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‘‘डीसीपी साहब, आप यह बताएं, मैं अपनी 10 दिन छुट्टी और बढ़वा लूं?’’

‘‘हांहां सर, 10 दिन बढ़वा लें. 10 दिन के अंदर हम केस कोर्ट में ले जाएंगे. फिर आप अपनी ड्यूटी पर चले जाएं.’’

वहीं से मैं ने अपने ब्रिगेड कमांडर साहब से बात की और केस के बारे में सब बताया. यह भी कहा, ‘‘सर, मु   झे 10 दिन की छुट्टी और चाहिए होगी.’’

ब्रिगेडियर ग्रेवाल साहब का भी फोन आया था. आप मु   झे एक टैलिग्राम से छुट्टी की रिक्वैस्ट भेजें. मैं सैंक्शन कर के भेज दूंगा.’’

‘‘राइट सर, और थैंक्स सर.’’

‘‘डीसीपी साहब, मैं चलूं? मु   झे बिटिया का भी मैसेस आ गया है कि मैं उस को लेने आ जाऊं.’’

मैं ने चौक फौआरे के पोस्टऔफिस से टैलिग्राम किया, एक ब्रिगेड कमांडर साहब को, दूसरा अपनी रैजिमैंट को. फिर कालेज से बिटिया को ले कर क्वार्टर पर आ गया.

दूसरे रोज जब मैं रमना को कालेज छोड़ कर कोतवाली पहुंचा तो वे सारे प्रोफैसर बैठा रखे गए थे जिन की कन्वरसेशन लड़कियों ने फौरवर्ड कर रखी थी.

उन में प्रोफैसर ओमप्रकाश शर्मा भी थे. शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन की व्हाट्सऐप चैट प्रूफ थी. मैं डीसीपी साहब के पास जा कर बैठ गया. वे चाय पी रहे थे. उन्होंने मेरे लिए भी चाय मंगवाई.

चाय पीते हुए मैं ने पूछा, ‘‘अब केस का क्या स्टेटस है?’’

डीसीपी साहब ने कहा, ‘‘प्रिंसिपल समेत ये 15 प्रोफैसर हैं. कम से कम 3-3 साल की सजा मिलेगी. आज सब की कोर्ट से रिमांड ले ली जाएगी और फिर पुलिस अपने ढंग से केस की जड़ तक जाएगी. जिन लड़कियों ने कन्वरसेशन डिलीट कर दी थीं, सर्विस प्रोवाइडर को उन्हें प्रोवाइड करने के लिए कहा गया है. वे सब एकदो दिनों में आ जाएंगी.’’

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