‘‘जी, कहिए.’’
‘‘जैसे मूवी में पुलिस सायरन बजाती आती है ताकि अपराधी को भागने का अवसर मिल जाए ठीक वैसे ही जगहजगह लगे आप के सीसीटीवी कैमरे हैं... जहांजहां कैमरे लगे हैं वहांवहां ‘आप कैमरे की नजर में हैं’ लिखी वार्निंग क्या अपराधी को उस की कैद में आने देगी? आशा है मेरे इस प्रश्न पर आप और आप की सरकार अवश्य ध्यान देगी.
‘‘‘आप कैमरे की नजर में हैं’ के बोर्ड जगहजगह मिल जाएंगे. कहीं कैमरे चल रहे होते हैं तो कहीं बंद पड़े होते हैं, उन्हें ठीक कराने की भी किसी को फुरसत नहीं होती है. चाहे हम कितने भी उपाय कर लें, अगर अपराधी को अपराध करना है तो उस का शातिर दिमाग कोई न कोई उपाय खोज ही लेगा,’’ काफी दिनों से मन में उमड़तीघुमड़ती बात कह देने से जहां निशा के मन का बोझ कम हो गया था, वहीं उस की बात सुन कर सन्नाटा भी छा गया था. निधि के स्कूल से आने का समय हो गया था. अत: वह क्षमा मांगते हुए घर लौट आई. रोज घटती ये घटनाएं उसे चैन नहीं लेने दे रही थीं. 7 वर्षीय बच्ची हो या वयस्क लड़की. क्या लड़की सिर्फ देह भर ही है, जिसे जब चाहा, जैसे चाहा रौंदा और चलते बने? अगर किसी ने विरोध करने का प्रयास किया तो उसे रास्ते से हटाने में भी संकोच नहीं किया... निधि और दिव्या दोनों ही केसों में अपराधी अनजान नहीं थे. अगर जानपहचान वाले ही धोखा करें तो एक स्त्री क्या करे? जीवन को चलना है सो वह तो चलता ही जाता है, चाहे आंधी आए या तूफान...
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन