मोदी सरकार बैंकों के उपर जोर दे रही है क्योंकि आज की तारीख में दुनिया के शीर्ष पर जितने भी बैंक हैं उनमें एक भी भारतीय बैंक शामिल नहीं है. देश में इस समय 21 सरकारी बैंक है. सरकार कह चुकी है कि देश में भले ही कम बैंक हो, पर जितने भी बैंक होंगे उनका बेहद मजबूत होना जरूरी है.
बैंको के विलय के पहले चरण मे भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंकों जैसे स्टेट बैंक आफ पटिलाया, स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक आफ हैदराबाद, स्टेट बैंक आफ मैसूर और स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर के साथ भारतीय महिला बैंक को मिलाया जा चुका है. अब उसी के साथ कई और छोटे बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मिलाये जाने की खबरें हैं.
सरकारी बैंकों के विलय के लिए रास्ता तैयार हो गया है. मंत्रिमंडल की ओर से मंजूर किये गए प्रस्ताव के तहत विलय का प्रस्ताव वैकल्पिक व्यवस्था के समक्ष लाया जाएगा. यह वैकल्पिक व्यवस्था एक अंतर मंत्रालीय समूह व्यवस्था होगी. अंतिम फैसले के लिए उसे केद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा. अंत में भारत सरकार, रिजर्व बैंक के साथ राय-मशवरा कर विलय का औपचारिक तौर पर ऐलान करेगा. फिलहाल, अभी ये तय नहीं कि अंतर मंत्रालीय समूह व्यवस्था में कौन-कौन लोग होंगे, लेकिन यह उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली इसके मुखिया होंगे.
चर्चा है कि विभिन्न छोटे और मझौले सरकारी बैंकों को एक बड़े सरकारी बैंक में मिला दिया जाएगा. सरकारी बैंकों की कुल संख्या ज्यादा से ज्यादा 10 तक सीमित रखने की कोशिश की जा रही है
बैंकों को मजबूत और प्रतिस्पर्धी बैंक बनाने का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक हितों पर आधारित है. वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि विलय को लेकर अभी कोई समय-सीमा तय नहीं की गयी है. साथ ही ये भी तय नहीं है कि कुल कितने बैंक रहेंगे.
सरकार का दावा है, कम लेकिन मजबूत सरकारी बैंक रखे जाने की बात तो 1991 में ही की गयी थी, लेकिन इस सोच पर अमल मई 2016 में हुआ था तब, जब छह बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक के साथ मिलाने का फैसला हुआ था. ये विलय रिकार्ड समय में पूरा हुआ जबकि स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र और स्टेट बैंक आफ इंदौर के भारतीय स्टेट बैंक में विलय में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
सरकार का कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक आज एकीकृत बैंक बन चुका है जिसकी लगभग 24 हजार शाखाएं, 59 हजार से ज्यादा एटीएम, और 50 हजार से ज्यादा बिजनेस करेस्पोंडेंट है. बैंक की 70 फीसदी से ज्यादा शाखाएं अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों में है.