अमिताभ बच्चन रेडियो और टैलीविजन पर विज्ञापन ‘खुशबू गुजरात की’ में पर्यटकों का मन मोह रहे हैं या नरेंद्र मोदी का प्रचार कर रहे हैं, उस बात को भूल जाएं और एक बार गुजरात अवश्य घूमने जाएं. अमिताभ बच्चन जब गिर के जंगल कच्छ के सफेद रण से गुजरते हुए कहते हैं, ‘कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में’ तो पर्यटक बरबस गुजरात की ओर आकर्षित हो जाते हैं.
जब बात गुजरात की हो तो यह कैसे हो सकता है कि अहमदाबाद का जिक्र न किया जाए.
पूर्व के मैनचेस्टर के रूप में प्रसिद्ध देश के छठे सब से बड़े शहर अहमदाबाद की खास पहचान वहां के म्यूजियम, पुरानी हवेलियां, आधुनिक वास्तुशिल्प और मल्टीनैशनल संस्कृति है. अहमदाबाद स्थित स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र साबरमती आश्रम से ले कर अंबाजी और इंडोसार्सेनिक स्थापत्य शैली में बनी जुमा मसजिद व सीद्दी सैयद की जाली पर्यटकों के लिए महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं.
दर्शनीय स्थल
झलती मीनारें : अहमदाबाद में पर्यटन का आकर्षण झलती मीनारें हैं. सीदी बशीर की मसजिद में स्थित इन मीनारों की खासीयत है कि इन पर जरा सा दबाव पड़ते ही ये हिलने लगती हैं. इन की रचना ऐसी है कि एक मीनार को हिलाने से दूसरी मीनार अपनेआप हिलने लगती है. पर यह न समझ कि आप को हिलाने की इजाजत होगी. ये इमारतें आप दूर से ही देख सकते हैं.
अनूठा है नल सरोवर : यह सरोवर अपने दुर्लभ जीवनचक्र के लिए जाना जाता है. अहमदाबाद से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नल सरोवर का परिवेश विशिष्ट प्रकार की वनस्पतियों, जलपक्षियों, मछलियों, कीटपतंगों व जीवजंतुओं को शरण प्रदान करता है. सर्दियों में यहां कई तरह के देशीविदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है.
आप चाहें तो यहां से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोथल जा सकते हैं जहां सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेष देखे जा सकते हैं.
साबरमती आश्रम : साबरमती नदी के किनारे स्थित यह आश्रम गांधी आश्रम व हरिजन आश्रम के नाम से जाना जाता है. देश की आजादी की लड़ाई में इस आश्रम का विशेष महत्त्व रहा है. यहां गांधीजी के चरखे व निजी सामान को मूल स्थिति में रखा गया है. पहले यह शांत जगह थी पर अब इस के पास बहुत से व्यावसायिक भवन बन गए हैं क्योंकि आश्रम रोड शहर की मुख्य सड़कों में से है.
मांडवी
अरब सागर से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांडवी समुद्रतट पर बसा सुंदर शहर है. तटीय सुंदरता के अलावा मांडवी की संस्कृति भी यहां का आकर्षण है. मांडवी का नजदीकी हवाई अड्डा भुज (50 किलोमीटर) और नजदीकी रेलवे स्टेशन गांधीधाम (95 किलोमीटर) है. यहां ठहरने के लिए विविध होटल व अतिथिगृह हैं.
यह समुद्रतट दूर तक टहलने के लिए बेहद उपयुक्त है. समुद्र स्नान के लिहाज से एक सुरक्षित बीच होने के साथसाथ यह तैराकी के लिए भी उपयुक्त माना जाता है. नवविवाहित जोड़े यहां हनीमून के लिए आते हैं.
विजय विलास पैलेस : मांडवी का एक अन्य आकर्षण विजय विलास पैलेस है. सुंदर उद्यान, फौआरों के बीच गर्व से सिर उठाए खड़ा यह पैलेस स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है. 1883 में रुकमावती नदी पर पत्थर का बना सब से लंबा पुल अपनी तरह का भारत का एकमात्र पुल है. इस के अलावा मांडवी से कुछ दूर ‘विंड फार्म बीच’ भी एक सुंदर और शांत सागरतट है. यहां सैलानियों को एक ओर सागर की अथाह जलराशि नजर आती है तो दूसरी ओर सैकड़ों पवनचक्कियां कतार में खड़ी नजर आती हैं.
कच्छ
गुजरात जा कर अगर आप ने कच्छ का रणक्षेत्र नहीं देखा तो क्या देखा. इसे देखने के लिए यहां के प्रमुख शहर भुज पहुंचना होता है. यहां की संस्कृति, लोककलाएं, हस्तशिल्प, रीतिरिवाज, लोगों का रहनसहन आदि इस की प्रसिद्धि के कारण हैं. रण, जिसे रन भी कहा जाता है, एक बंजर भूभाग है. इस की मिट्टी में नमक अधिक है. कोई इसे दलदली भूमि तो कोई मरुभूमि भी कहता है.
प्रकृति की अद्भुत नेमत कच्छ 2 भागों में बंटा हुआ है, बड़ा रण और छोटा रण. दोनों रण मिला कर एक विशाल अभयारण्य है जिस में नल सरोवर भी है. छोटे रण में एक खास जीव घोड़खर यानी जंगली गधा देखने को मिलता है. गधे की यह प्रजाति विश्व में केवल यहीं पाई जाती है. इस के अलावा यहां नीलगाय, लोमड़ी, चिंकारा, भेडि़ए, डाइना और जंगली बिल्ली आदि जीव भी देखने को मिलते हैं.
पाटन
अहमदाबाद से 125 किलोमीटर दूर पाटन यहां बनने वाली पटोला साडि़यों के लिए भी मशहूर है. आज इस भव्य प्राचीन नगर के कुछ ही अवशेष बचे हैं. पाटन की महत्त्वपूर्ण निर्भीक कला में रानी की बावड़ी, सहस्रलिंग तालाब और खान सरोवर को रखा गया है. इस में रानी की बावड़ी भूतल स्थापत्य का अनूठा उदाहरण है. सुंदर नक्काशी से सुशोभित दीवारें, शिल्पों से सजी सीढ़ी और पायदान की शृंखला पानी के कुएं तक जाती है.
गिर अभयारण्य
आप जंगल में सहज व स्वच्छंद विचरण करते वन्यजीवों को देखने का शौक रखते हैं तो गुजरात आ कर गिर अभयारण्य देखना न भूलें. अहमदाबाद से 395 किलोमीटर दूर स्थित यह अभयारण्य एशिया में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां शेर अपने प्राकृतिक आवास में देखे जा सकते हैं. इस अभयारण्य में 30 के आसपास स्तनधारी, 20 के करीब सरीसृप व अन्य जीवजंतुओं, पशुपक्षियों की कई जातियां देखने को मिलती हैं.
रंगों की विविधता : गुजरात की धरती अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को बखूबी संजोए हुए है. फिर चाहे यहां के प्रसिद्ध बांधनी वस्त्र में चटख रंगों की विविधता हो, पतंगों का रंगीन त्योहार हो, त्योहारों के अवसर पर गरबा नृत्य की धूम हो या फिर पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद हो, गुजरात अपनी रंगबिरंगी छवि के कारण केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी पर्यटन स्थल के रूप में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुका है.
पतंगों का रंगीन त्योहार :मकर संक्रांति के पर्व पर मनाया जाने वाला पतंग उत्सव गुजरात में अत्यंत लोकप्रिय है. इस अवसर पर गुजरातवासी रंगबिरंगी पतंगों से आसमान को भर कर विविधता में एकता, उत्साह व परस्पर स्नेह व सौहार्द का परिचय देते हैं. बाहरी देशों से आए पर्यटक भी प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय पतंग उत्सव में भाग लेते हैं.
कुल मिला कर एक बार भी कोई गुजरात जाएगा तो वहां की खुशबू से इतना आकर्षित होगा कि दोबारा वहां जाने को आतुर रहेगा.