हाल ही में वर्षा, ओस और बादलों को देखते हुए जीरे की फसल में चरमा (झुलसा या ब्लाइट) रोग लगने का खतरा है. यह रोग ‘आल्टरनेरिया बर्नसाई’ नामक कवक से होता?है. फसल में फूल आने शुरू होने के बाद अगर बादल छाए रहते?हैं, तो यह रोग लग जाता है. जीरे की फसल में फूल आने से ले कर फसल पकने तक यह रोग कभी भी  हो सकता?है. मौसम अनुकूल होने पर यह रोग बहुत तेजी से फैलता?है.

रोग के लक्षण

जीरे की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बों के रूप में रोग के लक्षण दिखाई देते?हैं. धीरेधीरे ये काले रंग में बदल जाते?हैं. पत्तियों से तने व बीज पर इस का बढ़ता?है. इस की वजह से पौधों के सिरे झुक जाते हैं. यह रोग हमेशा फूल आने के बाद ही होता है, क्योंकि उस समय पौधों में ‘बायोकैमिकल’ बदलाव होते हैं जो फफूंद को रोग फैलाने में सहायक होते?हैं.

रोग के लिए सही हालात

रोग में इजाफे के लिए तकरीबन 3 दिनों तक अधिक नमी (90 फीसदी या ज्यादा) और 23 से 28 डिगरी सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. संक्रमण के बाद यदि नमी लगातार बनी रहे या बारिश हो जाए तो रोग भयानक रूप ले लेता?है. आमतौर पर रोग हवा के मुताबिक बढ़ता है. खराब जमीन व पौधों का मलबा संक्रमण करने में मददगार होता है. नए क्षेत्रों में शुरुआती संक्रमण करने में बीज अहम होते?हैं. घने पौधों में रोग तेजी से फैलता है.

रोकथाम

* स्वस्थ बीज बोने के काम में लीजिए.

* सिंचाई का सही इंतजाम करें और ज्यादा सिंचाई न करें.

* ज्यादा पानी वाली फसल जीरे के पास न लगाएं.

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