लिव इन रिलेशनशिप, जो मूलतः पश्चिमी देशों का चलन है. अब भारत में भी तेजी से चलन में आ रहा है . लिव इन महानगरों में शौक में कम जरूरत पर ज्यादा आधारित होता है. लिव इन का साधारण सा मतलब है कि बालिग हो चुके लड़के और लड़की सहमति के आधार पर एक साथ एक छत के नीचे रह सकते हैं, जहां संबंध उनकी मर्जी पर ही बिना शादी के बंधन में बंधे होते हैं .

अगर पारम्परिक भारत की नजर से देखा जाए तो अनुचित और गलत शुरुआत लगती है. मगर इसे महानगरों के सन्दर्भ में देखे तो अब भागमभाग जिंदगी में ऐसे रिश्ते एक जरूरत से बन गए हैं. शहरों में नौकरी और पढ़ाई के लिए आए युवक/युवतियों की जरूरतें ज्यादा और पैसे कम होते हैं जहां आसानी से वो अपने मेल पार्टनर के साथ किराये के साथ हर खर्चे को बांट सकती है .

लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग कई बार विवाह भी करते हैं . इसके साथ एक और परंपरा खासकर फिल्मी जगत में चल पड़ी है कि शादी से पहले लिव इन में रहकर एक दूसरे को जानने समझने की, बहुत हद तक ठीक भी है मगर लिव इन में रहने के बाद समझ बूझ कर शादी करने पर भी आपका पार्टनर से शादी चल पाएगी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है.

जरूरी है बच्चों की रिस्पैक्ट का ध्यान रखना

जरूरत से शुरू हुए ऐसे रिश्ते अब मौज मस्ती और शारीरिक जरूरत को पूरा करने का एक जरिया भी बन चुके हैं. इसमें शारीरिक हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसे अपराध भी जन्म लेने लगे हैं . सहमति से साथ आए दो लोग किसी भी छोटी सी बात पर असहमति होने पर आरोप प्रत्यारोप तक बात आ पहुंचती है .

ऐसे रिश्ते की नाजुकता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ कानून भी बनाए हैं ताकि सामाजिक अव्यवस्था न फैले. कभी कभी ऐसा भी होता है कि लड़के या लड़की में से किसी भी एक का भावनात्मक लगाव ज्यादा होता है और वो साथ रहना या शादी करना चाहते हैं मगर दूसरा किसी भी बंधन में आने से इंकार करता है तो उस समय एक के लिए स्थिति बहुत विकट हो जाती है या कई बार लोग शादी की बात करके लिव इन रिलेशनशिप में रहने को राजी करते हैं और अपनी यौन इच्छा पूरी करने के बाद छोड़ कर निकलने में गुरेज नहीं करते वजह साफ है कि कोई सामाजिक या कानूनी बंधन नहीं है इसलिए भी कानूनी संरक्षण जरूरी बन जाता है लिव इन रिश्तों पर भी.

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आइए कुछ कानूनी पहलुओं पर भी नज़र डालते हैं जो कोर्ट द्वारा तय किए गए हैं –

1. लिव इन रिलेशनशिप में घरेलू हिंसा से संरक्षण प्राप्त है मतलब अगर लिव इन पार्टनर मार पीट करता है तो आप कानूनी सहायता ले सकती है .

2. अगर लिव इन से बच्चे का जन्म हो जाता है तो उसे पिता की सम्पत्ति से सभी जायज अधिकार प्राप्त होंगे. हां मगर लड़की को कानूनी रूप से पत्नी का दर्जा नहीं दिया जाएगा. लड़का या लड़की दोनों को ही अपनी शादी करने का अधिकार है.  बच्चा किसके साथ रहेगा ये दोनों मिलकर तय कर सकते हैं या कोर्ट भी जा सकते हैं .

3. लड़की भी गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है ये तब तक मिलेगा जब तक लड़की कहीं और शादी नहीं कर लेती या लड़के की मृत्यु हो जाने की स्थिति में भी गुजारा भत्ता बंद हो जाएगा.. लड़के की सम्पत्ति में लड़की दावा नहीं कर सकती .

4. अगर आप विदेश में लिव इन में रह रहे हैं या विदेशी व्यक्ति के साथ रह रहे हैं तो कानूनी संरक्षण भी वही का स्थानीय कानून से ही मिलेगा .

ध्यान रहे कि आपके लिव इन पार्टनर का बालिग होना बहुत जरूरी है मतलब लड़की 18 साल और लड़का 21 साल.. अन्यथा आप को कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है..

अगर लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला लेते हैं तो लड़की और लड़के दोनों को चाहिए कि वो अपनी अपनी priority तय कर ले . एक दूसरे का प्राथमिकता भी चेक कर लें और भविष्य के लिहाज से भी तय कर लें कि शादी के बंधन में बंधना है या नहीं.. स्पष्ट रूप से ये बात एक दूसरे के सामने रखे. शादी के वादे के बाद लिव इन रिलेशनशिप में रहकर शादी से मुकरने पर भी आप पर कानूनी रूप से कार्रवाई हो सकती है. इस बात का हमेशा ख्याल रखे. बाकी सभी रिश्तों की तरह लिव इन भी समाज का चलन बनता जा रहा है तो उसे एक स्वस्थ्य रिश्ते की तरह ही निभाने की बात होनी चाहिए.

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