जब से कोरोना वैश्विक महामारी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित हुई है, तब से वे 3 बार राष्ट्र के नाम संदेश दे चुके हैं. जनता को प्रधानमंत्री से हर बार की तरह इस बार भी काफी उम्मीदें थीं कि वे गरीबों के लिए कोई राहत देंगे, लोगों के दुखदर्द कम करेंगे, आर्थिक तंगी से जूझ रही कंपनियों को उबारेंगे, कोरोना वायरस या लॉक डाउन से आई मंदी को ले कर कुछ कहेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ.

मोदी जी का अचूक फार्मूला…

उन्होंने कोरोना वायरस को मारने का अचूक फार्मूला बताया कि 5 अप्रैल को 9 मिनट दीजिए. पहले रात 9 बजे 9 मिनट घर की सभी लाइटें बंद कर अंधेरा करो, फिर मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लश लाइट घर की बालकनी में जलाएं.

इतना ही नहीं, उन्होंने सोशल डिस्टेंस को ले कर कहा, किसी को भी कहीं भी इकट्ठा नहीं होना है. सभी सिर्फ अपने दरवाजे पर खड़े हो कर मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लश जलाएं.

ऐसा लगता है कि अंधेरा करने से वायरस नहीं दिखेगा तो उस की आंखें फैल जाएंगी. फिर कुछ देर तक तेज दीए या मोबाइल फोन की फ्लश जला दो. इस रोशनी से कोरोना भाग जाएगा.

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सकंट की घड़ी में तमाशा…

यह तो नहीं पता कि इस से कोरोना भागेगा, पर यह क्या तमाशा है कि पहले खुद ही तालीथाली बजाओ, खुद ही अंधेरा करो, खुद ही रोशनी जलाओ. और बेवकूफी भरी हरकत पर गर्व भी करो.

यह तो बेवकूफ बनाने वाली बात है. ऐसा लगता है कि मोदी लोगों को नचा रहे हैं और हम लोग नाच भी रहे हैं देश की एकता के नाम पर.

अगर वे कल को कहेंगे कि इसी आग से अपना घर फूंक लो, क्या आप अपना घर भी फूंक लेंगे? न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी वाली बात हो गई और समस्या ही खत्म. और अंधभक्त ऐसा करने भी लगें तो हैरानी नहीं.

वहीं सोशल मीडिया पर भी इस तरह के तमाम मीम बन रहे हैं.  लोग कह रहे हैं कि पहले थाली बजाने से वायरस बहरा हो गया, अब लाइट बुझाने से अंधा हो जाएगा.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस बारे में कह रहे हैं कि आज फिर प्रधान शोमैन को सुना. लोगों के दुख, आर्थिक चोट के बारे में कुछ नहीं कहा गया. लॉक डाउन के बाद क्या होगा, इस पर कुछ नहीं कहा गया. वहीं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी अपने ट्वीट पर लिख रहे हैं, ‘इन मसलों पर सरकार के कदम सुनने को नहीं मिले, वायरस को रोकना-टेस्टिंग किट्स-गरीबों को खाना मुहैया कराना, मजदूरों को आर्थिक मदद करना वगैरह. दीया किसी मकसद से जलाएं, अंधविश्वास के लिए नहीं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम भी कह रहे हैं कि ‘हम आप की बात सुनेंगे और 5 अप्रैल को रात 9 बजे दीया जलाएंगे. लेकिन इस के बदले में आप भी तो अर्थशास्त्रियों की बात सुनें. हमें उम्मीद थी कि आप गरीबों के लिए राहत पैकेज का ऐलान करते, कारोबार को फिर से पटरी पर लाने की बात करते, जिन्हें निर्मला सीतारमण अपने भाषण में भूल गई थीं.

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हर किसी को मदद की जरूरत…

पी. चिदंबरम ने यह भी लिखा कि काम करने वाला हर व्यक्ति, चाहे बिजनेस के क्षेत्र से हो या फिर दिहाड़ी मजदूर, उसे मदद की जरूरत है और आर्थिक शक्ति को रीस्टार्ट करने की जरूरत है. संकेत दिखाना जरूरी है, लेकिन सख्त फैसले लेना भी जरूरी है.

अभी तो एकतरफ के बोल ही सुनने मिले हैं. लेकिन बोल तो कई निकलेंगे, पर दीए जला कर कोरोना को मारने का अचूक उपाय क्या इस से नजात दिलाएगा?  क्या इस तरह से कोरोना के खिलाफ जंग जीती जा सकती है? कोरोना को हराया जा सकता है? आम लोगों में चाहे कारोबारी हो या कामगार की दिक्कतें कम हो सकती हैं, कदापि नहीं. सिवा जनता को बरगलाने के.

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