भारत में पर्यटकों को ठगने का एक लंबा इतिहास रहा है. लेकिन हां, बदलते दौर के साथ ठगी का चेहरा भी बदल गया है. इस ने अब गुरूकंटाल, ट्रैवल एजेंट, गाइड, दुकानदार, अजनबी दोस्त और टैक्सी ड्राइवरों की शक्लें अख्तियार कर ली हैं. कुछ बानगियों पर गौर फरमाएं. मार्च 2016 में जयपुर के करधनी थाने में एक युवक ने विदेश यात्रा के दौरान एटीएम से पैसे निकालने का मामला दर्ज करवाया. इस मामले में युवक सऊदी अरब गया था जहां उस ने अरब के जैता शहर से ट्रांजैक्शन किए. उस के कुछ देर बाद उस मोबाइल पर एक मैसेज आया कि 1,777 डौलर यानी तकरीबन
1 लाख 20 हजार रुपए निकाल लिए गए. ऐसी घटना आप के साथ भी हो सकती है. अक्तूबर 2015 में अजमेर में एक फाउंडेशन सोसायटी के बैनर तले कई बुजुर्गों को धार्मिकयात्रा कराने का सपना दिखा कर कुछ लोग हजारों रुपए ले कर फरार हो गए. इस के लिए कुछ लोगों ने 2 दिन पूर्व घरघर जा कर परचे बांटे थे. कुछ लोग इन के झांसे में आ गए और जब यात्रा पर जाने की बारी आई तो पछताने के अलावा उन के पास कुछ नहीं बचा था.
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10 जनवरी, 2014 हिमाचल प्रदेश के शिमला में गुजरात से आए दो विकसित जोड़ों को शिमला बेस्ड ट्रैवल एजेंसी ने लूट लिया. 12 दिनों के पैकेज के एवज में पूरा शहर घुमाने के लिए 34 हजार रुपए ले कर दूसरे दिन ही एजेंट फरार हो गए. मामला मनाली थाने में दर्ज है. दरअसल, जब मौल में सिल्वी ने अपने क्रैडिट कार्ड से भुगतान किया तभी उस के कार्ड की क्लोनिंग कर ली गई. इस पर्यटक ने जब तक अपना खाता चैक किया तब तक उस की पूरी जमापूंजी निकाली जा चुकी थी. पर्यटकों से ठगी की ये तो महज बानगी हैं. आएदिन पर्यटकों के साथ ठगी के मामले किसी न किसी अखबार की सुर्खियां बनते रहते हैं. फिर वह घटना चाहे दिल्ली की हो या आगरा, राजस्थान या बिहार की. देश के लगभग हर पर्यटन स्थल के नजदीकी थानों में पर्यटकों से ठगी की सैकड़ों शिकायतें दर्ज हैं. इसलिए आप भी कहीं पर्यटन का मन बना रहे हैं तो जरा सावधान रहें.
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