मौसम में असामान्य बदलाव यानी क्लाइमेट चेंज का असर कृषि, वन और भूमि इस्तेमाल, पानी और ऊर्जा जैसे सभी क्षेत्रों पर दिखता है. जहां एक ओर मौसम में असामान्य बदलाव को लेकर भारत की पहल सकारात्मक रही है, फिर भी इस क्षेत्र में अभी काफी कुछ करने के मौके हैं.

इसके लिए इंडिया क्लाइमेट कोलेबरेटिव निम्न कदम उठाएगा:

  • भारतीय मौसम से जुड़े समुदाय को आपस में जोड़ेगा और उन्हें मजबूती देगा
  • भारत केंद्रित मौसमी बदलाव की सोच को बढ़ावा देगा
  • व्यक्तियों और प्रकृति की मदद के लिए क्लाइमेट सौल्यूशंस मुहैया कराएगा

भारत के मौसम में बदलाव से जुड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए मुंबई में देश के 10 से ज्यादा दिग्गज उद्योगपति इंडिया क्लाइमेट कोलेबरेटिव (आईसीसी) की स्थापना के लिए साथ आए. आईसीसी के रूप में रतन एन टाटा, आनंद महिंद्रा, रोहिणी निलेकणि, नादिर गोदरेज, अदिति और रिशाद प्रेमजी, विद्या शाह और हेमेंद्र कोठारी जैसे भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज, क्लाइमेंट चेंज के साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए गंभीर कोशिश किए.

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आईसीसी के लौन्च पर टिप्पणी करते हुए टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन एन टाटा ने कहा, आईसीसी के रूप में हमारा साझा नेतृत्व दुनिया को संदेश देगा कि भारतीय  क्लाइमेट चेंज से निपटने के दिशा में जरूरी कदमों के लिए तैयार है.

आईसीसी विविध सोच, अनूठे समाधान और सामूहिक निवेश के लिए सहकारी मंच देने का इरादा रखता है. आईसीसी स्थानीय समाधानों को बढ़ावा देते हुए, सरकार, कारोबारियों, प्रभावी निवेशकों, शोध संस्थानों, वैज्ञानिकों और सिविल सोसाइटी के लोगों को आपस में जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा. ताकि सभी मिलकर अंतरराष्ट्रीय क्लाइमेट समुदाय के सहयोग से भारत के मौसमी संकट का हल निकाल सकें. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन  आनंद महिंद्रा ने कहा, वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने बताया कि वैश्विक मौसमी संकट से निबटने के लिहाज से अगला दशक बेहद नाजुक होगा. ये बेहद साफ है कि चलता है, चलने दो की सोच से इस संकट का समाधान नहीं निकाला जा सकता और कोई अकेले इसका समाधान नहीं निकाल सकता. कारोबारी जगत, सरकार और दानवीरों को साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि व्यापक पैमाने पर जल्दी नतीजे मिल सकें इंडिया क्लाइमेट कोलेबरेटिव ये लक्ष्य हासिल कर सकता है और मैं इस पहल का स्वागत करता हूं. हम साथ मिलकर हल निकालेंगे और क्लाइमेट चेंज से निबटने के लिए प्रभावी कदम उठाएंगे.

गोदरेज इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर  नादिर बी गोदरेज ने कहा, क्लाइमेंट चेंज से निपटने के लिए कारोबारी जगत काफी कुछ कर सकता है और कर भी रहा है. इसकी लागत भी बहुत ज्यादा ऊंची नहीं है. कम कार्बन उत्सर्जन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार कई तरह की छूट देने या लगाम लगाकर अपना योगदान दे सकती है. हमें ऐसे स्थानीय समाधानों की ओर रुख करना होगा, जो वैश्विक समस्याओं का समाधान कर सकें. इसके लिए कारोबारी जगत, सरकारों, शिक्षाविदों और व्यक्तियों को साथ आकर समस्या का समाधान निकालना होगा. मौसमी बदलाव की चुनौतियों से निबटने के सफल मौडल के तौर पर आईसीसी भारत के लिए एक मंच मुहैया करा सकता है.

 आईसीसी के फिलहाल 40 से ज्यादा सदस्य संगठन हैं और इसका लगातार विस्तार हो रहा है.

अग्रणी सरकारी एजेंसियां, कारोबारी, वैज्ञामिक संस्थान और विश्वविद्यालय, इसके सदस्य हैं. इनमें भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकर, द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (टीईआरआई), द अशोका ट्रस्ट फौर रिसर्च औन इकोलौजी एंड इनवायर्नमेंट (एटीआरईई), द सेंटर फौर पौलिसी रिसर्च (सीपीआर), द काउंसिल औन एनवार्नमेंट, एनर्जी एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू), सेंटर फौर साइंस एंड इनवायर्नमेंट (सीएसई), द नेचर कंजरवेंसी (टीएनसी इंडिया) वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई), आईआईटी-दिल्ली, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी), आईडीएच सस्टेनेबल ट्रेड इस्टिट्यूट, शक्ति फाउंडेशन, डेलबर्ग एडवाइजर्स, इंटेलेकैप, महिंद्रा ग्रुप, विप्रो, गोदरेज इंडस्ट्री और एचयूएल फाउंडेशन जैसे कई अहम संगठन और संस्थान शामिल हैं.

 इसके साथ ही स्वदेश फाउंडेशन, सैंक्चुरी एशिया फाउंडेशन, मोंगाबे-इंडिया, इंडियन डेवलपमेंट रिव्यू (आईडीआर), पीपुल्स आर्काइव फॉर रूरल इंडिया (परी), क्लाइमेट कलेक्टिव फाउंडेशन, सेल्को और फाउंडेशन फौर इकोलौजिकल सिक्योरिटी (एफईएस) जैसे दूसरे गैर-लाभकारी संगठन भी आईसीसी में शामिल हैं.

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 वैश्विक और राष्ट्रीय कोलेबरेटिव प्लेटफौर्म और नेटवर्क मसलन, एको नेटवर्क, एशियन वेंचर्स फिलेंथ्रॉपी नेटवर्क (एवीपीएन), दासरा, संकल्प फोरम, फोरम फौर द फ्यूचर, द क्लाइमेट एंड लैंड यूज एलायंस (सीएलयूए) और ग्लोबल एडवाइजरी फॉर द फ्यूचर ऑफ फूड (जीएएफएफ) भी आईसीसी के साथ जुड़े हैं.

इडेलगिव फाउंडेशन की सीईओ,  विद्या शाह ने कहा, भारत की विविधतापूर्ण भौगोलिक स्थिति, कृषि पर निर्भरता और तीव्र औद्योगकीकरण की वजह से आर्थिक विकास पर क्लाइमेट चेंज के नाटकीय असर को समझने का मौका मिलता है. क्लाइमेंट चेंज पर चर्चा का बिंदु अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों के बजाए ग्रामीण भारत को बनाए की जरूरत है. मौसमी बदलावों की वजह से इन इलाकों में रोजगार का नुकसान हुआ है. इडेलगिव फाउंडेशन ने ऐसे सौल्यूशंस में लगातार निवेश किया है, जो इस तरह के नुकसान को कम कर सकें और समुदायों को मजबूत बना सकें. हम इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आईसीसी को एक शानदार मंच के तौर पर देख रहे हैं.

 कृषि, फौसिल फ्यूल पर अधिक निर्भरता और लंबी तटीय रेखा के कारण भारत पर जयवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा है. जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान, घटती बारिश और बेमौसम सर्दी-गर्मी जैसे शुरुआती असर का सामना हम कर रहे हैं. अगर हम अभी नहीं चेते तो भारत गंभीर संकट में होगा. 2018 में मौसम की वजह से दुनिया में होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा भारत में हुईं. वहीं जलवायु परिवर्तन के सबसे ज्यादा खतरों की 181 देशों की लिस्ट में भारत का स्थान पांचवा है. अप्रैल 2019 के दौरान भारत का करीब 42% हिस्सा सूखे से प्रभावित रहा, इससे कृषि संकट और गहराया. 1980 के बाद से भारत में मौसम में बढ़ रही गर्मी की वजह से करीब 60,000 लोगों को आत्महत्या करनी पड़ी. पिछले 20 सालों में वायु प्रदूषण से जुड़ी मौतों में 150% की बढ़ोतरी हुई है. अकेले 2017 में वायु प्रदूषण की वजह से 12 लाख लोगों की मौत हुई. 2018 में जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत को 37 अरब डौलर का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. अकेले बाढ़ की वजह से 2.8 अरब डौलर का नुकसान हुआ.

रोहिणी नीलेकणि ने इस मौके पर कहा, “ऐसा लगता है कि जलवायु परिवर्तन हम पर पहले ही हावी हो चुका है भारत में हमें हालात से निबटने के लिए गंभीर रूप से तैयार रखना होगा. साथ ही विकास की रफ्तार को कायम रखने के लिए अनूठी और बहुआयामी रणनीति तैयार रखनी होगी. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि अर्थव्यवस्था इस तरह विकास करे जिससे भविष्य में रोजगार पैदा हो और हमारे प्राकृतिक पारिस्थिक तंत्र की रक्षा की जा सके.”

हवा, पानी और जमीन से जुड़े थीम पर आईसीसी भियान चलाएगा ताकि भारतीय जलवायु संकट और आईसीसी के सदस्यों से जुड़े मुद्दों को कवर किया जा सके. भारत में वायु प्रदूषण से निबटने के लिए आने वाले महीने में आईसीसी खास अभियान चलाएगा.  राजस्थान सरकार के अधिकारियों के लिए जलवायु परिवर्तन पर तकनीकी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा. इसके अलावा दानशीलता के जरिए समाज कैसे जलवायु परिवर्तन से निपट सकता है, इस पर एक शोध भी लौन्च होगा.

2019 में, आईसीसी ने सस्टेनेबल लैंड यूज फोरम की मेजबानी की थी. फोरम में इस सेक्टर के 100 से अधिक भागीदारों का जुड़ना आईसीसी की ताकत और सोच को दर्शाता है. इसमें लैंड यूज की रणनीति और उसका दूसरे क्षेत्रों को होने वाले फायदे पर चर्चा हुई. इससे आईसीसी और उसके सहयोगियों के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने के नए रास्ते और विचार उभरकर सामने आए .

टाटा ट्रस्ट में  सस्टेनेबिलिटी पोर्टफोलियो की स्थापना और नेतृत्व करने वाले  श्लोका नाथ को  इंडिया क्लाइमेट कोलेबरेटिव का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है.  श्लोाका नाथ के मुताबिक, “हमारे पास हवा को साफ करने और पानी सप्लाई व्यवस्थित करने का मौका है. उनका ये भी कहना है कि हम एक साथ काम करें तो भविष्य में भारत में स्वच्छता से जुड़ी नौकरियां लाई जा सकेंगी. इसके लिए वैसी पौलिसी, मानव संसाधन और संस्थाओं में निवेश की जरूरत है, जो पर्यावरण के अनुकूल बदलावों के लिए काम करते हैं. जलवायु परिवर्तन से जिस तरह से हम निपटेंगे वो अनूठा और दूसरों से बेहद अलग कहानी होगी.”

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