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महिलाओं के लिए जरूरी है जीवन बीमा

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में भावनात्मक एवं शारीरिक सुरक्षा के साथ ही आर्थिक सुरक्षा भी बेहद जरूरी है. खासतौर पर महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है. इस की बड़ी वजह है, आजकल की महिलाओं का पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलना. जी हां, आज की सशक्त महिलाएं न केवल घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर अपना अस्तित्व निखार रही हैं, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियों को भी पूरा कर रही हैं. ऐसे में उन की अनुपस्थिति में परिवार को होने वाले आर्थिक नुकसान को पूरा करने के लिए उन का बीमित होना अनिवार्य है.

बचत से ज्यादा जरूरत

वैसे जीवन बीमा को अधिकतर महिलाएं बचत समझती हैं लेकिन जीवन बीमा बचत से ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस से बड़े होते बच्चों की शिक्षा, रोजगार व शादी सहित जीवन की कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद मिलती है. इस के और भी कई लाभ हैं, जो महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का समावेश करते हैं.

आइए, कुछ लाभों के बारे में हम बताते हैं:

– ‘मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों का क्या होगा?’, ‘क्या पति अकेले सभी बड़ी जिम्मेदारियां उठा लेंगे?’ यह सवाल अकसर आप को परेशान करते होंगे. जायज भी है, बढ़ती हुई महंगाई में घर एक कमाने वाले की कमाई से नहीं चल सकता, बल्कि जरूरी है कि घर की कुछ आर्थिक जिम्मेदारियां आप भी उठाएं. हो सकता है कि आप की सैलरी घर की बड़ी जिम्मेदारियां उठाने में मददगार न हो लेकिन आप की छोटीछोटी बचत इस में आप की मदद कर सकती है. इस में जीवन बीमा की अहम भूमिका है क्योंकि यह आप को एकमुश्त बड़ी रकम देता है, जिस से आप अपने दायित्वों को पूरा कर सकती हैं.

– आजकल ऐसी इंश्योरैंस पौलिसी भी आ गई है जिस में जीवन बीमा के साथ ही सेविंग और क्रिटिकल इलनैस (बीमारियां एवं प्रैगनैंसी) को भी कवर किया जाता है. यह पौलिसी खासतौर पर उन महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है जो घर और बाहर दोनों जगह की जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, क्योंकि ऐसे में सेहत पर विपरीत असर तो पड़ता ही है, तब इस तरह की पौलिसियां आर्थिक रूप से मददगार बनती हैं.

– यदि आप का परिवार पूरी तरह आप की आय पर निर्भर है तो आप को टर्म इंश्योरैंस पौलिसी लेनी चाहिए. इस में परिपक्वता पर तो कोई राशि प्राप्त नहीं होती लेकिन बहुत कम प्रीमियम पर बड़ा सुरक्षा कवर मिल जाता है.

– कुछ जीवन बीमा योजनाओं में विशेष बीमारी होने पर कुछ बीमा कंपनियों द्वारा इलाज हेतु अग्रिम राशि दे दी जाती है.

– यदि आप की आय, आयकर में महिलाओं को दी गई छूट से अधिक है, तो बीमा पौलिसी पर आप को आयकर की छूट भी प्राप्त होगी.

कैसे चुनें बीमा पौलिसी

बीमा पौलिसी कराने से पहले यह देखना जरूरी है कि बीमाधारक अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक कितनी रकम का प्रीमियम भर सकता है. दरअसल, अधिक प्रीमियम वाली बीमा पौलिसी लेने के बाद, जब प्रीमियम भरने में कठिनाई महसूस होती है, तब कई बीमाधारक तय समय से पहले ही बीमा अनुबंध तोड़ देते हैं. इस से बीमाधारक को फायदे की जगह नुकसान ही उठाना पड़ता है. पौलिसी चलती रहे, यही कोशिश करनी चाहिए.

इन टिप्स पर गौर करें, बीमा पौलिसी चुनते समय मदद मिल सकती है:

– बीमाधारक पर कितने लोग आश्रित हैं और वह उन्हें कैसी जीवनशैली देना चाहता है.

– बीमाधारक को अपने रोजमर्रा के खर्चे और अपने दायित्वों को भी समझना चाहिए.

– किस तरह की इंश्योरैंस पौलिसी आप के लिए मददगार है, इस बात का भी खयाल रखें.

– आप अपना प्रीमियम समय पर भर सकते हैं या नहीं इस बात का भी ध्यान रखें.    

EXCLUSIVE: ‘सरबजीत’ पर पहली बार बोले रणदीप हुड्डा

बौलीवुड में रणदीप हुड्डा की अपनी एक अलग पहचान है. वह विवादों से हमेशा दूर रहते हैं. वह एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ साथ एक पोलो टीम व कई घोड़ों के मालिक होने के साथ ही बेहतरीन घुड़सवार हैं. अभिनेत्री रिचा चड्ढा उन्हें एक मूड़ी कलाकार मानती हैं. बौलीवुड में फिल्म के असफल होते ही फिल्म से जुड़े लोग एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगा देते हैं.

20 मई को प्रदर्शित फिल्म ‘‘सरबजीत’’ की असफलता के लिए ऐश्वर्या राय बच्चन व फिल्म के निर्देशक के साथ साथ निर्माता तक पर कई आरोप लग चुके हैं. मगर  फिल्म ‘सरबजीत’ के लिए सर्वाधिक मेहनत करने वाले तथा फिल्म में सरबजीत का मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता रणदीप हुड्डा ने चुप्पी साधे रखी. यहां तक कि ‘सरबजीत’ की सफलता की पार्टी में जब कुछ पत्रकारों ने रणदीप से ऐश्वर्या राय बच्चन व फिल्म के बारे में सवाल किया, तो वह चुप रहे. बार बार सवाल पूछे जाने पर वह पत्रकारों पर ही भड़क उठे. उसके बाद पत्रकारों के बीच आम धारणा बन गयी कि रणदीप हुड्डा फिल्म ‘सरबजीत’ को लेकर कोई बात नहीं करना चाहते.

लेकिन फिल्म ‘‘दो लफ्जों की कहानी’’ के प्रमोशन के दौरान ‘‘सरिता’’ पत्रिका से एक्सक्लूसिव बात करते हुए रणदीप हुड्डा ने फिल्म ‘‘सरबजीत’’ को लेकर  खुलकर बात की. जब मैंने उनसे पूछा कि, ‘‘फिल्म ‘सरबजीत’ को बाक्स आफिस पर जो सफलता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली. आपको नहीं लगता कि फिल्म को सही ढंग से प्रमोट नही किया गया?’’ तब रणदीप हुड्डा ने एक समझदार इंसान व एक प्रोफेशनल कलाकार की तरह मेरे इस सवाल का जवाब देते हुए कहा-‘‘इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता. फिल्म को प्रमोट करने का जिम्मा किसी और का है. उसे जज करना मेरा काम नहीं है. मेरा काम अभिनय करना है और वह मैं जी जान लगाकर कर लेता हूं. फिल्म को किस तरह से रिलीज किया जाए, यह मेरा काम नही है. फिल्म को कैसे प्रमोट किया जाए, यह भी मेरा काम नहीं है. मैं सिर्फ अपनी फिल्म के बारे में ज्यादा से ज्यादा मीडिया से बात कर सकता हूं, वह मैं करता रहता हूं. मैं अपनी तरफ से किसी भी फिल्म को प्रमोट करने में कोई कसर नहीं छोड़ता हूं. ’’

रणदीप हुड्डा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा-‘‘सच कहूं तो मैं कोई भी फिल्म प्रोडक्शन हाउस का नाम देखकर स्वीकार नहीं करता हूं. मैं सबसे पहले फिल्म की पटकथा, उसके बाद किरदार और फिर निर्देशक के नाम पर गौर करता हूं. प्रोडक्शन हाउस तो सबसे अंत में आता है. फिल्म ‘सरबजीत’ के जो निर्माता हैं, उनमें अनुभव की कमी है. उनके पास वह ताकत नही है, जिससे वह फिल्म को सही प्लेटफार्म दे सकें. नए लोग होने की वजह से सही लोगों के साथ उनका जुड़ाव कम है. पर मेरा अपना मानना है कि हर फिल्म अपने दर्शक ढूंढ़ ही लेती है. कभी वह आसानी से जल्दी ढूंढ़ लेती है, तो कभी लंबा समय लेकर. लेकिन हर फिल्म अपने दर्षकों तक पहुंच जाती है.

फिल्म सिर्फ सिनेमा घर नहीं,बल्कि डीवीडी, कभी टीवी,तो कभी इंटरनेट के द्वारा अपने दर्शक तक पहुंच जाती है. इस तरह से मेरा काम भी लोगों तक पहुंच जाता है. तो मुझे इस बात का अफसोस नहीं होता कि मैंने मेहनत की और मेरा काम लोगों तक नहीं पहुंचा. यदि कोई फिल्म बाक्स आफिस पर सुपर डुपर हिट हो जाए, तो भी एक कलाकार के तौर पर मुझे कोई पैसे मिलने वाले नहीं होते हैं. मेरे लिए सिर्फ इतना जरूरी होता है कि मेरा काम दर्शकों तक पहुंच जाए. पर अब वह किसी न किसी माध्यम से पहुंच जाता है. मैं आज दावे के साथ कह सकता हूं कि पचास साल बाद भी यदि किसी ने रणदीप हुड्डा के बारे में जानना चाहा, तो उसे मेरे बारे में, मेरी फिल्मों के बारे में जरूर पता चल जाएगा. अब तो इंटरनेट का जमाना है, एक बटन दबाया, सब कुछ सामने होता है. मेरी राय में जिस तरह की फिल्म ‘सरबजीत’ बनी है,उस हिसाब से वह अच्छा बिजनेस कर रही है.’’

अब रणदीप हुड्डा ने फिल्म ‘‘सरबजीत’’ की असफलता के लिए अपरोक्ष रूप से किसे दोषी ठहराया, किसे नहीं, इसका अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है.  

‘ए गर्ल इन द रिवर’ : फिल्म नहीं, समाज का आईना भी

‘‘मलाला यूसुफजई को मिले नोबेल पुरस्कार से उत्साहित पाकिस्तानी महिलाओं में अपने अधिकारों को ले कर चेतना आई है. अब वे रूढिवादी रीतिरिवाजों से पल्ला झाड़ कर खुली हवा में सांस लेने को बेताब हैं, भले ही इस का जो अंजाम हो. पाकिस्तान में अब फिजा बदल रही है और इस के लिए पढ़ीलिखी महिलाएं बड़ी तादाद में आगे आ रही हैं,’’ यह कहना है औस्कर पुरस्कार प्राप्त पाकिस्तानी महिला फिल्मकार शरमीन ओबेद चिनौय का. पाकिस्तान में प्रेमविवाह गुनाह है. इसलाम के नाम पर वर्षों से चली आ रही इस प्रथा के खिलाफ परिवार की रजामंदी के बिना विवाह को पाप समझा जाता है. ऐसी स्थिति में लड़की का पिता, भाई और चाचा ही उस के खून के प्यासे बन जाते हैं. पाकिस्तान में इस झूठी आनबानशान अर्थात ओनर किलिंग के नाम पर हर साल 1 हजार से भी ज्यादा युवतियों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया जाता है.

सामाजिक पहलू को दिखाती फिल्म

दूसरी बार औस्कर पुरस्कार लेने आईं शरमीन जैसे ही सभागार में पहुंचीं, उन का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत हुआ. अमेरिका का शायद ही ऐसा कोई मीडिया रहा होगा, जिसे पुरस्कार से पहले और बाद में इस तेजतर्रार महिला शरमीन की तलाश न रही हो. मंच से जैसे ही शरमीन ओबेद चिनौय और उन की लघु फिल्म ‘ए गर्ल इन द रिवर’ का नाम पुकारा गया, सभागार में दुनिया भर से आए सिने अभिनेताओं और निर्माताओं को ऐसे लगा कि इस फिल्म को तो अवार्ड मिलना ही चाहिए था. वह क्यों? इस का जवाब दूसरी बार औस्कर अवार्ड लेने वाली पाकिस्तानी फिल्मकार ने इन शब्दों में दिया, ‘‘मुझे इस अवार्ड से ज्यादा खुशी तब होगी जब मेरे देश पाकिस्तान में ओनर किलिंग के नाम पर आए दिन होने वाली हत्याएं बंद होंगी, पारस्परिक प्रेमविवाह करने वाले युवकयुवतियों को बिना रोकटोक विवाह करने की आजादी होगी, उन्हें परिवार की झूठी आनबान के लिए मौत के घाट नहीं उतारा जाएगा. ऐसा तभी होगा जब पाकिस्तान में ओनर किलिंग के लिए कानून में कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए.’’

शरमीन कहती हैं कि हम जैसी महिलाएं मन में ठान लें, तो फिर क्या नहीं हो सकता. शरमीन नवाज शरीफ के उस कथन का उल्लेख करना भी नहीं भूलीं कि उन्होंने 1 सप्ताह पहले ही यह फिल्म देखने के बाद भरोसा दिलाया था कि वे इस संदर्भ में कानून बनाने के लिए जरूर अपेक्षित कदम उठाएंगे.

अपनों द्वारा ही जुल्म

दुनिया भर में पाकिस्तान सहित ऐसे 1 दर्जन इसलामिक देश हैं जहां घर वालों की मरजी के बिना हर साल प्रेमविवाह करने वाली 1 हजार से भी ज्यादा युवतियों को और कहींकहीं युवकों को भी पारिवारिक आनबान के लिए बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया जाता है और सरकारें इसलाम तथा सामाजिक दबाव के कारण इस जघन्य अपराध का संज्ञान लेने को तैयार ही नहीं होतीं. पाकिस्तान में 2014 में 1005 युवतियों को प्रेमविवाह अथवा घर से भाग कर अपनी पसंद के युवक से विवाह करने के कारण मौत के घाट उतारा गया था. इस अपराध में कोई और नहीं उस के पिता, भाई और चाचा ही शामिल होते हैं.

औस्कर अवार्ड के बाद प्रैस कौन्फ्रैंस में अमेरिकी पत्रकारों के ढेरों सवालों के जवाब में शरमीन कहती हैं कि पारिवारिक आनबान के नाम पर अपनी बहूबेटियों को बेरहमी से मौत के घाट उतारे जाने का इसलाम में या उन की संस्कृति में कहीं कोई उल्लेख नहीं है. इस का एक ही रास्ता है कि इसलामिक देश पहले यह स्वीकार करें कि ओनर किलिंग एक सामाजिक बुराई है. उन के समाज में यह एक गंभीर समस्या है. इस पर घरघर में एक कड़ा संदेश देने और परिवारजनों को शिक्षित किए जाने की जरूरत है. इस के बाद ही सरकार की जिम्मेदारी आती है कि वह कड़ा कानून बनाए.

एक आईना है

शरमीन बताती हैं कि ऐंटीओनर किलिंग ला बिल 2014 में सीनेट में रखा गया था, पर देश की संसद में पारित नहीं हो सका. यहां जरूरत इस बात की है कि इस जघन्य अपराध की सजा मात्र माफीनामा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि कानून में सजा के लिए कड़े से कड़े प्रावधान होने जरूरी हैं. शरमीन दावे के साथ कहना चाहती हैं कि इस फिल्म से बेहतर कोई संदेश नहीं हो सकता. उन्होंने यही पक्ष इस फिल्म में बड़ी मजबूती के साथ पेश किया है. उन्हें इस बात का फख्र है कि इस दायित्व को निभाने में उन के पिता और पति ने साथ दिया. शरमीन को 2012 में भी ‘सेविंग फेस’ पर औस्कर अवार्ड मिल चुका है.

‘ए गर्ल इन द रिवर’ सबा काइजर नामक एक 18 वर्षीय ऐसी युवती की सच्ची प्रेम कथा है, जो पंजाब के एक ग्रामीण इलाके में एक निर्धन लड़के से प्रेम करती थी. इस में सबा का कुसूर यह था कि उस ने परिवार वालों की मरजी के खिलाफ प्रेमविवाह कर लिया. इस पर उस के पिता और चाचा ने उसे मौत के घाट उतारने के लिए उस के सिर पर गोली चला कर घायल कर दिया और फिर उसे एक बोरी में डाल कर नदी में फेंक दिया. होता यह है कि गोली सीधे सिर में लगने के बजाय सबा के कान और आंख के पास से उसे घायल कर निकल जाती है. बाद में इस लड़की को किसी ने नदी से निकाल कर अस्पताल में दाखिल करा दिया. इस घटना के बारे में अगले दिन अखबारों से जब शरमीन को पता चला, तो वे अपनी कैमरा टीम के साथ अस्पताल पहुंच जाती हैं. इस तरह कहानी आगे बढ़ती है. लेकिन सबा अपने पिता और चाचा को माफ नहीं करती और न ही उस के पिता को अपनी बेटी पर जानलेवा हमला करने पर कोई रंज होता है.

नवाज शरीफ ने शरमीन को औस्कर अवार्ड जीतने पर बधाई दी है और कहा है कि देश को उन पर नाज है.

सही ब्रेक नहीं मिलने से आप संघर्ष करते रहते हैं: लिसा हेडन

अपने बोल्ड अंदाज़ के लिए जानी जाने वाली अभिनेत्री लिसा हेडन एक मॉडल और प्रशिक्षित भरतनाट्यम डांसर भी हैं. उन्होंने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत मूवी ‘आयशा’ से की, जिसका ऑफर अनिल कपूर ने उन्हें एक रेस्तरां में देखकर दिया था. फिल्म औसतन रही पर लिसा इस फिल्म के बाद तीन महीने की अभिनय प्रशिक्षण के लिए अमेरिका गई. वहां से आकर उन्होंने फिल्म ‘क्वीन’ में सिंगल मदर की भूमिका निभाई. फिल्म में उनके अभिनय की खूब प्रशंसा की गई. उसके बाद उन्होंने ‘शौक़ीन’ फिल्म में काम किया और अब हाउसफुल-3 में वह दिखाई देंगी. वह अपने किरदार को लेकर बहुत खुश हैं. उनसे बात करना रोचक था. पेश है इसके कुछ खास अंश.

इतनी बड़ी कास्ट के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? कैसे ऑफर मिला?

बहुत अच्छा था, क्योंकि पहली बार इतनी बड़ी कास्ट के साथ एक कॉमेडी फिल्म में काम करना मेरे लिए बड़ी बात थी. मेरा दायित्व इसमें अधिक था, क्योंकि मुझे सबके साथ सही तालमेल के साथ अभिनय करना था. मैंने नर्गिस और जैकलीन के साथ अच्छा समय बिताया है, उन दोनों का ‘सेन्स ऑफ़ ह्यूमर’ काफी अच्छा है. जैकलीन काम के दौरान मुझे हमेशा ‘हेल्दी डाइट’ पर टिप्स देती थी, जिसे आज भी मैं फोलो कर रही हूँ.

पिछले साल मेरी बर्थडे के लिए मैं हॉलीडे पर थी. एक इवेंट पर मैं साजिद नाडियाडवाला से मिली और उन्हें  ‘हैलो’ कहा. उसके कुछ दिनों बाद मेरी एजेंसी में फ़ोन आया कि वे मुझे अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं, मुझे ख़ुशी हुई, क्योंकि यह एक ऐसी फिल्म है, जिसे लोग पहले से ही प्यार करते हें और मैं इसका हिस्सा बनने जा रही थी. मैं इसमें एक अमीर अंग्रेज बिजनेस मैन की बेटी बनने जा रही हूँ ,जो आर्टिस्ट है. इसमें मैं एक संस्कारी लड़की के साथ-साथ एक नॉर्मल लड़की की भी भूमिका निभा रही हूँ, जिसे मौज मस्ती सब पसंद है.

आपको ऐसा नहीं लगा कि इतनी सारी स्टार कास्ट में आप कही छिप न जाये?

मुझे फिल्म की सारी बातें पता है, सारे कलाकारों के लिए इसमें करने के लिए कुछ न कुछ है, क्योंकि यह 6 कलाकारों की फिल्म है. यह एक टीम की फिल्म है,कोई अधिक या कोई कम नहीं.

कॉमेडी आपको कितनी पसंद है?

मुझे कॉमेडी बहुत पसंद है, इसे करने में मजा आता है. मेरे लिए यह एक नया जोनर है. मेरे हिसाब से कॉमेडी हर दुखी इंसान को सुकून देती है, हंसा सकती है. आज के परिवेश में यह बहुत जरुरी है.

ये फिल्म आपको आगे बढ़ने मैं कितना सहयोग देगी ?

उम्मीद है कि ये सफल फिल्म होगी. जब तक आपको कोई बड़ी फिल्म नहीं मिलती, आपको अच्छा ब्रेक नहीं मिलजा, आप संघर्ष करते रहते हैं. ’क्वीन’ से पहले लोग ये नहीं समझ पाते थे कि मैं एक्टिंग कर पाऊँगी, क्वीन मेरे लिए एक मौका था यह दिखाने का कि मैं केवल एक मॉडल ही नहीं, बल्कि अभिनेत्री भी हूँ. आयशा में मेरा चरित्र बहुत छोटा था. मुझे अपना अभिनय दिखने का मौका नहीं मिला. ‘क्वीन’ ही मेरी पहली फिल्म थी, जिसमें मैं अपने आप को प्रूव कर पाई, उसके बाद लोगों ने यह सोचना बंद कर दिया कि मैं उनकी फिल्म में काम कर पाऊँगी या नहीं. आज मैं यह सोचती हूँ कि मुझे कोई भी चरित्र मिले, मैं अच्छा करूँ.

आप बॉलीवुड के कौन-कौन से डायरेक्टर  के साथ काम करने की इच्छा रखती हैं?

लिस्ट बहुत बड़ी है, मेरे हिसाब से एक अच्छा डायरेक्टर एक अच्छे कलाकार को जन्म देता है. करन जौहर, साजिद एंड फरहाद, विशाल भारद्वाज, ज़ोया अख्तर आदि के साथ काम करना चाहती हूँ.

इस फिल्म का कठिन काम कौन सा था?

सुबह 5 बजे उठना, क्योंकि सूरज ‘यूके’ में जल्दी डूब जाता है और सबको सूरज डूबने से पहले शूटिंग खत्म करनी पड़ती थी. उसमें एक गाने की शूटिंग इंडियन ऑउटफिट में करना था, जो मैं पहली बार पहन रही थी. वही मुश्किल था, लेकिन मैंने दृश्य को काफी एन्जॉय किया.

क्या मॉडलिंग भी कर रही हैं? 

अभी मॉडलिंग नहीं करना चाहती. कुछ एंडोर्स करती हूं, अभी मैं पूरी तरह से अभिनय को समय देना चाहती हूँ.

बॉलीवुड में गॉड फ़ादर न होने पर काम का मिलना कितना कठिन होता है?

मेरे हिसाब से अगर आप अच्छा काम करते हैं और अगर वह चरित्र आपके ऊपर फिट बैठता है, तो कोई और उस भूमिका को नहीं कर सकता. कोई दूसरी लिसा हेडन नहीं बन सकती.

क्या आप हॉलीवुड टीवी में काम करना चाहती हैं?

जरुर मैं हॉलीवुड की टीवी देखती हूँ और पसंद भी करती हूँ. अगर काम करने का मौका मिलेगा, तो अवश्य करुँगी. मुझे रौमकॉम, कॉमेडी सब पसंद है.

आपका ब्यूटी सीक्रेट क्या है?

जल्दी सो जाना और खूब पानी पीना. मेरे जीवन का सिद्दांत है कि माइंड को फ्री कर काम करें.

आपका स्टाइल स्टेटमेंट क्या है?

मैं बहुत ‘लेजी’ हूँ. मैं ‘कूल’ टीशर्ट जीन्स और हाई हील्स पहनना पसंद करती हूँ.

काजल अग्रवाल के लिए क्या अंगूर खट्टे हैं…?

काजल अग्रवाल ने 19 साल की उम्र में फिल्म ‘‘क्यों हो गया ना’’ से अपने अभिनय करियर की शुरूआत की थी. लेकिन इस फिल्म के बाद उन्हे हिंदी फिल्मों में कोई काम नहीं मिला. तीन साल तक इंतजार करने के बाद काजल अग्रवाल ने दक्षिण भारत की तरफ रूख किया और 2007 में तेलगू फिल्म ‘‘लक्ष्मी काल्यणम’’ की. तब से दक्षिण भारत में तमिल व तेलगू की ‘‘मगधीरा’’ व ‘थुपाकी’ सहित चालीस फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं. वह बार बार हिंदी फिल्मों की तरफ रूख करती हैं, पर हिंदी फिल्मों में उनका करियर बन नहीं पा रहा है.

2004 के बाद काजल अग्रवाल ने अजय देवगन के  साथ 2011 की सफलतम हिंदी फिल्म ‘‘सिंघम’’ की. लेकिन ‘सिंघम’ की सफलता का सारा श्रेय अजय देवगन को मिल गया और फिर ‘सिंघम’ की सिक्वअल फिल्म ‘सिंघम रिटर्न’ से काजल अग्रवाल का पत्ता कट गया. इसके बाद वह 2013 में अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘‘स्पेशल 26’ में प्रिया चौहाण की एक छोटी सी भूमिका में नजर आयीं. इस फिल्म को बाक्स आफिस पर सफलता भी नहीं मिली.

अब पूरे तीन साल बाद वह फिल्म ‘दो लुफ्जों की कहानी’ में रणदीप हुड्डा के साथ नजर आने वाली हैं. यह फिल्म एक मशहूर कोरियन फिल्म ‘‘आलवेज’’ का हिंदी रूपांतरण है. एक बात समझ से परे है कि काजल अग्रवाल को दक्षिण में फिल्में मिल रही हैं, तो फिर हिंदी में उन्हे फिल्में क्यों नहीं मिल पा रही है?

जब एक मुलाकात में काजल अग्रवाल से हमने पूछा, ‘आपको नहीं लगता कि हिंदी फिल्मों में जिस तरह से आपका करियर आगे बढ़ना चाहिए, उस तरह से नहीं बढ़ रहा है?’’ मेरे इस सवाल पर उनके चेहरे पर ऐसे भाव आए, जैसे कि उन्हे यह सवाल पसंद नहीं आया हो. पर बहुत ही संयत होकर काजल अग्रवाल ने जवाब दिया-‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता. यह मेरी अपनी पसंद की बात है कि मुझे किस भाषा की फिल्म करनी है. दक्षिण भारत की फिल्मों में मैं काफी व्यस्त हूं. देखिए, हिंदी,तमिल व तेलगू में से किस भाषा में मुझे फिल्म करनी है, यह मेरी अपनी पसंद व मेरे चयन की बात है. मैं दक्षिण में कई फिल्में कर रही हूं. यह कहना गलत होगा कि हिंदी फिल्मों में मेरा कैरियर अच्छा नहीं जा रहा है. जब मैं हिंदी फिल्म करना चाहती हूं, तब कर लेती हूं.’’

क्या बात है. यदि काजल अग्रवाल की बातों में सच्चाई है, तो फिर चालीस फिल्मों में से एक भी किसिंग सीन न करने वाली काजल अग्रवाल हिंदी फिल्म ‘‘दो लफ्जों की कहानी’’ में किंसिंग सीन करने के लिए कैसे तैयार हो गयीं. कहीं काजल अग्रवाल का यह जवाब ‘अंगूर खट्टे हैं’ वाला मसला तो नहीं.

सोशल ऐटिकेट्स हैं जरूरी

‘सोशल’ शब्द हमारी लाइफ का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. सोशल वर्ल्ड में हम खुद को अपडेट रखने के लिए हर छोटीबड़ी चीजों पर ध्यान देते हैं. पर क्या कभी आप ने अपने सोशल ऐटिकेट्स पर ध्यान दिया है? निश्चित रूप से नहीं दिया होगा. दरअसल हम चैटिंग, कमैंट, लाइक, फोटो अपलोड, स्टेटस अपलोड में इतने ज्यादा बिजी होते हैं कि सोशल ऐटिकेट्स पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता. पर रीयल लाइफ की तरह सोशल साइट्स पर भी ऐटिकेट्स जरूरी है. इस से आप की पर्सनैलिटी का पता चलता है. ऐटिकेट्स का मतलब यह नही है कि आप रूल्स व रेगुलेशन फौलो करें, बल्कि ऐटिकेट्स का मतलब है कि आप चीजों को किस तरह से करते हैं. अपने फ्रैंड सर्कल में भी जब हम किसी को कुछ कह देते हैं तो उसे बुरा लगता है. जरा सोचिए यह तो एक ऐसा प्लेटफौर्म है जहां हमारे आप के अलाव और कई लोग हैं, जो प्रोफाइल को देखते हैं.

यहां अपडेट रहना और हर छोटीछोटी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देना तो ठीक है लेकिन ऐटिकेट्स को ध्यान में रखना भी जरूरी है.

सोशल साइट्स पर इन ऐटिकेट्स का रखें ध्यान

फ्रैंड अनफ्रैंड करना

जब रीयल लाइफ में हमारी किसी से लड़ाई होती है या हम किसी बात से नाराज हो जाते हैं तो तुरंत उसे अपने फ्रैंडलिस्ट से अनफ्रैंड कर देते हैं और जब हमारे बीच सबकुछ ठीक हो जाता है तो फिर से फ्रैंड लिस्ट में शामिल कर लेते हैं, इस की वजह से लोगों पर निगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है. वे देख कर कमैंट करते हैं कि इन का ड्रामा तो लगा रहता है.

बिना पूछे फोटो टैग करना

जब हम फोटो क्लिक करते हैं तो उसे तुरंत फेसबुक पर अपलोड करने की हड़बड़ी होती है. जल्दी से उसे अपलोड कर के सब को बताना चाहते हैं कि देखो हम ने कितनी मस्ती की है. लेकिन ग्रुप फोटो अपलोड और फ्रैंड्स को टैग करने से पहले फोटो में शामिल मैंबर से पूछना जरूरी है क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि आप फोटो अपलोड करना चाह रहे हों, पर फोटो में शामिल कोई एक मैंबर को अपलोड करने का मन ना हो.

उलटे सीधे स्टेटस अपलोड

आजकल ध्यान अपनी प्रोफाइल पर अट्रैक्ट करने के लिए उलटेसीधे स्टेटस अपलोड करने का फैशन है. जैसे किसी दोस्त ने आप को किसी काम के लिए मना कर दिया तो उसे टारगेट करते हुए स्टेटस डाल दिया, किसी ने कुछ कह दिया तो, किसी से लड़ाई हो गई तो स्टेटस डाल देते है. पर ऐसा कर के आप चीजों को ठीक करने के बजाय स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर देते हैं और आप के बीच दूरियां बढ़ जाती है.

बार बार फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजना

कुछ लोग ऐसे होते हैं जब तक आप उन का फ्रैंड रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं कर लेते, वे आप को रिक्वैस्ट भेजते रहते हैं. अगर आप उस का रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं करते और उसे ब्लौक कर देते हैं तो तुरंत दूसरी आईडी बना कर रिक्वैस्ट भेजना शुरू कर देते हैं. पर ऐसा व्यवहार करना गलत है, जब सामने वाला आप का रिक्वैस्ट स्वीकार नहीं करना चाहता तो बारबार भेज कर उसे परेशान ना करें.

किसी को टारगेट करना

ऐसा नहीं है कि सिर्फ रीयल लाइफ में ही टारगेट किया जाता है, आज लोग सोशल साइट्स पर भी एकदूसरे को टारगेट करने लगे हैं, निगेटिव कमैंट करते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो बंद कर दें. ये सिर्फ आप दोनों की दुनिया नहीं है यहां कई लोग हैं जो आप की इस एक्टिविटी को देखते हैं.

रिलेशनशिप स्टेटस बदलना

रिलेशनशिप स्टेटस भी बारबार बदलना सोशल ऐटिकेट्स के अंदर नहीं आता. जैसे आप की लड़ाई हो गई तो आप ने तुरंत सिंगल का स्टेटस लगा दिया. जैसे ही सब कुछ ठीक हुआ आप ने फिर से ‘इन अ रिलेशनशिप’ का स्टेटस अपलोड कर दिया.

निगेटिव कमैंट करना: कई बार हम मजाकमजाक में ही निगेटिव कमैंट कर देते हैं पर ऐसा करने से बचें. क्योंकि आप का एक कमैंट सामने वाले को हंसी का पात्र बना सकता है. निगेटिव कमैंट से सामने वाले में भी आत्मविश्वास कम होने लगता है.

लाइक व कमैंट के लिए रिक्वैस्ट करनाः आज कल फोटो पर जितने ज्यादा लाइक व कमैंट, मतलब उतनी ज्यादा पौपुलैरिटी. इस की वजह से कुछ लोग पर्सनल आईडी पर लाइक व कमैंट करने के लिए भी कह देते हैं और फ्रैंड्स मजाक में यही बात फोटो के नीचे लिख देते हैं, जिस की वजह से सब आप का मजाक बनाते हैं.

पुरानी फोटो अपलोड करनाः कुछ लोग मस्ती के लिए पुरानी फोटो अपलोड कर देते हैं, पर ऐसा न करें. ऐसा भी हो सकता है कि उस फोटो का असर आज के व्यक्तित्व पर पड़े और वे गुस्से में आप को ब्लौक कर दे.

सोशल ग्रुप में बुराई करनाः कभी भी सोशल ग्रुप में किसी दोस्त की बुराई न करें, जब दोस्त को इस बात का पता चलेगा तो उसे बुरा लगेगा. ऐसा भ्री हो सकता है कि कोई इस चैट को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करे.

कैंडी क्रश रिक्वैस्ट भेजना

कैंडी क्रश ने लोगों पर इस कदर जादू बिखेर दिया है कि लोग लाइफ खत्म होते ही परेशान हो जाते हैं कि कौन लाइफ दे सकता है, कहां से लाइक मिल सकता है. इसी वजह से रिक्वैस्ट भेजना शुरू कर देते हैं, उन के रिक्वैस्ट नोटिफिकेशन से हो न हो आप को गुस्सा जरूर आता होगा है कि यार क्या है ये, बारबार रिक्वैस्ट आता है.

इन बातों का भी ध्यान रखें

– अगर कोई रिप्लाई नहीं कर रहा हो तो उसे बारबार मैसेज कर के रिप्लाई करने के लिए ना कहें बल्कि उस के रिप्लाई का इंतजार करें.

– बातबात पर फ्रैंड्स को ब्लौक करना बंद करें.

– खुद ही ग्रुप में ऐड ना करें, बल्कि पहले पूछ लें कि वे ऐड होना चाहते हैं या नहीं.

– नौनवेज जौक्स भेजने से पहले सोचें जरूर.

– रात में चैट न भेजें, जरूरी नहीं कि सामने वाला भी लेट नाइट चैटिंग करता हो.

पाकिस्तान में ‘सरबजीत’ के रिलीज की संभावनाएं नहीं

उमंग कुमार अपनी फिल्म ‘‘सरबजीत’’ को पाकिस्तान में रिलीज करना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने इस फिल्म का निर्माण करते समय पाकिस्तान की जेल में बीस साल तक बंद रहने व प्रताड़ना सहने वाले निर्दोष भारतीय सरबजीत की जिंदगी पर फिल्म बनाते समय पाकिस्तान के खिलाफ कोई बात नहीं की. इसके बावजूद यह फिल्म पाकिस्तान में अब तक रिलीज नहीं हो पायी है और आगे भी इसके रिलीज की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. इस बात का खुलासा पीटीआई से पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष मोबाशिर हसन की हुई बातचीत से हुआ है.

हसन ने कहा है-‘‘अभी तक देश की किसी भी वितरक कंपनी ने संपर्क नहीं किया है. पाकिस्तान की व्यवस्था में जब कोई वितरक कंपनी भारतीय फिल्म का आयात या रिलीज करना चाहती है, तो वह सबसे पहले पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्रालय से संपर्क करती है. उसके बाद सेंसर बोर्ड से फिल्म की विषयवस्तु की समीक्षा करने के लिए कहा जाता है. जब सेंसर बार्ड अपनी समीक्षा सूचना प्रसारण मंत्रालय को दे देता है, तब सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से वाणिज्य मंत्रालय को सूचना दी जाती है, उसके बाद फिल्म का आयात होता है और वह रिलीज की जाती है. लेकिन अब तक किसी भी वितरक ने ‘सरबजीत’ को लेकर ऐसी कोई मांग नहीं की है.’’

हैदराबाद का आईपीएल जीतने का सपना हुआ पूरा

बैंगलोर के चिन्नास्वामी मैदान पर विराट कोहली की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और डेविड वार्नर की टीम सनरॉइज़र्स हैदराबाद के बीच फाइनल मैच को देखने के लिए करीब 32 हजार दर्शक मौजूद थे. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर अपने घरेलू मैदान पर खेल रहा था और दर्शक यह उम्मीद कर रहे थे कि बैंगलोर फाइनल मैच जीतेगा बैंगलोर यह मैच आठ रन से हार गया और उसका आईपीएल जीतने का सपना टूट गया. सनरॉइज़र्स हैदराबाद का आईपीएल जीतने का सपना पूरा हुआ. पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदराबाद ने 208 रन बनाए. लक्ष्य का पीछा करते हुए बैंगलोर ने 20 ओवर में 200 रन बनाए.

पावर प्ले में दोनों टीमों का स्कोर समान

पावरप्ले  में दोनों टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया. पावरप्ले हैदराबाद के लिए कप्तान डेविड वॉर्नर और शिखर धवन के बीच 59 रन की साझेदारी हुई. हैदराबाद ने पावरप्ले के पहले चार ओवर में सिर्फ 27 रन बनाए थे लेकिन पावरप्ले के आखिर दो ओवरों में हैदराबाद ने 32 रन बनाए. इसी तरह पहले छह ओवरों में हैदराबाद ने 59 रन बनाए. बैंगलोर के लिए भी कप्तान कोहली और क्रिस गेल ने पावरप्ले में शानदार बल्लेबाजी की. बैंगलोर ने भी हैदराबाद की तरह पावरप्ले में यानि पहले छह ओवर में 59 रन बनाए. इन 59 रन में से गेल ने 44 रन बनाए और कोहली ने दस रन. बाकी के रन अतिरिक्त थे.

क्रिस गेल पड़े डेविड वार्नर पर भारी

आज के मैच में हैदराबाद के सलामी बल्लेबाज और कप्तान डेविड वार्नर और बैंगलोर के सलामी बल्लेबाज क्रिस गेल ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया. लेकिन क्रिस गेल की पारी डेविड वॉर्नर की पारी पर भारी पड़ी. वॉर्नर ने 24 गेंदों का सामना करते हुए चौके के जरिए अपना अर्धशतक पूरा किया जबकि गेल ने 25 गेंदों का सामना करते हुए छक्के के जरिए अपना अर्धशतक पूरा किया. वार्नर सिर्फ 38 गेंदों का सामना करते हुए 69 रन पर आउट हुए जिसमें आठ चौके ओर तीन छक्के शामिल थे. लेकिन गेल वॉर्नर से आगे निकल गए. गेल ने वॉर्नर की तरह 38 गेंदों का सामना तो किया लेकिन 76 रन बनाए जिसमें आठ छक्के और चार चौके शामिल थे.

बीच के ओवरों में बैंगलोर, हैदराबाद से आगे निकल गया

पावरप्ले में दोनों टीमों का स्कोर समान था लेकिन 11 से लेकर 16 तक यानि इस दस ओवरों में बैंगलोर ने हैदराबाद को पीछा छोड़ दिया. हैदराबाद ने इन दस ओवरों में करीब 8.8 के औसत से 88 रन बनाए और 16 ओवरों के बाद हैदराबाद का स्कोर 147 रन था. लेकिन बैंगलोर ने इन दस ओवरों में 10.3 औसत से 103 रन बनाए यानि 16 ओवरों के बाद बैंगलोर का स्कोर 162 रन था. 16 ओवर के बाद दोनों टीमों ने चार-चार विकेट गंवाए.

ऑस्ट्रेलिया के बेन कटिंग ने अपने देश के शेन वॉटसन की धुलाई की

हैदराबाद की तरफ से बेन कटिंग ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 15 गेंदों पर 39 रन ठोक डाले जिसमें चार विशाल छक्के और तीन चौके शामिल थे. बैंगलोर की तरफ से शेन वॉटसन ने आखिरी ओवर किया लेकिन बेन कटिंग ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए इस ओवर में 23 रन ठोक डाले. इसमें तीन छक्के और एक चौका शामिल था. शेन वॉटसन के इस ओवर में कटिंग ने सबसे लंबा 117 मीटर का छक्का भी मारा. युवराज ने तेज खेलते हुए वार्नर का साथ दिया. वार्नर के आउट होने के बाद युवराज ने हैदराबाद की पारी को संभाला, लेकिन ज्यादा रन नहीं बना पाए. युवराज सिंह ने 23 गेंदों का सामना करते हुए 38 रन बनाए जिसमें चार चौके और दो छक्के शामिल थे.

आखिरी चार ओवर में हैदराबाद ने बैंगलोर को पछाड़ा

16 से लेकर 20 ओवर यानि आखिर चार ओवर में हैदराबाद ने बैंगलोर को पीछे छोड़ते हुए मैच जीत लिया और पहली बार आईपीएल जीतने का गौरव हासिल किया. आखिर चार ओवर में हैदराबाद ने 15.5 के औसत से  61 रन बनाए. इस तरह 20 ओवरों के बाद हैदराबाद का स्कोर 208 पर पहुंच गया. लेकिन बैंगलोर ने आखिर चार ओवर में सिर्फ 38 रन बन पाए और 20 ओवरों के बाद बैंगलोर का स्कोर 200 रन रहा. हैदराबाद इस मैच को आठ रन से हार गया.

किस्मत ने भी दिया हैदराबाद का साथ

आज किस्मत ने हैदराबाद का साथ दिया. डेविड वॉर्नर ने टॉस जीता जो हैदराबाद के लिए जरूरी था. फिर डेविड वॉर्नर जब 52 पर बल्लेबाजी कर रहे थे तब विकेटकीपर केएल राहुल ने वॉर्नर का कैच छोड़ दिया. हैदराबाद का स्कोर जब 115 था तब जॉर्डन के पास युवराज सिंह को रन आउट करने का एक मौका था, लेकिन जॉर्डन इस मौके का फायदा नहीं उठा पाए. गेंद स्टम्प पर नहीं लगी और युवराज सिंह रन आउट होने से बाल-बाल बच गए.

ये था वो एक ओवर, जिसने बैंगलोर को हरा दिया

रविवार को बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम पर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनरॉइज़र्स हैदराबाद अपना सपना पूरा करने के लिए मैदान पर उतरे थे, लेकिन इस सपने का सौदागर हैदराबाद ही रहा. बैंगलोर के मैदान पर सनरॉइजर्स का उदय हुआ और शानदार खेलते हुए डेविड वॉर्नर की टीम सनरॉइजर्स हैदराबाद ने विराट कोहली की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को चार रन से हराया और पहली बार आईपीएल जीतने का गौरव हासिल किया.

पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदराबाद ने निर्धारित 20 ओवर में 208 रन बनाए. हैदराबाद की तरफ से कप्तान डेविड वॉर्नर सर्वाधिक 69 रन बनाए जिसमें तीन छक्के और आठ चौके शामिल थे. 209 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए बैंगलोर ने निर्धारित 20 ओवर में सिर्फ 200 रन बनाए और आठ रन से यह मैच हार का मुंह देखना पड़ा. बैंगलोर की तरफ से कप्तान विराट कोहली ने 54 रन बनाए जबकि क्रिस गेल ने शानदार 76 रन की पारी खेली जिसमें आठ छक्के और चार चौके शामिल थे.

वह एक ओवर जो बैंगलोर पर पड़ा भारी

मैच में दोनों टीमों की बल्लेबाज़ों ने शानदार बल्लेबाजी की. बैंगलोर मैच ज़रुर हार गया हो, लेकिन बैंगलोर के बल्लेबाज़ों ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए अपनी टीम को 200 रन तक पहुंचाया जो आसान बात नहीं थी. पावरप्ले में दोनों टीम बराबरी पर थीं. 11 से लेकर 16 ओवरों के बीच बैंगलोर का स्कोर हैदराबाद से आगे था लेकिन आखिर चार ओवरों में बैंगलोर अच्छा खेल नहीं पाया और मैच हार गया. वह एक ओवर जो बैंगलोर के ऊपर भारी पड़ा, वह है हैदराबाद की पारी का आखिर ओवर.

एक बना हीरो तो दूसरा जीरो…

ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ शेन वॉटसन आखिरी ओवर में गेंदबाज़ी कर रहे थे और सामने थे हैदराबाद की तरफ से खेलने वाले ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बेन कटिंग. बेन कटिंग ने इस ओवर में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 23 रन ठोक डाले, जिसमें तीन छक्के, एक चौके और एक सिंगल शामिल था. इस ओवर में कुल मिलाकर 24 रन आए. 19 ओवरों के बाद हैदराबाद का स्कोर सात विकेट पर 184 रन का था और उम्मीद की जा रही थी कि हैदराबाद का स्कोर 200 की करीब पहुँच जायेगा लेकिन शेन वॉटसन के इस ओवर में 24 रन आने की वजह से हैदराबाद का स्कोर 208 तक पहुंच गया.

अगर बैंगलोर की बात की जाए तो 19 ओवरों के बाद बैंगलोर ने छह विकेट पर 191 रन बना लिए थे लेकिन आखिर ओवर में वह सिर्फ 9 रन बना पाया और बैंगलोर आठ रन से मैच हार गया. कटिंग की इस शानदार पारी के वजह से उन्हें “मैन ऑफ़ द मैच” का ख़िताब मिला. शेन वॉटसन ने चार ओवर में गेंदबाज़ी करते हुए 61 रन दे दिए जो बैंगलोर के लिए घातक साबित हुए.

डेविड वॉर्नर ने बनाए कई रिकॉर्ड

डेविड वॉर्नर ने शानदार खेलते हुए सिर्फ 24 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया और इस अर्धशतक के साथ आईपीएल के इतिहास में किसी एक संस्करण में सबसे ज्यादा 9 अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड कायम कर लिया. आज तक आईपीएल के इतिहास में किसी भी खिलाड़ी ने इतने अर्धशतक नहीं मारे हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड क्रिस गेल के नाम था. गेल ने आईपीएल के 2012 के संस्करण में सात अर्धशतक मारे थे.

सिर्फ इतना नहीं आईपीएल के एक संस्करण में सबसे ज्यादा चौके मारने का रिकॉर्ड भी डेविड वॉर्नर के नाम हो गया है. वॉर्नर ने इस संस्करण में 88 चौके मारे. आईपीएल के इतिहास में किसी एक संस्करण में किसी भी खिलाड़ी ने इतने चौके नहीं मारे हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम था. 2012 के संस्करण में मुंबई इंडियन के तरफ से खेलते हुए सचिन ने 86 चौके मारे थे. डेविड वॉर्नर आईपीएल के इतिहास में किसी एक संस्करण में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे स्थान पर आ गए हैं. विराट कोहली इस संस्करण में 973 रन के साथ पहले स्थान पर हैं जबकि वॉर्नर 848 रन के साथ दूसरा स्थान पर. तीसरे स्थान पर क्रिस गेल हैं. गेल ने 2012 के संस्करण में 733 रन बनाए थे.

कोहली ने बनाए कितने रिकॉर्ड…

कोहली के रिकॉर्ड पर एक नज़र डालते हैं. कोहली के नाम एक संस्करण में सबसे ज्यादा 973 रन बनाने का रिकॉर्ड है. एक संस्करण में सबसे ज्यादा चार शतक मारने का रिकॉर्ड भी है और कप्तान के रूप में एक संस्करण में सबसे ज्यादा 38 छक्के मारने रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है. विराट कोहली ही एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा यानी चार बार 500 से भी ज्यादा रन बना चुके हैं. विराट कोहली के नाम कप्तान के रूप में आईपीएल के संस्करण में सबसे ज्यादा औसत से रन बनाने का रिकॉर्ड भी है.

IPL 9: जानें किसे मिला कौन सा पुरस्कार

रविवार को आईपीएल का फाइनल मैच रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइज़र्स हैदराबाद के बीच खेला गया. हैदराबाद ने शानदार खेलते हुए बैंगलोर को 8 रन से हराया और पहली बार आईपीएल जीतने का गौरव हासिल किया. पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदराबाद ने 208 रन बनाए थे और बैंगलोर 20 ओवर में 200 तक ही पहुंच पाया और 8 रन से हार गया.

हैदराबाद की ओर से कप्तान डेविड वार्नर ने सबसे ज्यादा 69 रन बनाए, जबकि बैंगलोर की तरफ से क्रिस गेल ने 76 रन की पारी खेली. दोनों ने ही यह रन 38 गेंदों पर ठोके थे. हम सब जानते हैं कि आईपीएल में टीम के जीतने के अलावा भी कई पुरस्कार दिए जाते हैं. आइए जानते हैं इस आईपीएल सीजन में किस खिलाड़ी को कौन सा पुरस्कार मिला…

विराट कोहली को मिले सबसे ज्यादा अवार्ड

आईपीएल में शानदार प्रदर्शन की वजह से विराट कोहली को कई अवार्ड मिले. विराट कोहली ने इस संस्करण में सबसे ज्यादा 974 रन बनाए, जिसकी वजह से उन्हें सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का पुरस्कार मिला और कोहली ऑरेंज कैप के हक़दार बन गए. कोहली को सर्वश्रेष्ठ मूल्यवान खिलाड़ी का अवार्ड भी मिला. इतना ही नहीं, टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 36 छक्के मारने की वजह से कोहली को 10 लाख रुपये देकर भी सम्मानित किया गया.

भुवनेश्वर  कुमार को मिली पर्पल कैप

पूरे टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाज़ी की वजह से भुवनेश्वर कुमार को पर्पल कैप के साथ-साथ 10 लाख रुपये भी मिले. पर्पल कैप उस गेंदबाज़ को दी जाती है जिसने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का गौरव हासिल किया हो. भुवनेश्वर कुमार ने 17 मैच खेलते हुए सबसे ज्यादा 23 विकेट हासिल किए.

दूसरे खिलाड़ियों को भी कई अवार्ड मिले

सर्वश्रेष्ठ कैच का आवर्ड सुरेश रैना को मिला. इस संस्करण में इमर्जिंग खिलाड़ी का ख़िताब सनराइज़र्स हैदराबाद के गेंदबाज़ मुस्तफिजुर रहमान को मिला. वोडाफोन सुपरफ़ास्ट अर्द्धशतक के लिए क्रिस मॉरिस को सम्मानित किया गया. मॉरिस ने इस आईपीएल संस्करण में सबसे ज्यादा तेज़ अर्द्धशतक ठोके थे. गुजरात लायंस के खिलाफ मॉरिस ने सिर्फ 17 गेंदों पर अर्द्धशतक जमाया था. “फ्रीचार्ज बोल्ट सीजन” अवार्ड एबी डिविलियर्स को मिला. यह अवार्ड पूरे टूर्नामेंट में शानदार फील्डिंग के लिए दिया जाता है.

अपने रिकॉर्ड के बारे में क्या बोले कोहली

पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान जब कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने कोहली से पूछा कि क्या एक संस्करण में उनके द्वारा बनाए गए सबसे ज्यादा 974 रन का रिकॉर्ड कोई तोड़ पाएगा तो कोहली ने जवाब दिया क्यों नहीं. रिकॉर्ड तोड़ने के लिए बनाए जाते हैं, अगर कोई एक संस्करण में उनसे ज्यादा अच्छा खेला तो रिकॉर्ड टूट सकता है. कोहली का कहना था कि पहले 740 का रिकॉर्ड बहुत बड़ा लगता था, लेकिन अगर कोई सिर्फ अच्छा खेलते हुए अपनी टीम को जीताना चाहता है तो रन बनाने के साथ-साथ रिकॉर्ड भी बनते जाएंगे.

अपने चार शतक के बारे में क्या रहा कोहली का जवाब

संजय मांजेरकर ने जब एक संस्करण में सबसे ज्यादा चार शतक लगाए जाने के बारे में पूछा तो कोहली का कहना था कि इन चार शतकों को लेकर वह खुद आश्चर्य में है, कोहली ने कहा, उनका मुख्य मकसद था टीम के लिए एक अच्छा स्कोर खड़ा करना और इस प्रक्रिया में वह यह रिकॉर्ड बनाते गए. जाते-जाते कोहली यह भी बोलते गए कि यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह सलामी बल्लेबाज के रूप में बल्लेबाजी कर रहे थे और उन्हें ज्यादा गेंद खेलने का मौका मिल रहा था जो दूसरे या तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए बल्लेबाजों को नहीं मिलता है.

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