन का उजला दिल ही जाने लेकिन भक्तिकाल के बाद बड़े पैमाने पर श्याम रंग की महिमा विष्णु के सांवले अवतारों पर की जा रही राजनीति को और भी गरमा सकती है.

रासलीला

महिलाएं एक पुरुष में क्याक्या देख कर री?ा जाती हैं, यह जानने के इच्छुकों को 65 वर्षीय  कांग्रेसी सांसद शशि थरूर की शागिर्दी हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए, जो केवल परफैक्ट और सैक्सी ही नहीं, बल्कि कुछकुछ बुद्धिजीवी भी हैं और जिन के अकसर महिलाओं से घिरे फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं.

पिछले दिनों जाड़े में सियासी माहौल और गरमा उठा जब उन्होंने संसद के बाहर देश की खूबसूरत 6 युवा महिला सांसदों मिमी चक्रवर्ती, सुप्रिया सुले, नुसरत जहां, परनीत कौर, थमिजाची थंगापडियन और एस जेथिमनी से घिरी अपनी तसवीर शेयर करते लिखा कि, ‘कौन कहता है कि संसद काम करने के लिए आकर्षक जगह नहीं है.’

जलने वालों के तनबदन में आग लगी और उन्होंने इसे महिलाओं का अपमान बता डाला. कुढ़ने वालों को सबक यह लेना चाहिए कि वे भी बुढ़ापे में बनसंवर कर रहें, महिलाओं को इम्प्रैस करने की कोशिश करें और, इस से भी अहम बात, उन का सम्मान करना सीखें.

मैन आफ द मैच – सीएम

हेमंत सोरेन जब बच्चे रहे होंगे तब क्रिकेट महल्ला स्तर पर इफरात से खेला जाता था. तब बेशरम की डंडी स्टम्प और कपड़े धोने वाली मोगरी बल्ले का काम करती थी. रबर की गेंद से मैच खेलते बच्चे लाला अमरनाथ और सुनील गावस्कर बनने के सपने लिए गलियों में प्रतिभा बिखेरा करते थे. जो थोड़ाबहुत पैसे वाला बच्चा फिश कवर का बैट और कौर्क की बौल ले आता था उसे उसी रईसी के आधार पर मैच के पहले ही मैन आफ द मैच घोषित कर दिया जाता था और अकसर आउट भी चौथी बार में माना जाता था.

हेमंत सोरेन अब मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने रांची के बिरसा मुंडा स्टेडियम में 2 फ्रैंडली मैच आयोजित कर डाले, जिन पर बिना टैंडर्स के ही ज्यादा नहीं कोई 42 लाख रुपए खर्च हुए. मीडियाकर्मियों और विधायकों ने सचिन और धोनी बनने का अपना सपना पूरा कर लिया लेकिन मैन आफ द मैच महज 11 रन बनाने वाले मुख्यमंत्री ही घोषित किए गए क्योंकि बैट-विकेट वगैरह उन्हीं के थे. अब इस फुजूलखर्ची पर धार्मिक जलसों में अरबों फूंक देने वाली भाजपा बवाल मचा रही है तो मचाती रहे, फर्क किसे पड़ता है.

सिर पर टोपी लाल…

यह बात किसी से छिपी नहीं रह गई है कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाओं से ज्यादा भीड़ सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सभाओं में उमड़ रही है और वह ढो कर भी नहीं लाई जाती. इसे बदलाव के तौर पर देखे जाने की कल्पना मात्र से भगवा गैंग सिहर उठता है और हिंदूमुसलिम करने लगता है.

यही उस ने पश्चिम बंगाल में किया था और जैसे ही मोदी ने एक खास ड्रामाई अंदाज में ‘दीदी ओ दीदी…’ कहा था तो लोगों को यह बड़ी कमजोरी लगी थी. गोरखपुर के एक सरकारी कार्यक्रम में मोदीजी ने बौखला कर ‘ये लाल टोपी वाले…’ का जिक्र किया तो अखिलेश यादव का भाव सट्टा बाजार में बढ़ गया. यह एक गैरजरूरी हमला था जो अखिलेश यादव के बढ़ते कद की तरफ भी इशारा करता है.

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