कंपनियों का क्रेडिट प्रोफाइल बिगड़ने से भारतीय बैंकों के लिए रिस्क और नोटबंदी से बैंकों की एसेट क्वॉलिटी के लिए शॉर्ट टर्म में जोखिम बढ़ गया है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार को यह बात कही. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि नोटबंदी से इकनॉमिक ऐक्टिविटी पर अच्छा-खासा असर पड़ेगा.

एसएंडपी ने कहा कि 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट वापस लिए जाने से लॉन्ग टर्म में फायदा होगा, लेकिन शॉर्ट टर्म में इससे ग्रोथ कम हो सकती है और बैंकों की एसेट क्वॉलिटी पर बुरा असर पड़ेगा. एसएंडपी ने बताया कि भारतीय कंपनियों की क्रेडिट क्वॉलिटी पिछले कुछ साल में तेजी से खराब हुई है क्योंकि डोमेस्टिक इंडस्ट्रियल ऐक्टिविटी सुस्त है, कमोडिटी प्राइसेज निचले स्तर पर हैं, प्रॉजेक्ट्स में देरी हो रही है, प्रॉफिटेबिलिटी कम है और कुछ सेगमेंट में बहुत ज्यादा कर्ज है.

मार्च 2016 तक मेटल सेक्टर का स्ट्रेस्ड लोन 34.4% और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का 16.7% था. इसके बावजूद एसएंडपी ने सभी फाइनैंशल इंस्टीट्यूशंस की पिछली रेटिंग बनाए रखी है. उसने बताया कि पॉलिसी लेवल पर लगातार पहल हो रही है, जिससे मीडियम टर्म में भारत का आर्थिक और फिस्कल परफॉर्मेंस अच्छा रह सकता है. ऐसे में भारत की जीडीपी ग्रोथ ऐसे दूसरे देशों से अधिक रह सकती है. उधर, मूडीज ने कहा कि नोटबंदी से ‘इकनॉमिक ऐक्टिविटी ’ काफी हद तक प्रभावित होगी और इससे शॉर्ट टर्म में जीडीपी ग्रोथ काफी कम हो जाएगी.

हालांकि, लॉन्ग टर्म में इससे टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा और सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन का लक्ष्य हासिल कर पाएगी. उसने कहा है कि नोटबंदी का असर इकनॉमी के सभी सेक्टर्स पर पड़ रहा है. मूडीज ने कहा कि नोटबंदी से कुछ लोगों और कंपनियों की ब्लैक मनी बर्बाद हो सकती है.

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