दिल्ली-एनसीआर से पूना, बंगलूरू, चेन्नई आदि जगहों पर पनीर और घी भेजने का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसाई कोरोना लॉक डाउन की वजह से बर्बाद बैठे हैं.छोटे-छोटे होटल और रेस्टोरेंट चलाने वाले लोगों की चिंता बढ़ने लगी है. यहां काम करने वाले लगभग सारे कर्मचारी लॉक डाउन के चलते अपने अपने गाँव-कस्बों को लौट चुके हैं. लॉक डाउन ख़तम होने के बाद वापस लौटेंगे या नहीं कोई नहीं जानता.एक अनुमान के अनुसार लॉक डाउन यदि लंबा खींचता है तो पचास फ़ीसदी रेस्टोरेंट बंद हो जाएंगे और कई लाख लोगों का रोज़गार छिन जाएगा.इसका सीधा असर फूड डिलिवरी कारोबार पर पडेगा क्योंकि फूड डिलिवरी का कारोबार पूरी तरह से रेस्टोरेंट पर निर्भर है. रेस्टोरेंट्स के बंद होने की वजह से यह कारोबार भी बैठ जाएगा.

 

कोरोना ने पूरी दुनिया के कारोबार को चौपट कर दिया है. भारत में कोरोना वायरस की वजह से कई सेक्टर पूरी तरह से तबाह होने की कागार पर हैं.इसका सबसे ज्यादा असर फूड और ट्रैवल इंडस्ट्री पर पड़ा है.एक अनुमान के अनुसार इस साल फ़ूड इंडस्ट्री को 80 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है. इतना ही नहीं अगर लॉकडाउन लबां चला तो देश के 50 फीसदी रेस्टोरेंट हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं क्योंकि आर्थिक नुक्सान से उबार पाना उनके बस में नहीं हैं.

 

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लॉकडाउन से ऑनलाइन फूड डिलिवरी करने वाली कंपनियों का काम भी बहुत कम हो गया है. फूड डिलिवरी चेन जोमैटो और स्विग्गी का कारोबार घटकर 10 फीसदी पर आ गया है। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि कोरोना की वजह से उसके 5 लाख सदस्यों को साल 2020 में 80 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. रेस्टोरेंट सेक्टर में करीब 73 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है और एसोसिएशन का अनुमान है कि शुरुआती दौर में ही करीब 15 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे.एसोसिएशन ने मकान मालिकों, मॉल आदि के मालिकों से अनुरोध किया है कि वे जून तक रेस्टोरेंट ओनर से किराया और मेंंटेनेन्स चार्ज न मांगे.

 

गौरतलब है कि चीन में कोरोना के बाद जब बाजार खुले हैं तो वहां रेस्टोरेंट का कारोबार पहले के मुकाबले एक-तिहाई से भी कम रह गया है.चीन के इस आंकड़े को देख भारत की स्थिति के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है.दिल्ली, मुंबई, पूना, हैदराबाद जैसी जगहों पर ढाबे वाले, रेहड़ी वाले जिन पर मजदूर और कामकाजी वर्ग अपने दोनों वक़्त के खाने के लिए निर्भर हैं, लॉक डाउन के बाद कब तक वापस लौटेंगे कहा नहीं जा सकता है.ऐसे में इनको प्रतिदिन लाखों का फ़ूड मेटेरियल सप्लाई करने वालों का धंधा भी चौपट होता नज़र आ रहा है. कोरोना के बाद जब बाजार खुलेंगे उसके बाद रेस्टोरेंट और स्ट्रीट फ़ूड कारोबार का क्या हाल रहेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.

 

 

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