बात जब विश्वसनीयता और परफॉर्मेंस की आती है तो ऐप्पल के आईफोन और आईपैड एंड्रायड स्मार्टफोन के मुकाबले कहीं ज्यादा खराब होते हैं. एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है. वैश्विक डेटा सुरक्षा कंपनी बलांक्को टेक्नॉलजी समूह के मुताबिक आईओएस (ऐप्पल) पर आधारित डिवाइस की खराब होने की दर साल 2016 की दूसरी तिमाही में 58 फीसदी रही, जबकि एंड्रायड के स्मार्टफोन की विफलता दर इस दौरान 35 फीसदी रही.

सॉफ्टपीडिया डॉट कॉम ने इस अध्यन के हवाले से कहा कि पहली बार ऐप्पल के डिवाइसों का परफॉमेंस एंड्रायड से कमतर देखा गया है. आईफोन 6 की खराब होने की दर सबसे अधिक 29 फीसदी है, जिसके बाद आईफोन 6s और आईफोन 6s प्लस की बारी है. इस अध्ययन में ऑपरेटिंग सिस्टम, निर्माता, मॉडल और क्षेत्र के आधार पर विफलता दर निकाली गई.

साल 2016 की पहली तिमाही में एंड्रायड डिवाइसों की विफलता दर 44 फीसदी रही. इस अध्ययन में बताया गया, “सैमसंग, लेनोवो और लीटीवी के फोन सबसे ज्यादा विफल रहे. सैमसंग की विफलता दर 26 फीसदी थी तो मोटोरोला की विफलता दर केवल 11 फीसदी थी.”

आईओएस के डिवाइस सबसे ज्यादा नार्थ अमेरिका और एशिया में विफल पाए गए. इन देशों में बेचे गए फोन की गुणवत्ता भी इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है. आईओएस के साथ सबसे प्रमुख समस्या वाई-फाई नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होना, कनेक्शन कट जाना, कम स्पीड और गलत पासवर्ड का बार-बार संकेत देना रहा.

वहीं, एंड्रायड फोन में कैमरा की खराबी, बैटरी चार्जिग की खराबी, टचस्क्रीन की खराबी और एप का क्रैश होना प्रमुख विफलता रही.इस अध्यययन के निष्कर्षों के मुताबिक, आईओएस के 50 फीसदी एप्लिकेशन क्रैश हुए जबकि एंड्रायड के महज 23 फीसदी एप ही क्रैश हुए.

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