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मैं ने कहा, ‘‘हमें बाहर के दुश्मनों का पता है, उन्हें हम देखते ही गोली मार देते हैं लेकिन देश के भीतर छिपे दुश्मन हमारे ही देश के लोग होते हैं. उन्हें आप सब के सहयोग से कानून द्वारा मारा जा सकता है. अगर आप के साथ ऐसा हुआ है तो कृपया आगे आएं. विद्या के इस मंदिर को और सुरक्षित बनाएं.’’

यह सब कह कर मैं और डीसीपी साहब इंस्पैक्टर सुरजीत के पास आ गए जहां वे रमना और प्रोफैसर सुरिंदर के स्टेटमैंट रिकौर्ड कर रहे थे.

डीसीपी साहब ने पूछा, ‘‘स्टेटमैंट हो गया रिकौर्ड?’’

‘‘हां सर, इस ने 10 और लड़कियों को इसी तरह के मैसेज भेजे हैं लेकिन इस ने अपने मोबइल से सारी चैट डिलीट कर दी हैं. हो सकता है, उन लड़कियों ने भी ऐसा किया हो?’’

‘‘कोई बात नहीं, आप मोबाइल के सर्विस प्रोवाइडर को तुरंत लिखें कि इस के मोबाइल की सारी व्हाट्सऐप चैट हमें भेजें. तब तक शायद लड़कियों की ओर से भी मैसेज आ जाएंगे, अगर उन्होंने डिलीट न किए हों. अगर वे उन के नाम भी बता देंगी तो उन के मोबाइल की चैट मंगवा लेंगे.’’

डीसीपी साहब ने मु   झ से कहा, ‘‘चलें, सर, कोतवाली चल कर चाय पीते हैं. रमना बेटा, आप अपनी क्लास में जाएं. प्रिंसिपल साहब को नोटिस सर्व कर दिया?’’

‘‘हां, सर.’’

‘‘अगर तसल्लीबक्श जवाब नहीं मिलता तो प्रिंसिपल साहब का भी अरैस्ट वारंट ले कर अरैस्ट करना पड़ेगा.’’

‘‘राइट सर, मैं शाम तक इन के जवाब का इंतजार करूंगा, फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी.’’

पीछे खड़े प्रिंसिपल सारी बातें सुन रहे थे.

उन का रंग पीला पड़ चुका था. प्रोफैसर के विरुद्ध कार्रवाई न कर के वे पछता रहे थे.

हम उन्हें ऐसी हालत में छोड़ कर कोतवाली आ गए. वहां डीसीपी साहब के औफिस में बैठे. उन्होंने चाय और स्नैक्स का और्डर दिया. बाहर खड़ा संतरी विधायक साहब का कार्ड ले कर आया.

डीसीपी साहब ने उन्हें अंदर बुलाने के लिए कहा. मु   झे कहा, ‘‘लो, अब पौलिटिकल ड्रामा शुरू हो गया. ये उसी एरिया के विधायक हैं जिस एरिया में प्रोफैसर सुरिंदर रहते हैं.’’

‘‘सुन लें, वे क्या कहते है. माफ करना डीसीपी साहब, आप इन के प्रभाव में आ सकते हैं लेकिन हम सेना के लोग नहीं आ सकते,’’ मैं ने अपनी बात रख दी.

‘‘कर्नल साहब, बेफिक्र रहें, हम भी इन के प्रभाव में आने वाले नहीं हैं. यह भयंकर अपराध है. पता नहीं, पूरे पंजाब में या पूरे देश में कितनी लड़कियां ऐसे अपराधियों की शिकार हैं और इस प्रोफैसर के विरुद्ध तो सौलिड प्रूफ हैं.’’

विधायक आए. डीसीपी साहब ने उठ कर उन का स्वागत किया. उन के प्रोटोकौल में किसी विधायक का ऐसे ही स्वागत करने की परंपरा है.

तब तक मोबाइल पर लड़कियों के मैसेज आने शुरू हो गए थे. परिचय होने के बाद चाय आई. पीतेपीते डीसीपी साहब ने पूछा, ‘‘कहिए, रवि शर्मा साहब, आज कोतवाली में आने की तकलीफ कैसे उठाई?’’

विधायक साहब मुद्दे पर आए, ‘‘डीसीपी साहब, आप ने हमारे इलाके के कालेज के प्रोफैसर सुरिंदर को पकड़ रखा है, केस क्या है?’’

‘‘केस औब्सीन मैसेजेज का है. सौलिड प्रूफ हैं गंदी और सैक्सी चैट के. 10 लड़कियों के साथ ऐसी चैट को उस प्रोफैसर ने खुद माना है और लड़कियों के मैसेज भी आ रहे हैं. आप की लड़की भी उसी कालेज में पढ़ती है?’’

‘‘हां जी.’’

‘‘आप अपनी बेटी का नाम बताएंगे? शायद मु   झे मैसेज करने वालों में आप की बेटी भी हो?’’

‘‘सुनीता शर्मा.’’

डीसीपी साहब ने मोबाइल देख कर बोला, ‘‘लीजिए, विधायक साहब, आप की बेटी ने भी मैसेज किया है. किसी प्रोफैसर ओमप्रकाश शर्मा की चैट भेजी है. कहें तो मैं आप को भेजूं? आप बरदाश्त नहीं कर पाएंगे.’’

‘‘ओमप्रकाश शर्मा तो मेरे घर का आदमी है.’’

‘‘घर के आदमी ही ऐसे काम करते हैं. जिन पर आप विश्वास करते हैं वही विश्वासघात करते हैं.’’

‘‘बिटिया ने तो मु   झे कुछ बताया नहीं?’’

‘‘क्या वह यह बताती कि प्रोफैसर ओमप्रकाश शर्मा उस से सैक्स करना चाहता है?’’

डीसीपी साहब की बात सुन कर विधायक साहब का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. डीसीपी साहब ने आगे कहा, ‘‘ये कर्नल सतिंदर साहब अरुणाचल प्रदेश के चाइना बौर्डर से इसी समस्या को ले कर आए हैं. इन की बेटी को ऐसीऐसी बातें लिखीं हैं कि आप पढ़ते ही उसे गोली मार दें. कर्नल साहब अपने दुश्मन को छोड़ देने में विश्वास नहीं रखते हैं. इन्हीं की बहादुर बेटी के कारण आज प्रोफैसर सुरिंदर हिरासत में है.’’

विधायक साहब ने जातेजाते केवल इतना कहा, ‘‘डीसीपी साहब, आप इन्हें छोड़ना नहीं. जो उचित कार्रवाई हो, वह करें. चाहे वह ओमप्रकाश शर्मा ही क्यों न हो.’’

‘‘बिल्कुल सर, छोड़ेंगे नहीं. लेकिन आप से गुजारिश है कि आप इस के प्रति किसी से बात न करें. अपनी बेटी से भी नहीं. नहीं तो आप की बेटी डिप्रैशन में चली जाएगी.’’

‘‘मैं सम   झ गया, डीसीपी साहब. मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा.’’

विधायक के जाने के बाद बाहर कुछ शोर हुआ. एक सिपाही अंदर आया, कहने लगा, ‘‘प्रोफैसर साहब की वाइफ और उन की बेटी आप से मिलना चाहती हैं.’’

डीसीपी साहब ने कुछ देर सोचा, फिर कहा, ‘‘ठीक है, आप उन को अंदर भेज दें.’’

मैं ने एक अत्यंत खूबसूरत औरत को अपनी बेटी के साथ अंदर आते देखा. बेटी भी निहायत खूबसूरत थी. मन के भीतर एक प्रश्न उठा कि यह पुरुष की कैसी वृति है कि इतनी सुंदर बीवी के होते हुए भी अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ ऐसी गंदी चैट करता है? मैं इसे सम   झ नहीं पाया था.

डीसीपी साहब ने बड़े प्यार से पूछा, ‘‘कहिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘प्रोफैसर सुरिंदर की पत्नी हूं और यह हमारी बेटी है. मैं यह जानने के लिए आई हूं कि उन्होंने क्या किया है?’’

‘‘आप उन से मिली हैं?’’ डीसीपी ने पूछा.

‘‘जी, मिली हूं.’’

‘‘क्या उन्होंने कुछ नहीं बताया?’’

‘‘नहीं सर, कुछ नहीं बताया.’’

‘‘बताते भी कैसे, यह आप के साथ कर्नल सतिंदर साहब बैठे हैं. इन की बेटी को प्रोफैसर सुरिंदर ने कैसी चैट की है, मैं आप के मोबाइल पर भेजता हूं. ये चाइना बौर्डर से इसी के लिए आए हैं. डर के मारे इन की बेटी ने कालेज जाना छोड़ दिया था. कृपया अपना मोबाइल नंबर बताएं.’’

मोबाइल नंबर बताया और डीसीपी साहब ने उन्हें चैट भेज दी. और कहा, ‘‘आप यहीं बैठ कर आराम से पढ़ें और बताएं कि उन के अगेंस्ट ऐक्शन क्यों न लिया जाए?’’

जैसेजैसे वे पढ़ती गईं, उन के चेहरे के भाव बदलते गए. कभी आक्रोश से, कभी गुस्से से और कभी शर्म से उन का चेहरा लाल होता गया. पूरा पढ़ने के बाद उन्होंने डीसीपी साहब से कहा, ‘‘सर, आप जो भी ऐक्शन लेना चाहें, लें. कानून के मुताबिक सजा दिलाएं. सोचा था, अगर वे निर्दोष हैं तो मैं अच्छे से अच्छा वकील कर

के उन का केस लड़ूंगी. लेकिन अब मैं उन का केस बिलकुल नहीं लड़ूंगी.’’

‘‘यह तो मैं ने केवल कर्नल साहब की लड़की के साथ की गई कन्वरसेशन आप को भेजी है. 10 लड़कियों के साथ और ऐसी ही चैट उन्होंने स्वीकार की हैं. ये कर्नल साहब उस लड़की के पिता हैं. ये अरुणाचल प्रदेश से इसी के लिए यहां आए हैं. पिछले 2 हफ्तों से इन की बेटी कालेज नहीं जा रही है. आज पुलिस संरक्षण में वह कालेज गई है.’’

‘‘मु   झे अफसोस है, कर्नल साहब. आप देश की सुरक्षा में संलग्न हैं. अगर आप के बच्चे सुरक्षित नहीं हैं तो और कोई सुरक्षित हो नहीं सकता. आप इसे अंजाम तक ला कर फिर वापस जाएं. ऐसा आदमी मेरा पति हो ही नहीं सकता.’’

मैं उस भद्र महिला को कोई जवाब नहीं दे पाया था.

डीसीपी साहब ने पूछा, ‘‘वैसे, आप करती क्या हैं? आप की यही एक बेटी है?’’

‘‘जी, यही एक बेटी है. मैं हिंदू कालेज में हिंदी विभाग की हैड हूं.’’

‘‘कितना पढ़ालिखा और साफसुथरा परिवार है. फिर भी ऐसी हरकत?’’

‘‘माफ करना, डीसीपी साहब, कर्नल साहब, चाहे वे मेरे पति हैं लेकिन ऐसे दुष्ट पति को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. मैं भूल जाऊंगी कि वे मेरे पति हैं.’’

मन के भीतर जबरदस्त गुस्सा और आक्रोश लिए वे वहां से चली गईं. मैं सोच रहा था और शायद डीसीपी साहब भी सोच रहे थे कि ऐसे लोग भी देश में विद्यमान हैं जो अपराधी का साथ नहीं देते हैं चाहे वह उन का कितना ही नजदीकी क्यों न हो.

डीसीपी साहब अपने कमिश्नर साहब को केस की सारी रिपोर्ट दे रहे थे. उन के इंस्ट्रक्शन पर सारी कार्रवाई होगी. मैं ने ब्रिगेडियर ग्रेवाल साहब को सब बताया. उन्होंने कहा, ‘‘आप अपनी छुट्टी बढ़वा लें. आप तब तक वापस न जाएं जब तक केस कोर्ट में नहीं चला जाता. आप डीसीपी साहब से डिस्कस करें और वे जितनी छुट्टी बढ़वाने के लिए कहते हैं, उतनी बढ़वा लें. आप भी बता देना और मैं भी आप के ब्रिगेड कमांडर साहब को बता दूंगा. जीप आप के पास परमानैंट रहेगी.’’

‘‘थैंक्स सर.’’

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