मशहूर शायर फिरदौस ने लिखा था कि, ‘गर फिरदौस बर रूए जमीं अस्त, हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्तो’. इस का अर्थ है कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है. फारसी के शायर फिरदौस की इन लाइनों से कश्मीर के महत्त्व को समझा जा सकता है.
इस के साथ ही साथ अगर आधुनिक विकास के आंकड़ों को देखें तो भी जम्मूकश्मीर देश के तमाम विकसित राज्यों के कहीं समकक्ष तो कहीं बेहतर खड़ा नजर आता है. जिस से साफ है कि अनुच्छेद 370 जम्मूकश्मीर के विकास में बाधक नहीं था. सिक्के का दूसरा पहलू यह भी बताता है कि जब पूरा देश मंदी के माहौल में है तो केवल जम्मूकश्मीर में ही विकास किया जाएगा, यह बात बेमानी सी लगती है.
कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद जम्मूकश्मीर को 2 राज्यों जम्मूकश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया है. अनुच्छेद 370 खत्म होने का सब से बड़ा सब्जबाग यह दिखाया जा रहा है कि अब वहां सस्ती जमीन मिलेगी और वहां बड़े स्तर पर उद्योगपति निवेश करेंगे, जिस से 2025 तक कश्मीर स्वर्ग बन जाएगा. इस के लिए अब केंद्र सरकार कश्मीर में इन्वैस्टर मीट अक्तूबर में कराने जा रही थी, लेकिन फिलहाल टल गई है.
कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने घोषणा कर दी है कि कश्मीर में 50 हजार नौकरियां दी जाएंगी. कश्मीर के विकास को ले कर केंद्र सरकार जो छवि पेश कर रही है, उस के अनुसार, कश्मीर बेहद अविकसित प्रदेशों में शुमार था. अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में विकास की गंगा बहेगी. कश्मीर की जमीन पर पूरे देश के उद्योगपतियों की नजर लगी है.
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कश्मीर को ले कर पूरे देश की एक ही धारणा है कि वहां केवल पर्यटन उद्योग और सेब की बागबानी पर ही पूरी आर्थिक व्यवस्था टिकी है. कश्मीर में तमाम दूसरे तरह के खनिज मिलते हैं जो पूरे देश में कहीं दूसरी जगह नहीं मिलते. इन में चूना, पत्थर, संगमरमर, जिप्सम, ग्रेनाइट, बौक्साइट, डोलोमाइट, कोयला और सीसा प्रमुख रूप से उल्लखनीय हैं. इस तरह के कारोबार को करने वालों के लिए कश्मीर बिजनैस की नजर से स्वर्ग लग रहा है.
कश्मीर में भूमि सुधार कानून लागू था, जिस की वजह से देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले यहां की भूमि पर सुधार का असर अधिक पड़ा. आंकड़े भी इस अंतर को बताते हैं. 2010-11 में जम्मूकश्मीर में ग्रामीण गरीबी का अनुपात 8.1 था, जबकि पूरे देश में यह 33.8 था. जम्मूकश्मीर में देश के कुल सेब उत्पादन का 77 फीसदी हिस्सा पैदा होता है.
गरीबी रेखा के आंकडे़ को देखें तो जहां पूरे देश की 21 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है वहीं जम्मू कश्मीर में केवल 10 फीसदी आबादी ही गरीबीरेखा के नीचे रहती है. 2011 में जम्मूकश्मीर में साक्षरता दर 68.74 फीसदी थी, जो देश के किसी भी विकसित राज्य के मुकाबले कम नहीं है. जम्मूकश्मीर राज्य राष्ट्रीय विकास के सूचकांक के दूसरे कई बिंदुओं पर देश के विकसित राज्यों से पीछे नहीं है. स्वास्थ्य से जुड़े कई मामलों में तो वह देश के विकसित राज्यों से बेहतर हालत में है. 5 साल से कम आयु के बच्चों की औसत मृत्युदर पूरे देश में 36 प्रतिहजार है जबकि जम्मूकश्मीर में यह आंकड़ा 35 प्रतिहजार ही है. बिजली, स्वच्छ पेयजल, साफसफाई खाना बनाने में अच्छे ईंधन का प्रयोग जम्मूकश्मीर में देश के दूसरे राज्यों उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से बेहतर है.
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को ले कर कई किस्म की भ्रांतियां पूरे देश में फैली हुई हैं. सब से बड़ी धारणा यह थी कि देश का सब से अधिक पैसा जम्मूकश्मीर को जा रहा है. दूसरे शब्दों में कहें तो पूरा देश मिल कर जम्मूकश्मीर का पालनपोषण कर रहा था. असल बात इस से अलग है. विशेष राज्य का दर्जा केवल जम्मूकश्मीर को ही नहीं मिला था. पिछले कुछ सालों में विशेष राज्य का दर्जा वाले दूसरे प्रदेशों, जैसे अरुणाचल और सिक्किम से कम सहायता जम्मूकश्मीर को मिलती थी. देश में भूमिहीनों की संख्या गांव में रहने वालों की एकतिहाई है, जबकि जम्मूकश्मीर में भूमिहीनों की संख्या केवल गांव की आबादी की 2 फीसदी ही है.
देश में ऐसा माहौल बन रहा है जैसे कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद विकास की गति बढ़ जाएगी. पूरे देश में मंदी का माहौल है. बेरोजगारी की दर 45 सालों में सब से अधिक है. मंदी के इस दौर में पूरे देश को छोड़ कर केवल जम्मूकश्मीर में विकास होगा, यह सही नहीं लगता. जब पूरे देश में उद्योग जगत संकट में है तो केवल जम्मूकश्मीर में वह लाभ देगा, यह समझ से परे है. ऐसे में जम्मूकश्मीर में होने वाली इन्वैस्टर समिट का क्या असर होगा, आसानी से समझा जा सकता है.
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इन्वेस्टर समिट का सब्जबाग
कश्मीर ऐसा पहला प्रदेश नहीं है जहां इन्वैस्टर समिट आयोजित किए जाने की बात की जा रही है. इस के पहले भी गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में इन्वैस्टर समिट पूरे जोरशोर से हो चुकी हैं. उत्तर प्रदेश में पहली इन्वेस्टर समिट 2018 में हुई, जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में पहली बार बहुमत वाली सरकार बनी. इस में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित थे. 2019 में दूसरी इन्वैस्टर समिट हुई, जिस में केंद्र के गृहमंत्री अमित शाह ने हिस्सा लिया.
2 साल में हुईं 2 इन्वैस्टर समिट के बाद भी उत्तर प्रदेश के धरातल पर विकास का कोई काम होता नहीं दिखा जिस का वादा इन्वैस्टर समिट में किया गया था. प्रदेश में बेरोजगारी, अपराध और गरीबी पहले की ही तरह कायम है. काम धंधों पर भी इन्वैस्टर समिट का प्रभाव नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश के कुटीर उद्योग वाले जिलों आगरा, वाराणसी, भदोही, कानपुर, अलीगढ़, फिरोजाबाद और मुरादाबाद के उद्योगधंधे बेहाल हैं. नोटबंदी और जीएसटी ने इन को और भी अधिक बेहाल कर दिया है. 2018 के इन्वैस्टर समिट के समय बहुजन समाज पार्टी की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था, ‘जनता की गाढ़ी कमाई का अरबों रुपया खर्च कर के इन्वैस्टर मीट हुई. यह इन्वैस्टर्स समिट राजनीतिक अखाड़ेबाजी के साथसाथ ‘शोबाजी’ मात्र बन कर रह जाएगी.’
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इन्वैस्टर्स समिट पर खर्च किए गए धन से गरीबों, मजदूरों तथा बेरोजगार युवाओं व बाकी जनता के कल्याण के अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य हो सकते थे. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र तथा कई अन्य राज्यों के बाद अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार पर भी निवेशक सम्मेलन का बुखार चढ़ गया है. पूरी सरकार इसे ही सब से बड़ी जनसेवा और विकट जनसमस्याओं का हल मान कर व्यस्त रही और सरकारी धन को पानी की तरह बहाया गया. असल में इन्वैस्टर्स समिट भाजपा सरकार की घोर नाकामियों से ध्यान हटाने का जरिया भी बन गई है.
योगी सरकार के कार्यकाल के ढाई साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर विकास कहीं नहीं दिख रहा. ऐसे में यह सवाल बनता है कि जब उद्योगपति उत्तर प्रदेश में निवेश नहीं कर सके तो वे कश्मीर में क्या निवेश करेंगे? कश्मीर की इन्वैस्टर्स समिट भी उत्तर प्रदेश की तरह कहीं दिखावा ही बन कर न रह जाए. कश्मीर में होने जा रहे इन्वैस्टर्स समिट के औचित्य को समझने के लिए उत्तर प्रदेश इन्वैस्टर्स समिट के समय उद्योगपतियों और नेताओं के बयानों व वादों को फिर से याद करने की जरूरत है कि उस समय क्या क्या हुआ था?
इन्वैस्टर्स मीट और खर्च
उत्तर प्रदेश निवेशक सम्मेलन 2018 (इन्वैस्टर्स समिट) के लिए राजधानी के सौंदर्यीकरण पर 65 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई. जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सम्मेलन के लिए राजधानी के सौंदर्यीकरण पर 66.15 करोड़ रुपए खर्च हुए. इस में लखनऊ नगर निगम ने सब से अधिक 24.25 करोड़ रुपए खर्च किए. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने लगभग 13.08 करोड़ रुपए खर्च किए. लोक निर्माण विभाग ने 12.58 करोड़ रुपए खर्च किए. राज्य में होने वाला यह अब तक का सब से बड़ा सम्मेलन था. इस के लिए 22 चार्टर्ड विमान, 12 से अधिक लक्जरी होटलों में 300 कमरों की व्यवस्था की गई थी. पूरे शहर में होर्डिंग व पोस्टर लगाए गए और रंगबिरंगी रोशनी से राजधानी को सजाया गया.
इस 65 करोड़ रुपए के खर्च में इस समारोह के प्रचार और 6 मैट्रो शहरों (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद और अहमदाबाद) में हुए रोडशो के खर्च को नहीं जोड़ा गया है. इस के अलावा विभिन्न मंत्रियों और अधिकारियों की अलगअलग टीमें अहमदाबाद सहित कई शहरों में उद्योगपतियों से मिलने और उन के यहां हुए निवेशक सम्मेलनों के बारे में समझने गई थीं. सम्मेलन की तैयारियों, प्रचार और ट्रांसपोर्ट को मिला कर सम्मलेन का कुल खर्च 1 अरब रुपए के करीब होगा.
विपक्ष ने इसे धन की बरबादी बताया. विपक्षी सपा और बसपा ने राज्य सरकार पर निवेशक सम्मेलन के नाम पर धन की बरबादी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस धन का इस्तेमाल गरीबों के कल्याण के लिए किया जा सकता था. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उद्योगधंधे लगवाने के लिए कानूनव्यवस्था का दुरुस्त होना जरूरी है. मगर मौजूदा हालात में तो ऐसा नहीं लगता कि निवेशक यहां आने में रुचि लेंगे.
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सपा ने कहा कि बड़ी शानोशौकत के साथ भाजपा ने राजधानी लखनऊ में निवेशकों का जो मेला आयोजित किया, उस में निवेशकों की ओर से वादे तो बड़ेबड़े किए गए लेकिन उन में से कितने जमीनी हकीकत बनेंगे, कहना मुश्किल है. सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘यह संयोग ऐसे ही नहीं है कि एक ओर भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपए विज्ञापन और शहर की साफसफाई व सुरक्षा व्यवस्था पर खर्च कर वाहवाही लूटने की कोशिश की है. आज 2 साल के बाद विपक्ष की बात सच साबित होती नजर आ रही है.
यूपी इन्वैस्टर्स समिट
पीएम मोदी की मौजूदगी में योगी सरकार ने पहली यूपी इन्वैस्टर्स समिट 2018 का आगाज किया था. इस मौके पर पीएम मोदी और कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा योगी सरकार की पूरी कैबिनेट मौजूद थी. इस के अलावा यूपी सरकार के इस मंच पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, अडानी गु्रप के गौतम अडानी, एस्सेल गु्रप के सुभाष चंद्रा, आदित्य बिड़ला गु्रप के कुमार मंगलम बिड़ला, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, कैडिला हैल्थकेयर के चेयरमैन पंकज पटेल, अपोलो हौस्पिटल की शोभना कामनी, इंडलवाइस गु्रप के चेयरमैन रमेश शाह और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन मौजूद थे.
पीएम मोदी द्वारा इन्वैस्टर्स समिट का उद्घाटन करने के बाद सब से पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपनी कंपनी के निवेश का ऐलान किया. मुकेश अंबानी ने एक तरफ यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को कर्मयोगी बताया तो वहीं दूसरी तरफ पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन के ईज औफ लिविंग से खुद को प्रेरित बताया. अंबानी ने जियो के प्लैटफौर्म से आने वाले 3 सालों में यूपी में 10,000 करोड़ रुपए के निवेश का वादा किया है.
मुकेश अंबानी ने कहा कि 2018 के अंत तक जियो यूपी के हर गांव तक पहुंच जाएगा. अंबानी के बाद गौतम अडानी ने भी पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने इस तरह के कार्यक्रम गुजरात में शुरू किए थे. इस के बाद कई राज्यों में इस तरह के कार्यक्रम किए गए. अडानी गु्रप में यूपी में 5 सालों के भीतर करीब 35,000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा. अडानी गु्रप ने यूपी में मैट्रो परियोजना, यूनिवर्सिटी खोलने और फूड पार्क खोलने की भी बात कही.
आदित्य बिड़ला गु्रप के कुमार मंगलम बिड़ला ने यूपी में 25,000 करोड़ रुपए के निवेश की बात कही. आनंद महिंद्रा ने कहा कि उन की मां यूपी की ही हैं. उन्होंने कहा कि यूपी की तुलना राज्य से नहीं, देशों से की जानी चाहिए.
यूपी सरकार ने इन्वैस्टर्स समिट के माध्यम से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में करीब 3 लाख करोड़ रुपए का निवेश जुटाने का लक्ष्य रखा है. समिट के माध्यम से प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर सैक्टर में करीब एक लाख करोड़ रुपए का निवेश कराया जाएगा. इस के अलावा हैल्थकेयर सैक्टर और पावर सैक्टर में 50 हजार करोड़ रुपए जबकि आईटी सैक्टर में 26 हजार करोड़ रुपए का निवेश जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.
समिट में 100 से ज्यादा कंपनियों के स्टौल भी लगाए गए. 2 दिनों के इस इवैंट में 5,000 से अधिक मेहमान शामिल हुए. इवैंट में करीब 100 वक्ताओं ने अपनी बात रखी. लखनऊ में होने वाली इन्वैस्टर्स समिट में हिस्सा लेने के लिए केंद्र सरकार के 18 मंत्री लखनऊ पहुंचे थे.
नेताओं की कोरी घोषणाएं
समिट में सभी उद्योगपतियों और प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘यूपी को बीमारू राज्य से बाहर निकाल कर एक समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में किया गया यह एक प्रयास है.’’ अलगअलग उद्योगपतियों द्वारा यूपी में 90,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की गई. पीएम मोदी ने कहा, ‘‘जब परिवर्तन होता है तो सामने दिखने लगता है. यूपी में इतने व्यापक स्तर पर इन्वैस्टर्स समिट होना और इतने निवेशकों व उद्यमियों का उपस्थित होना अपनेआप में बहुत बड़ा परिवर्तन है.’’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस समिट में उन का मुख्य फोकस एग्रो, डेयरी, फूड प्रोसैस, इलैक्ट्रौनिक्स जैसे बड़े क्षेत्रों पर है. प्रदेश में कानून का राज स्थापित किया गया है, प्रदेश में शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया गया है. हालांकि, मुज्जफरनगर, इटावा, गोरखपुर जैसे शहर भी उत्तर प्रदेश में ही हैं जहां कानून व्यवस्था का क्या आलम है, सब के सामने है.