मच्छर अब हमारे फैलाए हुए कूड़े से प्लास्टिक उठाकर हमारे खाने में मिलाने लगे हैं. यह खुलासा बुधवार को हुआ है.

ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि मच्छरों के लावां कूड़े में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक खा रहे हैं, जो हमारे फूड चेन में फैल रह्म है. यह मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं. ये फूड चेन और दूषित पानी के जरिए फैल रहे हैं. माइक्रोप्लास्टिक दरअसल प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण हैं, जो इंसानों के फैलाए कूड़े से बनते हैं. इनमें सिंथेटिक कपड़े, टायर और कॉन्टैक्ट लैंस जैसी चीजें भी शामिल हैं. ये समुद्र में भी फैल रहे हैं और समुद्री जीवों को भी नुकसान पहुंच सकते हैं. इन्हें इकट्ठा करना बेहद मुश्किल है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक उन्हें पहली बार इस बात के सबूत मिले हैं. कि माइक्रोप्लास्टिक मच्छर और अन्य कीड़ों के जरिए हमारे इकोसिस्टम में फैल सकते हैं. रिसर्च टीम ने पाया कि मच्छरों के लार्वा माइक्रोप्लास्टिक खा रहे हैं. और जो भी जीव उड़ने वाले कीड़ों को खा रहे हैं, वे प्लास्टिक भी खा रहे हैं. इस प्रयोग को करने के लिए रिसर्च टीम ने पानी में मिले 150 मच्छरों के लार्वा को माइक्रोप्लास्टिक मिले भोजन को खिलाया. इसके बाद इनमें से 30 को चुना गया जिनमें से 15 लार्वा और 15 वयस्क मच्छर थे. इनका परीक्षण किया गया तो पता चला कि इन सभी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है.

इस अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता और रीडिंग यूनिवर्सिटी की वायोलॉजिकल साइंटिस्ट अमांडा कैलाधन बताती है, यह काफी बड़े पैमाने पर और व्यापक है. हम उदाहरण के तौर पर सिर्फ मच्छर को देख रहे थे, लेकिन पता चला कि पानी में कई किस्म के कीड़े रहते हैं जिनका जीवन चक्र मच्छरों के लार्वा के समान ही हैं. ये लार्वा पानी में पड़ी चीजें खाते हैं और वयस्क में तब्दील हो जाते हैं.' उन्होंने बताया कि यह मूल रूप से प्रदूषण का एक नया तरीका या . रास्ता है, जो पहले कभी नहीं देखा गया. टीम ने लैव कंडीशन में इस स्थिति को देखा है, लेकिन इसकी संभावना भी बहुत है कि यह प्रक्रिया जंगल में पहले से चल रही हो. यह एक बड़ी समस्या है और पर्यावरण में पहले से मौजूद प्लास्टिक हमारे साथ बहुत लंबे समय तक रहेगी.

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