आजकल एक स्मार्टफोन हर किसी के हाथ में देखा जाता है, क्या बच्चे, क्या युवा और क्या बुजुर्ग, इस के प्रभाव से कोई नहीं बच पाया है. स्मार्टफोन एक शौक से ज्यादा जरूरत बनता जा रहा है क्योंकि बहुत से काम ऐसे हैं जो स्मार्टफोन बड़ी ही आसानी से आप के लिए कर सकता है. अगर स्मार्टफोन की बात चल रही है तो हम इयरफोन को कैसे भूल सकते हैं, क्योंकि बिना इयरफोन तो स्मार्टफोन अधूरा ही है.
इयरफोन का इतिहास कोई बहुत प्राचीन नहीं है. 1910 में इयरफोन पहली बार प्रयोग में आया और अमेरिका ने सब से पहले इयरफोन को अपने संगीतप्रेमियों के बीच लौंच किया. इयरफोन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी काफी लोकप्रिय रहा. धीरेधीरे वौकमैन बनाने वाली कंपनी ने अपने प्रोडक्ट के एक जरूरी हिस्से के रूप में इसे बेचना शुरू किया.
2001 में इयरफोन का चलन धीरेधीरे और बढ़ गया जब मोबाइल कंपनियां स्मार्टफोन के साथ ही इयरफोन देने लगीं. आज अगर बाजार में इयरफोन लेने जाएं तो चुनाव करना आसान न होगा क्योंकि आज बाजार में बहुत से ब्रैंड उपलब्ध हैं जो बहुत अच्छी गुणवत्ता के साथसाथ कई रंगों में इयरफोन उपलब्ध कराते हैं, जो बहुत ही अच्छी आवाज प्रदान करते हैं. बाजार में अब ऐसे इयरफोन भी आ गए हैं जो कौर्डलैस अर्थात बिना तार के हैं. उन्हें प्रयोग करने के लिए स्मार्टफोन का ब्लूटूथ औन कर श्रोता बिना किसी तार की झं झट के इयरफोन का आनंद ले सकेंगे.
भारत के बाजारों में मुख्य रूप से मिलने वाले इयरफोन की कंपनियों के नाम सोनी, बोट, स्कलकैंडी, सेन्नहेइसेर, जेबरोनिक्स, जेबीएल, एएमएक्स और कीडेर हैं.
उपयुक्त इयरफोन गुणवत्ता में एकदूसरे से बढ़ कर हैं. इयरफोन बनाने वाली कंपनियां आवाज के आउटपुट तथा कान के अंदर लगने वाली घुंडी यानी इयरबड्स की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देती हैं.
स्मार्टफोन या इयरफोन खरीदने के लिए आजकल औनलाइन बाजार एक बहुत अच्छा विकल्प बना हुआ है क्योंकि यहां पर आप मात्र एक उंगली के स्पर्श से ही अपने प्रोडक्ट के बारे में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं.
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आजकल बाजार में ब्लूटूथ वाले इयरफोन भी उपलब्ध हो गए हैं जो बिना तार के झं झट के ही आप को इयरफोन का पूरा आनंद देते हैं.
इन इयरफोन की कीमत 500 रुपए से ले कर 5,000 रुपए तक होती है जोकि इन की गुणवत्ता बढ़ने के साथसाथ बढ़ती जाती है.
एक साधारण इयरफोन 400 से 700 रुपए में मिल जाता है जबकि कौर्डलैस या ब्लूटूथ वाला इयरफोन 2,500 से ले कर 5,000 रुपए के बीच आता है.
आजकल इयरफोन को थोड़ा और आधुनिक बना कर और उस के रूप में परिवर्तन कर उसे हैडफोन का नाम दे दिया गया है. इस प्रकार प्रयोगकर्ता इयरफोन बड्स के बारबार नीचे गिरने की झं झट से मुक्ति पा जाता है. वैसे इयरफोन या हैडफोन में से कौन अधिक आरामदायक है यह ग्राहक की अपनी प्रकृति पर निर्भर करता है. ग्राहकों का एक वर्ग ऐसा भी है जो इयरफोन लगाने से अधिक आराम महसूस करता है क्योंकि ऐसा कर के वह हैडफोन को अपने सिर पर रखा सा महसूस नहीं करता और मुक्त हो कर काम करता है. वहीं, दूसरी तरफ कुछ ग्राहक हेडफोन को पसंद करते हैं क्योंकि इस में लटकते हुए तार को बारबार संभालने की जरूरत नहीं पड़ती. वैसे इन दोनों ही प्रकार के यंत्र बाजार में खूब धड़ल्ले से बिक रहे हैं.
इयरफोन प्रयोग करने के फायदे
इयरफोन प्रयोग करने के अनेक फायदे हैं, मसलन आप स्मार्टफोन पर कोई मूवी देख रहे हैं तो वह आप को अत्यंत मधुर एवं साफ आवाज प्रदान कराता है.
ठीक यही बात वीडियो कौल के समय लागू होती है. यदि आप इयरफोन लगा कर कौल करते हैं तो आवाज की गुणवत्ता काफी बढ़ जाती है.
किसी भी प्रकार का संगीत सुनते समय एक अच्छे इयरफोन का किरदार काफी बड़ा हो जाता है क्योंकि इयरफोन वह बारीक से बारीक ध्वनियां भी हमारे कान में प्रेषित कर देता है जो शायद हम बिना इयरफोन के नहीं सुन पाते.
इयरफोन से होने वाले नुकसान
विज्ञान ने आज जो भी हमें दिया है उस ने हमारा जीवन बहुत आसान कर दिया है पर उस की हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है.
जिस तरह हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं ठीक उसी तरह हर अच्छाई के साथ बुराई जरूर आती है. इयरफोन भी इस का कोई अपवाद नहीं है.
एक रिसर्च के अनुसार लगातार इयरफोन का प्रयोग करने से कान के अंदर बैक्टीरिया की संख्या लगातार बढ़ने लगती है.
किसी दूसरे व्यक्ति का इयरफोन हम बिना सोचेसम झे ही ले लेते हैं पर सच तो यह है कि दूसरे व्यक्ति का इयरफोन प्रयोग करने से इन्फैक्शन की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. इसलिए हमें सिर्फ अपना इयरफोन ही प्रयोग में लाना चाहिए.
इयरफोन बड्स को लगातार कान में लगाए रखने से कान में दर्द भी हो सकता है तथा कान सुन्न भी पड़ सकता है.
इयरफोन का सब से बड़ा नुकसान जो अभी तक देखा गया है वह यह है कि सड़कों पर इयरफोन लगा कर जाते व्यक्ति अकसर ही सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं.
अभी पिछले दिनों ही समाचारों में एक लड़के के इयरफोन लगा कर रेल क्रौसिंग पार करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की बात सामने आई थी.
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लोग इयरफोन लगा कर इतना मशगूल हो जाते हैं कि फिर उन्हें दीनदुनिया की खबर भी नहीं रहती. फिर न वे किसी ट्रेन का हौर्न सुन पाते हैं और न ही किसी की आवाज, और अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं. इसलिए इयरफोन का प्रयोग गाड़ी चलाते समय या सड़क पर चलते समय बिलकुल भी नहीं करना चाहिए.
दिमाग को नुकसान
वैज्ञानिकों के अनुसार इयरफोन प्रयोग करते समय उस से विद्युत चुम्बकीय तरंगें निकलती हैं जो हमारे दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं. कुछ आधुनिक इयरफोन के वर्ग में ऐसे इयरफोन भी आ गए हैं जो बिलकुल कान के अंदर तक घुस जाते हैं और दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
यदि हम 90 डैसिबल पर कोई ध्वनि प्रतिदिन 4 घंटे सुनते हैं तो हमारे कानों को नुकसान हो सकता है. इसीलिए संगीत सुनते समय हमें आवाज का विशेष ध्यान रखना चाहिए और निश्चित अंतराल पर कानों को विश्राम भी देना चाहिए. एक सब से बड़ा नुकसान जो इयरफोन ने किया है वह है कि इस ने युवाओं को और भी एकाकी कर दिया है.
मैट्रो टे्रन में सफर करता युवावर्ग अपने कानों में इयरफोन घुसेड़े रहता है और अपने में ही डूबा रहता है. ऐसा ही दृश्य आजकल मार्केट और मौल्स में भी देखने को मिलता है.
निश्चित रूप से इयरफोन द्वारा मोबाइल या कंप्यूटर पर संगीत सुनना और वीडियो देखना अपनेआप में एक बहुत अच्छा अनुभव है, पर जिस तरह से अति हर चीज की बुरी होती है उसी तरह इस की भी है. इसलिए हमें सही और गलत के बीच की रेखा जाननी होगी, तभी हम तकनीक का सही आनंद उठा पाएंगे.