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एक दिन शाम के समय हम सब बैठे टीवी देख रहे थे कि एकाएक निधि ने पूछा, ‘‘ममा, रेप क्या होता है?’’

उस का प्रश्न सुन कर निशा और दीपक चौंके. ध्यान दिया तो पाया कि न्यूज चैनल में एक गैंगरेप की घटना को पूरे जोरशोर से दिखाया जा रहा था. दीपक ने तुरंत चैनल चेंज कर दिया.

‘‘ममा रेप क्या होता है?’’ उस ने पुन: अपना प्रश्न दोहराया.

‘‘निशा खाना लगा दो... कल मुझे औफिस जल्दी जाना है,’’ दीपक ने निधि का ध्यान हटाने के लिए कहा.

‘‘ओके,’’ कह कर वह उठ गई.

निधि का बारबार प्रश्न पूछना उसे आतंकित करने लगा था, पर उत्तर तो देना ही था. अंतत: उस ने कहा, ‘‘जब कोई किसी को परेशान करता है, तो उसे रेप कहते हैं.’’

‘‘जैसे उन अंकल ने मुझे किया था?’’

‘‘नहीं बेटा,’’ कहते हुए उसे सीने से लगा लिया. वह समझ गई थी कि निधि के मन का घाव अभी भरा नहीं है. उन्हें बहुत सावधानी बरतनी होगी पर इन टीवी वालों का क्या करें. इन की तो कोई न्यूज इस तरह की घटनाओं के बिना समाप्त ही नहीं होती. नित्य ऐसी घटनाओं को देख कर उसे न जाने ऐसा क्यों महसूस होने लगा था जैसे कि हमारे समाज में चारों ओर अमानुष ही अमानुष अपना डेरा जमाए हैं, जिन्होंने न केवल हमारा जीना हराम कर रखा है वरन अराजकता भी फैला रखी है. अकसर लड़कों के जन्म पर उत्सव मनाया जाता है, क्योंकि उन से वंश चलता है, उन्हें समाज का रक्षक माना जाता है पर संस्कार देने में कहां चूक हो जाती है जो वे नर से राक्षस बन जाते हैं? अपनी मांबहन समान नारियों पर दरिंदगी करते समय उन का मन उन्हें नहीं कचोटता? हम अपनी लड़कियों को तो ‘यह न करो वह न करो के बंधन में बांधते हैं पर लड़कों को क्यों नहीं? हमें अपने लड़कों को नैतिकता की शिक्षा देने का प्रयास करना होगा, क्योंकि जब तक व्यक्ति की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक अपराध कम नहीं होंगे. इस के साथ ही अपनी लड़कियों को ऐसे शातिर अपराधियों से बचाने के उपाय भी बताने होंगे.

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