सपना है पूरा जहां घूमने का, लेकिन एक दोस्त की ‘न’ से प्लान कैंसिल पर कैंसिल होते जाएं तो आप क्या करेंगी? किसी और के भरोसे बैठी रहेंगी? अपने गु्रप के हर सदस्य को मनातेमनाते ट्रिप के मौके गंवाती रहेंगी? वह समय गया जब मम्मी कहा करती थीं कि जहां जाना है शादी के बाद जाना. अब समय है कि दोस्त हों न हों, साथ जाने के लिए गु्रप हो न हो, उठो, सामान बांधो और अपनी मंजिल की ओर निकल जाओ.

सोलो ट्रैवल प्लान जितना डरावना लगता है, असल में वह उस से कहीं ज्यादा रोमांच भरा होता है. खासकर, लड़कियों को तो सोलो ट्रैवलिंग के लिए जाना ही चाहिए. यह न केवल आप के आत्मविश्वास को बढ़ाता है बल्कि आप को आंतरिक व बाहरी दोनों रूपों से मजबूत भी बनाता है. किसी अनजान शहर में घूमना, कहीं पहाड़ की चोटी से सूरज डूबते देखना, एक नई हवा, नई ऊर्जा को महसूस करना अलग एहसास है, जो सोलो ट्रिप पर ही आप को मिलता है. फैमिली ट्रैवल, गु्रप ट्रैवल और अपने पार्टनर के साथ ट्रिप पर जाने और अकेले ट्रिप पर जाने में बहुत फर्क है.

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सोलो ट्रिप पर आप की निर्भरता खुद पर होती है किसी और पर नहीं, आप जहां चाहें, जैसे चाहें, अपनी मरजी से आजा सकते हैं, किसी और की मनमरजी के हिसाब से आप को कार्य नहीं करना पड़ता. दुनिया को देखने का नजरिया अकेले जाने पर अलग होता है. आप किसी पल शांत, तो किसी पल मस्ती से भरे हुए होते हैं, जिस में आप को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं होता.

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