कई हिट फिल्में देने वाले अक्षय खन्ना बड़े परदे पर सिर्फ पौजिटिव ही नहीं बल्कि नैगेटिव किरदार भी उम्दा तरीके से निभा रहे हैं. वे कौमेडी, ऐक्शन, थ्रिलर के साथसाथ रोमांटिक फिल्मों में काम कर चुके हैं. इन दिनों वे फिल्म ‘सब कुशल मंगल’ को लेकर चर्चा में हैं.

फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ से हिंदी फिल्म में डैब्यू करने वाले अभिनेता अक्षय खन्ना, 70 और 80 के दशकों के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना के बेटे हैं. इस फिल्म को उन के पिता ने ही प्रोड्यूस किया था. इस के बाद अक्षय ने कई फिल्में कीं. उन्होंने कौमेडी से ले कर रोमांटिक और नैगेटिव हर तरीके की फिल्मों में काम किया है. वे आज भी अकेले हैं और अकेले ही जीवन बिताना पसंद करते हैं. उन्होंने आज तक जो भी काम किया उस को सफल मानते हैं. वे बोलते कम हैं और अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना पसंद करते हैं. उन की फिल्म ‘सब कुशल मंगल’ रिलीज पर है. इस में वे अपनी अलग भूमिका को ले कर बहुत खुश हैं.

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उन से बातचीत के दौरान पूछने पर कि आप के जीवन का कुशल मंगल क्या है, तो वे बोले, ‘‘मुझे आज भी काम करने का मौका मिलना ही मेरे जीवन का कुशल मंगल है. अच्छीअच्छी स्क्रिप्ट्स मुझे आज मिल रही हैं.’’

फिल्म ‘सब कुशल मंगल’ को करने की खास वजह क्या रही? इस सवाल पर अक्षय खन्ना बताते हैं, ‘‘इस की कहानी बहुत अलग है. इस तरह की भूमिका मैं ने पहले कभी की नहीं है. 2 नए कलाकार मेरे साथ डैब्यू कर रहे हैं. ये सब मेरे लिए खास और नया है. जो मैं हर फिल्म में खोजता हूं वह इस में मिल रहा था, इसलिए न कहने की कोई गुंजाइश नहीं थी.’’

आप अपने अभिनय की जर्नी को कैसे देखते हैं, कोई मलाल अभी भी रह गया है क्या? इस पर अक्षय कहते हैं, ‘‘मुझे लगता है मैं अगर 20 साल और भी काम करूं तो भी मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी. कलाकार का सफर कभी खुदबखुद समाप्त नहीं होता. इस में उतारचढ़ाव तो आते रहते हैं, जो जिंदगी का एक पहलू है. इसे मैं अधिक सीरियसली नहीं लेता. नकारात्मक बातों पर अधिक फोकस नहीं करता क्योंकि उस से कोई फायदा नहीं होता.’’

नए कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? इस पर वे यों बताते हैं, ‘‘मैं इन के लिए बहुत प्रोटैक्टिव रहता हूं और चाहता हूं कि इन के साथ कुछ गलत न हो. फिल्म सफल हो, उन का काम सब को पसंद आए, ताकि उन की जर्नी आगे अच्छी हो. बस, यही अनुभव रहा है.’’

किसी फिल्म के लिए कितनी तैयारी करनी पड़ती है? इस पर वे अपना मत यों जाहिर करते हैं, ‘‘आज भी तैयारी और मेहनत करनी पड़ती है. हर निर्देशक की कहानी अलग होती है और मुझे उस के मुताबिक काम करने की जरूरत होती है. अभिनय के साथसाथ यह एक व्यवसाय भी होता है, जिस का ध्यान मैं हमेशा रखता हूं. निर्देशक के अनुसार काम करने का डर अभी भी रहता है. सैट पर मैं कई बार नर्वस भी हो जाता हूं. मैं कभी अपने निर्देशक को निराश नहीं देखना चाहता.’’

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इस फिल्म में निर्देशक से ले कर कलाकार सभी नए हैं, ऐसे में आप उन्हें कितनी सहजता प्रदान करते हैं ताकि उन्हें आप को निर्देश देने में कोई प्रैशर महसूस न हो? इस सवाल पर अक्षय मुसकराते हैं, बोलते हैं, ‘‘क्रिएटिव फील्ड में किसी का किसी के ऊपर प्रैशर होने पर काम करना मुश्किल होता है. प्रैशर को घर पर छोड़ कर आना पड़ता है.’’

आजकल फिल्मों से मनोरंजन गायब होता जा रहा है, इस की जगह समाज की डार्क साइड या  किसी अप्रत्याशित व डरावनी घटनाएं ले रही हैं, इस की क्या वजह मानते हैं? हमारे इस प्रश्न पर वे थोड़ा गंभीर हुए, फिर बोले, ‘‘फील गुड वाली फिल्में आज भी बन रही हैं, लेकिन रियलिस्टिक फिल्में पहले भी बनती थीं. इसे दिखाना और समझना दर्शकों के लिए आवश्यक है. इस से बच कर हम कही नहीं जा सकते. समाज को हर तरह से देखने की जरूरत है.’’

आप ने बीच में थोड़ा ब्रेक लिया और फिर काम शुरू किया, इस की वजह क्या रही? हमारी इस बात पर भी वे मुसकराए, फिर बोले, ‘‘मैं ने हमेशा अच्छी फिल्मों की स्क्रिप्ट चाही है, कभी मिलती है तो कभी नहीं. इसे मिलने में कई बार सालों लग जाते हैं. इस से मेरा काम कम हो जाता है. जो मुझे औफर मिलता है उस में से कुछ अच्छा खोज लेता हूं.’’

आप के हमेशा लो प्रोफाइल रहने की वजह क्या है? इस पर वे कुछ सोचते हुए बोले, ‘‘मैं अपनी जिंदगी लो प्रोफाइल तरीके से ही जीना चाहता हूं. मैं हाई प्रोफाइल इंसान नहीं हूं. मुझे उसी में कंफर्ट फील होता है और यह ब्लडप्रैशर के लिए भी अच्छा होता है.’’

आप की फिटनैस का राज क्या है? इस पर वे हंसे और बताया, ‘‘सही समय पर खाना, सोना, उठना, व्यायाम करना आदि करता हूं. इस के लिए मैं मेहनत बहुत करता हूं.’’

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आप अपने पिता की किस सीख को अपने जीवन में उतारते हैं? मेरे यह कहने पर वे तुरंत बोले, ‘‘मेरे पिता कभी ज्ञान नहीं बांटते थे. वे जियो और जीने दो पर विश्वास करते थे. वे नौन जजमैंटल इंसान थे. वे कभी किसी की आलोचना नहीं करते थे. जो ठीक लगे, उसे करने की  सलाह देते थे. उन्होंने अपनी जिंदगी को उसी तरह से जिया है.’’

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