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मैं बिकनी नहीं पहन सकती कविता कौशिक

 
एक निजी टीवी चैनल पर प्रसारित ‘एफआईआर’ धारावाहिक में चंद्रमुखी चौटाला का दबंग किरदार निभाने वाली अभिनेत्री कविता कौशिक ने अपने कैरियर की शुरुआत ‘कुटुंब’ धारावाहिक से की थी. मुंबई आने से पहले कविता कालेज के दिनों में दिल्ली में मौडलिंग, एंकरिंग और इवैंट होस्ट किया करती थीं. वर्ष 2001 में वे ‘कुटुंब’ धारावाहिक के औडिशन के लिए मुंबई आईं. इस के बाद ‘कहानी घरघर की’, ‘कुमकुम’, ‘सीआईडी’ आदि कई धारावाहिकों में काम किया.
स्वभाव से दृढ़, धैर्यवान और हंसमुख कविता ने कई धारावाहिकों में काम किया पर ‘एफआईआर’ उन के जीवन का टर्निंग पौइंट था. लगातार 8 साल एक ही किरदार की भूमिका करते हुए उन्होंने ‘एफआईआर’ छोड़ ‘तोता वैड्स मैना’ नामक धारावाहिक में सीधीसादी लड़की मैना की भूमिका निभाई पर वह ज्यादा नहीं चला. वे फिर पुराने धारावाहिक ‘एफआईआर’ में वापस लौट चुकी हैं. पेश हैं उन से हुई बातचीत के अंश.
 
वापसी की वजह क्या है?
मैं ने धारावाहिक ‘तोता वैड्स मैना’ के दौरान ‘एफआईआर’ सीरियल छोड़ा था, क्योंकि दोनों एकसाथ करना मुश्किल हो रहा था. जब वह बंद हो गया तो चैनल ने मु?ो वापस बुलाया क्योंकि लोग मेरे अभिनय को पसंद करते हैं. इस बार चंद्रमुखी के कुछ और नए रूप दिखाए जाएंगे.
 
‘एफआईआर’ की लोकप्रियता की वजह इस में आप की बोली का हरियाणवी टच है. आप ने हरियाणवी कहां से सीखी?
हरियाणवी भाषा मैं ने अपने पिता से सीखी. दिल्ली पुलिस में काम करने वाले मेरे पिता को कई भाषाओं की अच्छी जानकारी थी. उन की संगत में मैं ने यह भाषा सीखी.
 
आप ने फिल्मों में काम करने के बारे में कभी सोचा?
मैं धारावाहिक ‘एफआईआर’ को फिल्म से बड़ा मानती हूं. इसे देखने वाले करोड़ों दर्शक हैं. इस से मु?ो नाम, शोहरत, पैसा सबकुछ मिला है. आज मेरा पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो चुका है. मैं ने 2 फ्लैट खरीदे हैं. मु?ो और अधिक इच्छा नहीं है. और फिर मैं फिल्मों में ‘बिकनी’ नहीं पहन सकती.
 
आप का नाम कई लोगों के साथ जुड़ा, पर आप ने अभी तक शादी नहीं की?
नाम तो जुड़ते रहते हैं पर अभी तक शादी लायक कोई नहीं मिला. मेरी जिंदगी में हर काम अचानक होते हैं. शादी कर के कभी किसी लड़की का भला हुआ है क्या? पुरुष लड़कियों को ऐश की वस्तु सम?ाते हैं. मैं अपना जीवन अपने तरीके से जीना पसंद करती हूं.
 
आप के सपनों का राजकुमार कैसा होना चाहिए?
मैं चाहती हूं कि वह मेहनती व अपने काम के प्रति फोकस्ड हो.
 
रील लाइफ और रियल लाइफ में आप सामंजस्य कैसे बनाती हैं?
‘एफआईआर’ में मेरी जो चंद्रमुखी की भूमिका है उसे करने में बहुत एनर्जी लगती है. रोज 12 घंटे उसी भूमिका में जीना मुश्किल होता है. उस की बौडी लैंग्वेज अलग है. रियल लाइफ में मेरी इंगलिश स्ट्रौंग है, जबकि चंद्रमुखी टूटीफूटी अंगरेजी बोलती है. लेकिन इतने साल तक काम करने के बाद अब उतनी परेशानी नहीं होती.
 
आप कितनी फैशनेबल हैं?
मैं अवसर के आधार पर फैशन करती हूं. मैं अधिक फैशनेबल नहीं हूं पर जितना जरूरी है उतना अवश्य करती हूं.

खेल खिलाड़ी

भारतरत्न के हकदार 
हौकी के पुरोधा कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ दिलाने के लिए एक तरफ जहां भारतीय टीम के खिलाडि़यों ने दिल्ली की सड़कों पर मार्च किया, वहीं दूसरी तरफ एक पांच सितारा होटल में वर्तमान हौकी के पदाधिकारी और हौकी टीम के कप्तान सरदार सिंह समेत कुछ खिलाड़ी वर्ल्ड हौकी लीग की ट्रौफी के अनावरण समारोह में व्यस्त थे.
वर्षों से ध्यानचंद को भारतरत्न देने की मांग हो रही है पर भारत सरकार हर बार इसे टाल देती है. इस बार तो लग रहा था कि ध्यानचंद को यह रत्न मिल जाएगा लेकिन क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न रिटायरमैंट के तोहफे के रूप में दे दिया गया.
सब की नाराजगी इस बात को ले कर थी कि सचिन को पुरस्कार देने के लिए अभी जल्दबाजी करने की क्या जरूरत थी जबकि उस खिलाड़ी को नजरअंदाज कर दिया गया, जिस ने हमारे राष्ट्रीय खेल हौकी को सुनहरे दौर से रूबरू करवाया था.
सचिन को भारतरत्न दिए जाने पर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने भी खुशी जाहिर की थी पर उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार ने किसी खिलाड़ी को भारतरत्न देने का फैसला 20 साल पहले लिया होता तो हौकी को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले मेजर ध्यानचंद को भी यह रत्न मिल जाता जिस के वे हकदार थे. धनराज पिल्लै के अलावा महान ट्रैक व फील्ड धावक मिल्खा सिंह ने भी कहा था कि ध्यानचंद किसी अन्य से पहले भारतरत्न के हकदार थे. 
कई और खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी ध्यानचंद को भारतरत्न दिए जाने के पक्ष में हैं. वहीं अगर बात हौकी के ही पूर्व खिलाडि़यों की करें तो उन के मुताबिक ध्यानचंद को इस सम्मान से वंचित रखना उस महान खिलाड़ी का अपमान है जिस ने देश को गुलामी के दौर में खेल के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई थी. ध्यानचंद  वर्ष 1928 में एम्सटर्डम, वर्ष 1932 में लास एंजिल्स और वर्ष 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली हौकी टीमों का हिस्सा रहे थे.
 
टी-20 के बाद अब 7 पीएल
एक समय था जब टैस्ट क्रिकेट खेलने  के लिए खिलाड़ी बेताब रहते थे. उस के बाद एकदिवसीय मैच आया तो उस ने खिलाडि़यों और खेलप्रेमियों को रोमांचित कर दिया लेकिन तब भी टैस्ट क्रिकेट
का क्रेज कम नहीं हुआ. लेकिन टी-20 क्रिकेट ने जब पूरी दुनिया में धूम मचाई तो पूरा क्रिकेट का फौर्मेट ही बदल गया. टैस्ट क्रिकेट के भविष्य को ले कर बहस छिड़ गई. लेकिन लगता है अब टैस्ट क्रिकेट को बचाने की गुहार के दिन लद गए क्योंकि अब टी-20 के बाद ‘7 पीएल’ की शुरुआत होने वाली है. ‘7 पीएल’ में 7-7 खिलाडि़यों की टीम होगी. दुबई में धमाकेदार आयोजन से इस की शुरुआत होगी जिस में यूनाइटेड अरब अमीरात की कुल 7 टीमें भी हिस्सा लेंगी.
भले ही अभी इस लीग के लिए आईसीसी ने इसे विधिवत रूप से मान्यता नहीं दी है पर माना जा रहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई और आईसीसी का पूरा समर्थन इस लीग को मिला हुआ है. कहा यह जा रहा है कि इस लीग में भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, इंगलैंड, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसे देशों के खिलाड़ी खेलेंगे. जिस तरह कारोबारियों के लिए आईपीएल दुधारू गाय साबित हुआ, ठीक उसी तरह इस लीग में भी खूब पैसा बरसेगा और खिलाडि़यों की खरीदफरोख्त होगी. अब तो खेल को खेल की तरह देखना भी बेमानी होगा. वैसे भी आईपीएल आने के बाद खेल रहा कहां, वह तो पैसे के लिए खेला जाने लगा. बड़ेबड़े नेता, अभिनेता, कारोबारी खिलाडि़यों को खरीद कर अपने हिसाब से उन्हें खिलाने लगे और खिलाडि़यों को पैसा कमाने की मशीन समझने लगे. खिलाड़ी भी खुशीखुशी बिकने लगे और खेल को पैसा कमाने का माध्यम समझने लगे. बहरहाल, खेलप्रेमी अब इसे खेल भावना से न देखें क्योंकि 7 देश, 7 टीम, 7 ओवर और 7 खिलाडि़यों से आप क्या उम्मीद करेंगे. मजा तो जरूर आएगा पर खेल का नहीं.
 
बोल्ट के ट्रैक पर अमिय
पिछले वर्ष झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित नैशनल ओपन ऐथलैटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर की रेस में ओडिशा के अमिय कुमार ने गोल्ड मैडल जीता था. अब अमिय का सपना साकार होने जा रहा है क्योंकि उन्हें 4 महीने की प्रैक्टिस के लिए जमैका की राजधानी किंग्सटन जाने का मौका मिला है.
अमिय रेसर्स ट्रैक क्लब में प्रैक्टिस करेंगे. गौरतलब है कि सुपर स्टार धावक उसैन बोल्ट यहीं प्रैक्टिस करते हैं. कई ऐथलीटों को ट्रेंड करने वाले ग्लेन मिल्स ने जब अमिय को बुलावा भेजा तो उन के पास सब से बड़ी समस्या थी फंड की. किंग्सटन जाने और ट्रेनिंग लेने के लिए भारीभरकम रकम की जरूरत पड़ती है, इसलिए अमिय के लिए यह मुमकिन नहीं था पर ओडिशा सरकार और  टाटा स्टील्स ने अमिय के सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया है.
फिलहाल अमिय का उत्साहित होना लाजिमी है और उन का इरादा एशिया गेम और कौमनवैल्थ गेम में गोल्ड मैडल जीतने का है. दरअसल, सरकार और प्रबंधन यदि खेल और खिलाडि़यों को ट्रेंड करने के लिए विदेशों जैसी सुविधा अपने ही देश में मुहैया कराएं तो शायद ऐसे सैकड़ों अमिय जैसे धावक देश का नाम रोशन करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.

पाठकों की समस्याएं

मैं 35 वर्षीय विवाहित पुरुष हूं. मैं पत्नी की एक आदत से बड़ा परेशान हूं. वह रात को उठ कर बारबार गैस की नौब चैक करती रहती है कि गैस ठीक से बंद है या नहीं. ऐसा वह अनचाही दुर्घटना के डर से करती है. उस की इस आदत से उस की नींद पूरी नहीं हो पाती और वह परेशान रहती है. मुझे समझ नहीं आता मैं उस की इस परेशानी और डर को कैसे दूर करूं?
आप की पत्नी की समस्या ओसीडी यानी औब्सैसिव कंपलसिव डिसऔर्डर की है. यह एक मानसिक समस्या है जो शंका व डर के कारण होती है. इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति में बारबार हाथ धोने, दरवाजा बंद है या नहीं जैसे अन्य कई लक्षण होते हैं. जब यह आदत किसी की दैनिक जिंदगी को प्रभावित करने लगे तो समझ जाइए कि आप को इलाज की जरूरत है. अपनी पत्नी की इस समस्या के समाधान के लिए आप किसी मनोचिकित्सक से मिलें और इस दौरान पत्नी से किसी तरह की नकारात्मक बात न करें और न ही उस की इस आदत की आलोचना करें व मजाक बनाएं.
मैं 40 वर्षीय विवाहित महिला हूं. मेरी 5 और 11 वर्ष की 2 बेटियां हैं. कुछ दिनों से मेरी बड़ी बेटी अपनी छोटी बहन से बहुत लड़नेझगड़ने लगी है. लड़ते वक्त वह कहती है कि मम्मीपापा तुझ से ज्यादा प्यार करते हैं, तू ही मम्मीपापा की लाडली है. ऐसा कह कर वह रोने लगती है. मुझे समझ नहीं आता वह ऐसा क्यों करती है. मैं चाहती हूं दोनों बेटियां आपस में प्यार से रहें. पता नहीं उस के मन में यह कैसे घर कर गया है कि हम अपनी छोटी बेटी से ज्यादा प्यार करते हैं. मैं उस की इस सोच को कैसे दूर करूं?
आप की समस्या ज्यादातर परिवारों में देखी जाती है. इसे ‘सिबलिंग राइवैलरी’ कहा जाता है जहां एक बच्चे को हमेशा लगता है कि मम्मीपापा उसे ज्यादा प्यार करते हैं, खासकर बड़े बच्चे को, क्योंकि बड़े को हमेशा जिम्मेदार होने के लिए कहा जाता है, अपनी सभी चीजें छोटे भाईबहनों से बांटने के लिए कहा जाता है.
आप की बड़ी बेटी को 6 साल तक आप का इकलौता प्यारदुलार मिला है. ऐसे में आप का बंटता प्यार उस के मन में छोटी बहन के प्रति दुर्भावना को जन्म दे रहा है. और वह उस से लड़नेझगड़ने लगी है. आप अपनी बड़ी बेटी को प्यार से अपने पास बिठाएं और समझाएं. साथ ही, अच्छा या बुरा काम करने पर दोनों बेटियों के लिए एकजैसे ही नियम बनाएं ताकि उस के मन से यह भावना मिट सके कि आप छोटी बेटी को ज्यादा प्यार करती हैं.
मैं 28 वर्षीय युवती हूं. अपने ही कालेज के एक लड़के से 3 साल की दोस्ती और प्यार के बाद मैं ने उस से शादी कर ली. लेकिन जब से हमारी शादी हुई है, मेरे पति का व्यवहार बदल गया है. वे मुझे पहले जैसा प्यार नहीं करते, पहले की तरह नाराज हो जाने पर मनाते नहीं. मुझे विश्वास नहीं होता कि क्या यह वही मेरा प्यार है. मुझे लगता है जैसे मेरे सारे सपने टूट गए हैं. मैं क्या करूं?
आप शायद अभी भी सपनों की दुनिया में हैं. आप यह भूल रही हैं कि तब आप प्रेमीप्रेमिका थे, आज पतिपत्नी हैं. तब आप कभीकभार मिलते थे, एकदूसरे को खुश रखने की भरपूर कोशिश करते थे. आज आप के पति की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. ऐसे में आप का यह अपेक्षा करना कि वे पहले की तरह प्रेमी जैसा व्यवहार करेंगे, गलत है.
आप ही सोचिए, क्या आप का व्यवहार पत्नी जैसा नहीं हो गया है. हालांकि अगर आप चाहें तो, अभी भी अपने पति के दिल में अपनी कोशिशों द्वारा थोड़े से बचे समय में भी प्यार व मनुहार से वही पुराना प्रेमी पा सकती हैं. इस के लिए आप को बस अपने व्यवहार में तबदीली करनी होगी.
मैं एक सामान्य शक्ल की 28 वर्षीय युवती हूं. मेरी हाल ही में सगाई हुई है. मेरे होने वाले पति अत्यंत स्मार्ट हैं. मैं डरती हूं कि कहीं मेरी सामान्य शक्ल की वजह से हमारे वैवाहिक जीवन में कोई समस्या तो नहीं आएगी. वैसे मैं एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी करती हूं. मेरे आसपास के सभी लोग मुझे बहुत चाहते हैं. मैं अपनी शंका का समाधान कैसे करूं?
आप के मन में ऐसा खयाल आना स्वाभाविक है. कई बार जब एक पार्टनर अधिक स्मार्ट व खूबसूरत होता है तो दूसरे का आत्मविश्वास डगमगा जाता है. लेकिन आप इसे सकारात्मक नजरिए से देखें और स्वयं को ग्रूम करें. अपनी ड्रैसिंग सैंस, अपने हेयरस्टाइल व चालढाल से अपने अंदर आत्मविश्वास लाएं. साथ ही, विवाह के बाद अपने व्यवहार व गुणों से पति का दिल जीतें. वैसे भी आप के होने वाले पार्टनर ने आप के अंदर छिपी काबिलीयत को देख कर ही आप को पसंद किया होगा. इसलिए अपने मन से हर शंका को निकाल दें.
मैं अपने 8 वर्षीय बेटे को ले कर बहुत परेशान हूं. वह जब देखो, टीवी पर कार्टून चैनल्स देखता रहता है. एक ही एपिसोड को कईकई बार देखता है. इस शौक के चक्कर में वह खानापीना और अपना होमवर्क तक करना भूल जाता है. मैं चाहती हूं कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे. लेकिन वह कुछ समझता ही नहीं. मैं क्या करूं?
आप को अपने बच्चे के भविष्य के लिए थोड़ा अनुशासित होना पड़ेगा. आप अपने बेटे को कार्टून चैनल देखने दें लेकिन उस का समय निश्चित कर दें. अगर वह पढ़ने में आनाकानी करता है तो टीवी पर कार्टून चैनल पर चाइल्ड लौक लगा दें. जब वह चैनल आएगा ही नहीं तो वह कुछ नहीं कर पाएगा. उसे आउटडोर एक्टिविटीज में शामिल करें, उसे किताबें ला कर दें. जब उस का इन सब में मन लगेगा तो धीरेधीरे टीवी से उस का ध्यान भी हट जाएगा. –

ये पति

मेरे पति रिटायरमैंट के बाद ज्यादातर घर पर ही रहते हैं. एक बार बहू मीनाक्षी अपने 2 नन्हे बच्चों के साथ बाजार से लौटी. हाथ में पकड़ा रुपया रिकशे वाले को पकड़ा कर घर में घुसी तो घबरा कर बोली, ‘‘मेरा पर्स? कंधे पर टंगा मेरा पर्स कहां खो गया?’’
इतना सुनना था कि मेरे पति ने रिकशे वाले को रोक कर उस की तलाशी ले ली.
बहू बोली, ‘‘धूप के कारण बच्चों को दुपट्टा ओढ़ाया था. शायद, उसी समय पर्स गिरा हो.’’
बहू का मोबाइल पर्स में था. मेरे पति अपने मोबाइल से बहू के मोबाइल का नंबर मिलाते हुए उधर ही चल दिए जिधर से बहू आई थी. एक घंटे बाद वे पर्स सहित वापस आए तो हम खुश होने के साथसाथ अचंभित भी हो गए. 
इन्होंने बताया कि बारबार रिंग करने पर एक व्यक्ति ने फोन उठाया. उस ने बताया कि पर्स उस के पास है. यदि वे उस के बताए मार्ग पर चल कर वहां पहुंच जाएंगे, जहां वह है, तो वह उन्हें पर्स दे देगा.
वे रिकशे पर बैठ कर गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान कर गए. रास्ते में डर भी रहे थे क्योंकि वह व्यक्ति अपना पता न बता कर सिर्फ रास्ता बता रहा था जो रेलवेलाइन पार कर एक गांव का था.
काफी दूर जाने पर जब वे लौटने की सोच रहे थे तभी अचानक रिकशे वाला बोला, ‘‘साहब, वह देखिए, उस बाउंड्री के ऊपर से कोई झांक रहा है. शायद, वही घर है. मैं हूं न आप के साथ.’’
पर्स पाने वाला व्यक्ति दूध वाला था. बारबार घंटी बजने से वह घबरा गया और घर वापस आ गया. उस ने पर्स वापस कर दिया और इनाम भी नहीं लिया.
पति के हाथ में पर्स और चेहरे पर विजयी मुसकान देख, मैं उत्साहित हो बोल पड़ी, ‘‘65 साल के बूढ़े या 65 साल के जवान. इन में से क्या हैं आप?’’
रेणुका श्रीवास्तव, लखनऊ (उ.प्र.)
 
बात वर्ष 1989 की है. मैं अपनी शादी के बाद पहली बार मायके गई. 3-4 दिन बाद मेरी याद सताने पर अपने घर से मामा के घर जाने का बहाना बना कर मेरे पति मेरे मायके रात 12 बजे पहुंचे तो मेरे डैडी ने पूछा, ‘‘बेटा, कहां से आ रहे हो?’’ तो मेरे पति ने झूठ बोल दिया, ‘‘एक शादी से.’’
उस वक्त बिजली न होने के कारण डैडी ने मेरे पति को अपने साथ छत पर सुला लिया. सुबह अपने पति को उदास देख कर मैं ने कारण पूछा तो बोले, ‘‘मैं तुम्हारी याद में बेकरार हो कर चला आया, मैं किसी दावत में नहीं आया था. मुझे बहुत जोर की भूख लगी है.’’
यह सुन कर मैं हंसतेहंसते लोटपोट हो गई और मेरी खुशी का ठिकाना न रहा.
वीना सिंह, कानपुर (उ.प्र.) 
 

वो पल

 
लबों को हंसाते हैं इजहार के वो पल
नैनों को लुभाते हैं इंतजार के वो पल
बारबार याद आते हैं इकरार के वो पल
दिल को गुदगुदाते हैं प्यार के वो पल.
सुरेंद्र कुमार ‘सूरज’

बंधन

हमारे अक्स के
धुंधले पड़े सारे नजारे हैं
कदम जिस ओर भी जाएं
दीवारें ही दीवारें हैं
बहुत चाहा कि अब तो
तोड़ ही डालें सभी बंधन
मगर ये काम हो कैसे
ये बंधन भी तुम्हारे हैं.
पूनम गुणवंत

सूक्तियां

योग्यता
आम आदमी जिस काम को मुश्किल से कर पाए, उसे आसानी से कर लेने वाला योग्य है और योग्य आदमी जिस काम को असंभव कह दे उसे करने वाला प्रतिभाशाली है.
अभिलाषा
जो हमारे पास नहीं है उसे पाने की जब हम अभिलाषा रखने लगते हैं, तो जो कुछ हमारे पास होता है उस से खुशी मिलनी बंद हो जाती है.
रहस्य
जो अपने रहस्यों को नौकर को प्रकट कर देता है, वह नौकर का नौकर हो जाता है.
अपनापन
जो लोग अपना अपमान करने वालों का घमंड नहीं तोड़ते वे बहुत समय तक नहीं रहते.
अज्ञानता
अपने ज्ञान के लिए गर्वित होना सब से बड़ी अज्ञानता है.
अपराध
हर अनैतिक काम अपराध है, कानून की पकड़ में आना ही अपराध नहीं है.
प्रशंसा
झिड़कियां और बदनामी वही सह सकते हैं जो प्रशंसा के योग्य होते हैं.

हमारी बेड़ियाँ

मैं अपनी बहन की लड़की की शादी में गई थी. हमारे यहां प्रथा है कि बरात आने से पहले लड़की कुलदेवता के सामने बैठ कर गौरीपूजन करती है. बहन का घर सुदूर देहात में था. अप्रैल का महीना होने की वजह से काफी गरमी पड़ रही थी.
प्रथा के अनुसार लड़की को गौरीपूजन के लिए बैठाया गया. शादी की भारीभरकम साड़ी और चुनरी से लदीफंदी लड़की ने 2 दिन से उपवास रखा था. आधे घंटे के बाद बिजली चली गई. ऊपर से जैनरेटर भी खराब हो गया.
अचानक लड़की बेहोश हो कर गिर गई. कुछ औरतों ने उसे उठा कर पलंग पर लिटा दिया. सभी लोग घबरा गए. डाक्टर को बुला कर दिखाया गया तो इलाज के बाद लड़की ठीक हो सकी. इलाज के अभाव में लड़की की मृत्यु हो सकती थी.
वीणा कुमारी, समस्तीपुर (बिहार)
होली के अवसर पर मैं और मेरे पति अपने एक परिचित के घर पर पहली बार गए. हमारे पास रंग के नाम पर गुलाल ही था. चूंकि श्रीनगर में ठंड बहुत ज्यादा होती है, इसलिए होली खेलने के लिए थोड़ा सा गुलाल ही इस्तेमाल किया जा रहा था.
उन के बच्चे खिड़की में बैठे बड़ी मायूसी से बाहर होली खेलने वालों को देख रहे थे. हम ने डोरबैल बजाई तो बड़े लड़के ने दरवाजा खोला. हम ने अपना परिचय दे कर उसे गुलाल लगाने को तत्पर होते हुए ‘होली मुबारक हो’ बेटा कहा तो वह बोला, ‘‘नहीं अंकल, हम होली नहीं खेल सकते. हमारे यहां इस बार होली नहीं खेली जाएगी.’’
हम ने एकदम अपना हाथ रोकते हुए पूछा, ‘‘क्यों?’’ तो उस ने बताया, ‘‘हमारे दादाजी के बड़े भाई की मृत्यु हुए अभी 3 ही महीने हुए हैं इसलिए इस बार हम लोग होली नहीं खेल सकते.’’
हम ने अफसोस जताया, तबतक बच्चों की मम्मी भी वहां आ गई थीं. हम वापस जाने लगे तो दोनों बच्चों खासकर छोटे वाले की होली खेलते लोगों को देख रही हसरत भरी आंखें व चेहरे की मायूसी जैसे दिल में गड़ गईं.
हमारे देश में आज भी कुछ रूढि़यां, परंपराएं व रिवाज बड़ी ही शिद्दत व गहराई से मौजूद हैं. उस में से एक है कि खानदान में किसी की मौत हो जाए तो सालभर तक कोई त्योहार व खुशी नहीं मनाई जाती है. यह धार्मिक बेड़ी है और कुछ नहीं.
इन रिवाजों की बेडि़यों को भला बच्चे क्या समझ पाएंगे. आज के तनाव भरे जीवन में जो रूढि़यां व परंपराएं और भी दुख भरें, जीवन को तनावयुक्त करें उन्हें निभाना कहां तक उचित है?
मंजु शर्मा, श्रीनगर (जम्मू कश्मीर)

इन्हें भी आजमाइए

  1. होली पर पहने जाने वाले वस्त्र इतने पुराने भी नहीं होने चाहिए कि वे अफरातफरी या खींचातानी के दौरान एक झटके में ही फट जाएं. उचित होगा कि वस्त्रों को होली से एक दिन पहले ही पहन कर देख लें कि वे कहीं से उधड़े हुए तो नहीं हैं.
  2. घर में पार्टी के लिए कोल्ड डिं्रक फ्रिज में रखनी हो और उस में जगह न हो तो अपनी वाशिंग मशीन में बर्फ डाल कर कोल्ड ड्रिंक की बोतलें व कैन रख दें. जब बर्फ पिघल जाए तो वाशिंग मशीन का ड्रेन का बटन दबा कर आसानी से मशीन से पानी निकाल दें.
  3. स्वेटर या गरम मोजे को रफू करने के लिए ऊन के गोले को सलाई में लटका कर उबलते हुए पानी की केतली के ऊपर लटकने दें. जब वह भाप से खूब भीग जाए तो सुखा लें. इस ऊन से रफू किया गया हिस्सा सिकुड़ेगा नहीं.
  4. सरदी में टांगों में गरमाहट बनी रहे, इस के लिए पुराने स्वेटर की स्लीव्स, लंबी जुराब की तरह पहनी जा सकती हैं.
  5. साफ, कीटाणुरहित बर्फ के लिए पानी को पहले उबाल लें, फिर आइसट्रे में जमाएं.
  6. यदि क्रीम सूख जाए तो उस में थोड़ी सी ग्लिसरीन डाल दीजिए, पहले की तरह मुलायम हो जाएगी.द्य

बात ऐसे बनी

मैं अमृतसर मेल टे्रन से भोपाल से मुंबई आ रहा था. दोपहर बाद मालूम हुआ कि डब्बे में बत्तियां नहीं जल रही हैं. रात कैसे बिताएंगे, हम लोग इस बात पर चर्चा कर रहे थे. कई रेल कर्मचारी वहां मौजूद थे. वे बोले, ‘‘अगले स्टेशन पर टे्रन 15 मिनट रुकेगी. वहां स्टेशन मास्टर से शिकायत करने से आप की समस्या दूर हो जाएगी.’’
इस पर कई यात्री बोल पड़े, ‘‘शिकायत करने से कुछ नहीं होता.’’
स्टेशन आया. वे कर्मचारी उतर गए. मगर हम में से कोई यात्री नीचे न उतरा. ‘कुछ होने वाला नहीं है’ कह कर सब अपनीअपनी जगह बैठ गए.
मैं नीचे उतरा और शिकायत की. स्टेशन मास्टर ने कहा, ‘‘आप जाइए, मैं कार्यवाही करता हूं.’’
थोड़ी देर में बत्तियां जलने लगीं. एक कर्मचारी आ कर मुझ से पूछ कर गया, ‘‘सब ठीक है न?’’
प्रफुल्ल आर शाह, मुंबई (महा.)
मेरी प्रिय सहेली को हर बात बहुत बढ़ाचढ़ा कर बोलने की आदत है. जब मैं पहली बार उस के पति से मिली, उस ने मेरे बारे में बताते हुए कहा, ‘‘मेरी सहेली के तो ठाट हैं, इस के पास 2 कारें हैं, 2 फ्लैट हैं.’’
मैं ने मौका मिलते ही उस से कहा, ‘‘अरे यार, तू ने तो अपने हसबैंड से मेरी सब चीजों को ‘डबल’ कर बताया, मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि कहीं तू ‘डबल’ करते हुए मेरे 2 बच्चों को 4 और 1 पति को 2 पति न बता बैठे.’’
मेरी इस चुटकी का ‘सकारात्मक’ प्रभाव पड़ा कि मेरी सहेली ने तब से अपनी आदत पर कंट्रोल करना शुरू कर दिया.
संध्या, बेंगलुरु (कर्नाटक)
दिल्ली में मेरा घर एक छहमंजिली इमारत में है. मैं नीचे की मंजिल पर रहती हूं. मेरे से ऊपर वाली मंजिल पर रहने वाले मेरे पड़ोसी अपनी बालकनी से कूड़ा नीचे फेंक देते थे जो सीधा हमारे दरवाजे के सामने आ कर गिरता था.
मैं ने उन से कई बार इस विषय में निवेदन किया पर वे हर बार मना कर देते कि हम इस तरह से कूड़ा नहीं फेंकते हैं. मैं ने हार मान कर उन से कहना बंद कर दिया.
एक दिन कूड़ा ऊपर से फिर गिरा तो मैं बाहर गई. मुझे उस में गैस सिलैंडर रिफिल की परची दिखी. उस में उन्हीं का नाम और पता लिखा था.
जब मैं ने उस दिन उन से कूड़ा न डालने को कहा तो उन्होंने अपनी आदत के मुताबिक कहा कि यह कूड़ा उन के यहां से नहीं फेंका गया है. पर जब मैं ने उन्हें कूड़े में से मिली वह परची दिखाई तो वे मना न कर सके. उस दिन के बाद से हमारे घर के सामने ऊपर से कूड़ा गिरना बंद हो गया.
राखी राज, लोधी रोड (नई दिल्ली) 
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