कार्ल पिकहार्डट एक मनोवैज्ञानिक और लेखक हैं जिन्होंने पेरेंटिंग पर 15 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. उन का कहना है कि जिस बच्चे में आत्मविश्वास नहीं होता वह कुछ भी नया या चुनौती भरा काम करने से हिचकिचाता है. क्योंकि उसे नाकामयाब होने का डर रहता है. इस से बड़ा हो कर भी वह बच्चा दूसरों से पीछे रह जाता है और एक सफल करियर नहीं बना पाता.

एक अभिभावक के रूप में आप को हमेशा अपने बच्चे का सपोर्ट करना चाहिए. उसे हर काम के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें बच्चे से कभी भी नहीं कहना चाहिए क्योंकि ऐसी बातें उस के आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाती हैं.

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  1. लड़के/लड़कियां ऐसा नहीं करते

एक बच्चा सिर्फ एक मासूम बच्चा होता है. वह लड़का या लड़की नहीं होता. उसे जेंडर रूल्स न सिखाएं. उसे जो करना पसंद है उसे करने दें. किसी चीज को जानना चाहता है तो जानने दें.

उदाहरण के लिए आप का बेटा किचन में रोटी बनाने की कोशिश करे तो यह कहने की जरूरत नहीं लड़के रोटी नहीं बनाते. उलटा उस के प्रयास की सराहना करें. ताकि बचपन से उस के मन में लड़का होने का दंभ न भर जाए.

  1.  मुझ से बात मत करो

अपने बच्चे के साथ बातचीत का मार्ग हमेशा खुला रखें. उसे कभी भी बात/बहस न करने की बात नहीं करें. उन्हें सवाल करने और जिज्ञासा जाहिर करने की छूट हमेशा दें. उन्हें मौका दें कि वे विभिन्न मुद्दों पर अपने मन की बात सामने रखें कि वे क्या चाहते या सोचते हैं.

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