भारत के ताज की सुरभि है हिमाचल प्रदेश. इसलिए हम ने सैरसपाटे के लिए इस के खूबसूरत स्थल बरोट और लुहारडी को चुना. पंजाब के पठानकोट से हम 3 दोस्त-मैं, राज वकील और मनमोहन धकालवी कार से निकल पड़े. पठानकोट से 5 किलोमीटर दूर से ही पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है. सब से पहले हिमाचल का बैरियर आता है. यहां पर बसा गांव है तंडवाल. यहां से छोटीछोटी पहाडि़यां शुरू हो जाती हैं. हिमाचल के होटल, सड़क के इर्दगिर्द हरेभरे वृक्षों की छांव, छोटेछोटे खेत, आम, अमरूद, लीची और फलों के बाग हैं.

कई गांव निकलते हुए हम पहुंचे जसूर. यह छोटा सा शहर है. यहां कई होटल तथा ऐतिहासिक स्थल हैं. यहां से बड़े पहाड़ों की शृंखला शुरू होती है. यहां के टेढ़ेमेढ़े रास्ते अपनी पहचान करवाते हैं. फिर आ जाता है नूरपुर. इस शहर में एक प्राचीन ऐतिहासिक किला है. नूरपुर में लक्कड़ का कारोबार बहुत होता है. कांगड़ा में प्रवेश करते हुए हम ने शाम को मालमपुर के रेलवे रैस्ट हाउस में प्रवेश किया. यह रैस्ट हाउस बहुत ही मनमोहक स्थान पर है. साफस्वच्छ रैस्ट हाउस था. यहां हम ने एक दोस्त के फोन पर रेलवे विभाग के उच्च कर्मचारी के नाम पर कमरा बुक करवाया. वहां के कर्मचारी ने हम से एक रात के मात्र 30 रुपए लिए.

यहां हम ठहरे. रैस्ट हाउस के पास ही बड़ा बाजार है. यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. सुबह हम निकल पड़े मंजिल की ओर. रास्ते में कहींकहीं रुक कर फोटोग्राफी का आनंद लेते रहे. बैजनाथ बाईपास से कुछ किलोमीटर दूर ऊपर पहाड़ी से बैजनाथ शहर बहुत अच्छा दिख रहा था. दूर से छोटे घरों के समूह मन को भा रहे थे. वादियों के सुंदर दृश्य नजर आ रहे थे. खड्डे तथा ऊंची पहाडि़यों का सुमेल आंखों को अच्छा लग रहा था. यह दृश्य हृदय तथा मस्तिष्क को आनंद व सुकून पहुंचाने वाला था.

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