ज्यादा नहीं महज चार दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी जिंदगी में दूसरी बार कोलकाता में माना था कि समाज में छुआछूत और भेदभाव अभी भी हैं. देश के कोने कोने की जमीनी जानकारी रखने वाले भागवत जाने क्यों शिवपुरी के दलित हादसे पर खामोश हैं कि यह क्रूरता बर्बरता और अमानवीयता की हद है. भागवत ही क्यों सारा देश खामोश है. मानो दो दलित मासूमों की सरेआम हत्या नहीं हुई हो बल्कि कुछ दबंग सवर्णों ने कान पर भिनभिनाते मच्छर मार डाले हों.

बात देखा जाये तो गलत कहीं से नहीं है कि दलित वाकई मक्खी, मच्छर और कीड़ा मकोड़ा है जिसे जब मन करे मार डालो कोई कुछ नहीं बोलेगा. सोशल मीडिया पर सुबह दोपहर और शाम  राम हनुमान और घनश्याम भजते रहने वाले शेरों ने जम्हाई भी नहीं ली और फिर यह बताने के लिए अपने पुनीत कर्म में लग गए कि आज प्रधानमंत्री ने अमेरिका में क्या गुल खिलाकर देश का परचम कुछ यूं लहराया कि सारी दुनिया नमो नमो करते उन्हें फादर औफ नेशन कह रही है.

12 साल की रोशनी और 10 साल के अविनाश का गुनाह शायद इतना भर था कि वे उस समुदाय में पैदा हुये थे जो पैदाइशी अछूत पापी और जानवर है, ऐसा कई धर्मग्रंथों में साफ साफ लिखा भी है कि दलित को मारना कतई गुनाह नहीं है बल्कि पुण्य सरीखा काम है. जिन नव और प्राचीन हिंदुओं को शक हो या जानकारी न हो कि यह धर्म ग्रंथ ही कहते हैं कि दलित को मारो, उसे बराबरी से बैठने मत दो और बैठे तो उसके नितंब काट दो, अपने कुए का पानी मत पीने दो और वह यह सब करें तो बेखौफ होकर उसे मारो तुम्हें यानि सवर्णों को इससे कोई पाप नहीं लगेगा उल्टे तुम्हारी सीट स्वर्ग में आरक्षित हो जाएगी वे हिन्दू इस रिपोर्ट को पढ़कर जिज्ञासा अगर हो तो जानकारी इस लेखक से ले सकते हैं.

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