एंटी वायरस साफ्टवेयर बनाने वाली मशहूर कंपनी कैसपर्सकी लैब के एक रिसर्चर ने ऐसे मालवेयर का पता लगाया है जो कि फेसबुक मैसेंजर के माध्यम से आपके डिवाइस पर अटैक करता है. सुरक्षा फर्म तेजी से फेसबुक मैसेंजर पर फैल रहे इस मालवेयर का पता लगाने में असक्षम है. सुरक्षा फर्म यह पता भी नहीं लगा पाई कि यह आखिर फैल कैसे रहा है.

कैसपर्सकी की रिपोर्ट के मुताबिक मैलवेयर चोरी हुए क्रेडेंशियल्स, हाइजैक हुए ब्राउजर या क्लिक-जैकिंग के माध्यम से फैल सकता है. सुरक्षा फर्म अभी भी इसका पता लगाने में लगी है कि कैसे यह वायरस फैल रहा है. यह वायरस एक लिंक के माध्यम से फैल रहा है. यह वायरस डेविड वीडियो के नाम से आता है, इसमें एक लिंक दिया हुआ होता है. यह वायरस सोशल इंजीनियरिंग का नतीजा है. यह यूजर को एक पौइंट पर क्लिक करने के लिए कहता है, यह पौइंट गूगल डौक्स का है.

यह गूगल डौक एक मूवी प्ले करने की तरह दिखाई देता है. इसमें यूजर की प्रोफाइल पिक्चर का भी इस्तेमाल होता है. इसकी वजह से यूजर इस पर क्लिक करने के लिए उत्साहित होता है. जब यूजर इसपर क्लिक करता है तो वायरस उन वेबसाइटों का डेटा ले लेता है जो यूजर के ब्राउजर में चली होती हैं.

कैसपर्सकी ब्लौग पोस्ट के मुताबिक वायरस मूल रूप से वेबसाइटों के एक सेट के माध्यम से यूजर के ब्राउजर को मूव करता है, ट्रैकिंग कुकीज का इस्तेमाल करता है, आपकी गतिविधि पर नजर रखता है, आपके लिए कुछ विज्ञापन दिखाता है और यहां तक ​​कि कुछ मामलों में लिंक पर क्लिक करने के लिए सोशल इंजीनियर्स का इस्तेमाल करता है.

वायरस को किसी ट्रोजन्स से लिंक नहीं किया जा सकता है. सुरक्षा खतरे में रहने का अंदेशा होता है, लेकिन यह यूजर को ट्रैक कर रहा होता है. सुरक्षा एजेंसी ने पाया है कि यह भाषा, लोकेशन, औपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर इंफोर्मेशन, इंस्टौल किए हुए प्लग-इन और कुकीज से यूजर्स को ट्रैक करता रहता है. कैसपर्सकी के मुताबिक नए वायरस बनाने वाले लोगों को अवांछित विज्ञापन और कई फेसबुक खातों तक पहुंच प्राप्त करने का पैसा मिल रहा है.

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