अगर आप यात्रा के लिए निकल रहे हैं तो यात्रा के दौरान जहां भी रात्रि विश्राम का प्लान बना रहे हों, सब से पहले औनलाइन आप वहां के सुरक्षा साधनों की जांच कर लें. होटल में सीसीटीवी कैमरे, आग, भूकंप आदि से बचने के उपाय किए गए हैं या नहीं, इस की जांच भी कर लें. अगर ये सब चीजें होटल में न हों तो ऐसे होटलों से दूरी बनाएं. साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि बहुत सस्ते होटलों के चक्कर में न पड़ें. आप ने औनलाइन जो चीजें होटल के बारे में जांची हैं, उन्हें कमरा लेने के पहले सुनिश्चित कर लें कि वे चीजें होटल में हैं भी या नहीं.

अब शालिनी को लीजिए. उस ने गरमी की छुट्टियां बिताने के लिए पिथौरागढ़ को चुना. उस ने वहां जाने से पहले एक औनलाइन बुकिंग साइट से एक होटल बुक किया.

नियत समय पर उस ने होटल में पहुंच कर कमरा ले लिया. लेकिन यह क्या, उसे औनलाइन बुकिंग के दौरान जो सुविधाएं बुकिंग साइट पर दिखाई गई थीं उन की आधी भी उस होटल में नहीं थीं. शाम को भोजन भी उसे दिए गए मेन्यू के अनुसार नहीं दिया गया. चूंकि शालिनी ने पेमैंट उस बुकिंग साइट के जरिए औनलाइन की थी, इसलिए उस ने उस होटल की शिकायत उस औनलाइन बुकिंग साइट के कस्टमर केयर नंबर से कर दी.

जब वह दूसरे दिन सुबह टहलने के लिए निकल रही थी तो होटल प्रबंधन ने यह कह कर उसे रोक लिया कि उसे उस बुकिंग साइट के शिकायत नंबर पर फोन कर के होटल की कमियां दूर किए जाने की जानकारी देनी होगी, वरना उसे होटल से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा.

वह उस होटल प्रबंधन द्वारा बंधक सी बना ली गई थी. उस ने इस की शिकायत पुलिस में करने की धमकी भी दी, लेकिन होटल वालों का जवाब था कि यहां के नजदीकी थाने को बंधीबंधाई रकम भेजी जाती है, इसलिए पुलिस कोई सुनवाई नहीं करेगी. थकहार कर शालिनी ने फिर से उस कस्टमर केयर नंबर पर उस होटल की कमियों को दूर किए जाने की सूचना दी और उस होटल का 3 दिनों का पूरा पेमैंट किए जाने के बावजूद उस ने होटल छोड़ दिया.

इस के बाद जब वह घर लौटी तो उस ने उस बुकिंग साइट की जीरो रैंकिंग दी. जिस के बाद बुकिंग साइट द्वारा उस से जीरो रैंकिंग किए जाने का कारण फोन कर पूछा गया तो उस होटल की सारी घटना उस ने बता दी. नतीजतन, उस बुकिंग साइट ने अपना एग्रीमैंट उस होटल से खत्म कर लिया और इस की जानकारी उस साइट ने ईमेल व फोन से शालिनी को दी. लेकिन जिस परेशानी से शालिनी को दोचार होना पड़ा, उस के लिए यह कार्यवाही नाकाफी थी.

इन बातों का रखें विशेष ख्याल

एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक आशुतोष मिश्रा का कहना है कि अगर आप किसी छोटे शहर में घूमनेफिरने का विचार बना रहे हैं तो आप को खासा सतर्क रहने की जरूरत होती है. ऐसी जगहों पर चोरी, छेड़खानी, रेप, मारपीट की घटना हो जाने की दशा में आप को ऐसी परिस्थितियों से निकालने में कुछ चीजें मददगार साबित हो सकती हैं. इस के लिए आप की पहली कोशिश रहनी चाहिए कि आप की मोबाइल की बैटरी फुलचार्ज हो.

दरअसल, हम ऐसी जगहों पर टै्रवलिंग के दौरान फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के चक्कर में मोबाइल की बैट्री गंवा बैठते हैं जिस से किसी मुसीबत की दशा में मोबाइल का उपयोग नहीं कर पाते हैं. अगर आप का मोबाइल चार्ज है तो किसी मुसीबत में फंसने पर आप मोबाइल का उपयोग पुलिस को कौल करने, अपने नजदीकी रिश्तेदारों और जानने वालों को हादसे की सूचना देने आदि में कर सकते हैं.

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पुलिस या मुसीबत वाली जगह से निकलने के लिए जीपीएस का उपयोग करने में भी मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं. इसलिए मोबाइल डिस्चार्ज मोड में न जाने पाए. इस से बचने के लिए चार्ज किया हुआ अच्छी क्वालिटी का पावरबैंक साथ रखना न भूलें.

इमरजैंसी कौंटैक्ट नंबर रखें साथ :  किसी छोटे शहर में ट्रैवलिंग के लिए जा रहे हों तो आप स्थानीय थाने से ले कर पुलिस महकमे के बड़े अधिकारियों, एनजीओ, अपने वकील, नजदीकी रिश्तेदारों और दोस्तों के मोबाइल नंबर रखना न भूलें. हो सके तो इन सब नंबरों को किसी अलग डायरी में भी लिख कर रखें, क्योंकि मोबाइल गायब होने, छीने जाने या डिस्चार्ज होने की दशा में ये लिखे गए नंबर आप के बहुत काम के हो सकते हैं. इन नंबरों के अलावा पर्यटन विभाग की ट्रैवल गाइडबुक रखना भी न भूलें. ये सारी चीजें आप की मददगार साबित हो सकती हैं.

जब पुलिस न सुने :  ट्रैवलिंग के दौरान आप के साथ चोरी, ठगी, छेड़खानी, रेप, मारपीट की घटना हो जाए और पुलिस में शिकायत के बावजूद पुलिस आप की न सुने तो आप अपनेआप को लाचार महसूस करते हैं.

इन छोटे शहरों में दूसरे बड़े पर्यटन स्थलों की तरह सैलानियों की मदद के लिए पर्यटन थाने भी नहीं मिलने वाले हैं. ऐसी दशा में आप के साथ हुई घटना की रिपोर्ट अगर पुलिस नहीं लिखती है तो यह आम बात है. ऐसी जगहों की पुलिस अकसर अपराधियों से मिली होती है और उन से पुलिस को कमीशन की अच्छीखासी रकम मिलती है.

ऐसी दशा में अपनी स्थिति की सूचना पुलिस के उच्चाधिकारियों को दें और हो सके तो कोई सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ें जिस से आप संभावित खतरे से बच सकें. आप खुद की सुरक्षा को नजर में रख कर सोशल मीडिया के जरिए औनलाइन आ कर भी अपनी सुरक्षा की गुहार लगा सकते हैं. इस से अपराधियों के हौसले पस्त हो सकते हैं और आप का यह कदम पुलिसकर्मियों पर भी भारी पड़ सकता है.

इस के अलावा अगर पुलिस आप की सुनवाई न करे तो पुलिस और उस के आला अधिकारियों से साक्ष्यों सहित औनलाइन गुहार लगा सकते हैं. ऐसे में पुलिस का कार्यवाही करना उस की मजबूरी हो जाती है क्योंकि औनलाइन शिकायतों की निगरानी बड़ी सक्रियता से की जाती है.

रेप, छेड़खानी आम बात :  सैलानियों के साथ छोटे तो छोटे, बड़े शहरों में जहां पर्यटकों की भीड़ ज्यादा होती है वहां भी छेड़खानी और रेप की घटनाएं सामने आती रहती हैं. ये घटनाएं देशीविदेशी सभी पर्यटकों के साथ होती हैं.

इन घटनाओं का दोहराव इस बात की तरफ इशारा करता है कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों में पुलिस का कोई खौफ नहीं होता. इस का सिर्फ एक ही कारण है कि स्थानीय लैवल पर अपराधियों और पुलिस का गठजोड़ होता है जिस के चलते ऐसे अपराधियों पर पुलिस कार्यवाही करने से कतराती है.

कानूनी मामलों के जानकार मंगेश दूबे का कहना है, ‘‘आप के साथ रेप, छेड़खानी जैसी घटना हो जाए तो सब से पहले आप अपने साथ हुए इस तरह के जुर्म से जुड़े सभी सुबूत सुरक्षित रख लें. अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सुबूत कारगर साबित होंगे. साथ ही, ऐसी घटना की सूचना जितनी जल्दी हो सके, पुलिस को दें. अगर पुलिस ऐसी घटनाओं में कोई उचित कार्यवाही न करे तो आप स्थानीय मीडिया को सारी बातें बताएं. मीडिया ऐसी बातों को उठा कर पुलिस पर कार्यवाही के लिए दबाव बना सकती है.’’

ऐसी ही एक घटना कुछ दिनों पहले मिर्जापुर जिले में स्थित अहरौरा बांध देखने आए देशी और विदेशी सैलानियों के साथ हुई. ये सैलानी यह सोच कर आए थे कि वे मिर्जापुर के इस शांत स्थल अहरौरा के लखनिया दरी जलप्रपात पर एंजौय करेंगे. इस में विदेशी सैलानियों व युवकयुवतियों के संग मनचलों ने छेड़खानी की. साथ ही, विरोध करने पर उन्होंने सैलानियों की पिटाई भी कर दी थी.

घटना की सूचना के बाद जब पुलिस पहुंची तब तक 5 आरोपी भाग चुके थे. उस में से एक पीडि़त भारतीय लड़की की तहरीर पर 4 आरोपियों को हिरासत में तो लिया गया था लेकिन भागे 5 आरोपियों पर अज्ञात में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने अपनी कार्यवाही पूरी की, जबकि पुलिस चाहती तो पकड़े गए आरोपियों से बाकी लोगों के नाम उगलवा लेती.

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सैलानियों के साथ घटना में शामिल आरोपियों का पुलिस द्वारा बचाव किए जाने के सवाल पर मंगेश दूबे कहते हैं कि चूंकि सैलानियों के साथ घटना को अंजाम देने वाले स्थानीय होने के साथ पुलिस से अपनी गठजोड़ के चलते बच जाते हैं, इसलिए जब भी हम किसी ऐसे शहर में टहलने का मन बना रहे हैं तो हमें किसी अनजान व्यक्ति से दोस्ती करने से बचना चाहिए.

अनजान व्यक्ति मौके का फायदा उठा कर नशीली दवाएं खिला कर लूट सकते हैं या आप को ठगी का शिकार बना सकते हैं. अगर आप महिला हैं तो आप को ऐसी जगहों पर खासा सतर्क रहने की जरूरत है.

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