टैक्नोलौजी के कमाल के बारे में तो आप सुन ही रहे हैं लेकिन ऐसी टैक्नोलौजी जो नन्हेमुन्हे की आंखों में रोशनी लौटा दें चमत्कार से कम नहीं होगा. अभी हाल ही में चार महीने के लियोपोल्ड विल्बर जो अमेरिका में जन्मा है के लिए टैक्नोलौजी वरदान साबित हुई. क्योंकि उसे ऐसा चश्मा मिल गया है जिस से वह देख पाएगा. उसे जन्म से ही औक्यूलोक्यूटेनियश एल्बीनिज्म बीमारी है जिस के कारण वह देख नहीं सकता. अपनी मां के चेहरे को छू कर और पापा की दाढ़ी पर हाथ लगा कर वह उन्हें पहचानता था लेकिन मन ही मन सोचता होगा कि जब मैं देख ही नहीं सकता तो मेरा इस दुनिया में आने का क्या फायदा.

अगर मैं देख पाता तो कितना अच्छा होता. उस के मन की बात और उस की पीड़ा को उस के पेरैंट्स भलीभांति समझ रहे थे तभी तो उन्होंने लौस एंजिलस स्थित बाल चिकित्सा नेत्र रोग विशेषज्ञ केनेथ से उपचार की मांग की और इन्हीं प्रयासों के चलते उन्हें यूएस की चश्मा बनाने वाली कंपनी मिराफ्लेश से ऐसा चश्मा मिल गया जिस ने नन्हेमुन्नहे की आंखों में रोशनी लौटा दी. चश्मे में नौर्मल लैंसिज का यूज किया गया है लेकिन फ्रेम रबड़ का बना होने के साथसाथ इस के किनारे शार्प नहीं हैं और इस में किसी भी तरह के स्कू्र का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जब लियो चश्मा पहन कर अपनी मम्मी को देख कर मुसकराया तो उस की मम्मी की आंखों से आंसू न रुके और उन्होंने इस पल को कैमरे में कैद कर लिया. पापा भी खुशी के मारे रो उठे. आखिर बच्चों के चेहरे की मुसकान होती ही ऐसी है जो हर दुख को भुला देती है.

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