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हानिया को मन ही मन अपनी शादी के बारे में बात करती हुई अहाना का रवैया देख कर हंसी आ गई. लगा, हां, लड़की को ऐसे ही अपनी बात कहना आना चाहिए, आजकल के जमाने में एक लड़की के अंदर ऐसा आत्मविश्वास जरूरी है. लड़की को हक होना ही चाहिए कि वह अपना मनचाहा जीवनसाथी चुन सके. धर्म की दीवारों ने न जाने कितने दिल तोड़े हैं. अहाना ने टोका, “आंटी, आप क्या सोचने लगीं? मैं ने कुछ गलत कहा?’’
“नहीं, बेटा, अपने पेरैंट्स से अब जल्दी ही मिलवा दो, इस घर में तुम्हें लाने की तैयारी शुरू करनी चाहिए.’’ हानिया मुसकराई तो अहाना, “सो नाइस औफ यू आंटी,” कहते हुए ट्रे में बचा हुआ सामान उठा कर रखने लगी , “मैं इसे किचन में रख कर आती हूं.’’ हारून ने मां को इशारा किया कि कैसी लगी, उन्होंने भी इशारे में थम्सअप किया. अहाना ने किचन से आ कर कहा, “आंटी, किचन कितनी सुंदर है. मम्मी को ऐसी खुलीखुली किचन बहुत अच्छी लगती है. मैं उन से बात कर के जल्दी ही आप लोगों से मिलने का प्रोग्राम बनाती हूं, अब मैं चलूं?” हारून भी खड़ा हो गया, “चलो, तुम्हें छोड़ आता हूं.’’
“मैं चली जाऊंगी. इस समय ट्रैफिक होगा, बेकार में क्यों निकलना. मैं कैब बुला लेती हूं,’’ अहाना ने हारून के जवाब का भी इंतजार नहीं किया और कैब बुक कर ली हारून ने मजाक किया, “देख रही हो, अम्मी, यह लड़की कैसे सब अपने मन का किए जाती है.’’
“अपने मन का न कर पाऊं तो फिर क्या जीना. क्यों आंटी?’’
हानिया को अहाना बहुत अच्छी लगी थी. सहज, कोई बनावट नहीं, खुद को सीधी दिखाने की कोई कोशिश नहीं. कैब आ गई, अहाना चली गई. हारून ने मां को अपने पास बैठा कर संजीदगी से पूछा, “अब सच कहो, अम्मी, अहाना ठीक लगी?’’ “ठीक नहीं, बहुत अच्छी लगी. तुम ने सोचसमझ कर ही इस से शादी का फैसला लिया होगा, पर इस के पेरैंट्स अपनी जाति से बाहर अपनी बेटी की शादी खुशीखुशी तो नहीं ही करेंगे. मैं अपने रिश्तेदारों से निबट सकती हूं, इस के पेरैंट्स कैसे ऐक्सैप्ट करेंगे? कैसे लोग हैं? कुछ आइडिया है?’’
“अहाना बता रही थी कि काफी कट्टर परिवार है, अहाना की जिद पर शादी हो भी जाएगी तो वे मुंह तो बना कर ही रखेंगे पर मुझे अपनी अम्मी पर पूरा विश्वास है कि आप सब ठीक कर दोगी,” कहतेकहते हारेन ने मां की गोद में सिर रख दिया. हानिया ममता से अपने बेटे के चेहरे को निहारती रही और बहुत कुछ सोचती रही. हाशिम की कार रुकने की आवाज आई तो मांबेटे गेट की तरफ बढ़ गए. गैराज में कार खड़ी करने के बाद हाशिम ने अंदर आते हुए कहा, “चलो, शुरू हो जाओ, जल्दी बताओ, मीटिंग कैसी रही?’’ हाशिम बहुत हैंडसम और हंसमुख इंसान थे. एक बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर थे.
हानिया ने कहा, “मुझे तो लड़की बहुत अच्छी लगी. जल्दी ही अपने पेरैंट्स से मिलवाएगी.’’अहाना के घर का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो चला था. उस के मातापिता वेद और गीता के लिए यह समय बेहद चिंता भरा था, अहाना पर अपना काफी गुस्सा निकाल चुके थे पर जिद्दी बेटी को जानते भी थे. जानते थे कि वह अपने पैरों पर खड़ी है, हर बात का फैसला बहुत सोचसमझ कर करती है, अगर उस ने एक विजातीय लड़के को अपना जीवनसाथी चुनने का फैसला कर लिया है, उस का घरबार भी देख  आई है, और खुश दिख रही है तो यकीनन वह लड़का अच्छा ही होगा पर धर्मजाति में उलझे अपने मन का क्या करें जो विजातीय लड़के से जुड़ने की कल्पना से ही उन्हें वितृष्णा सी हो रही है. क्या कहेगा समाज. रिश्तेदार थू थू करेंगे. यह चिंता उन्हें चैन नहीं लेने दे रही थी और अहाना थी कि सिर पर खड़ी कह रही थी कि मम्मीपापा, एक काम करो, पहले उस के परिवार से मिल लो, उन्हें भी यहां बुला लो, फिर आगे बात करते हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि उस की मम्मी इतनी परेशान क्यों नहीं दिख रही थी जितनी आप की शक्लें उड़ी हुई हैं.
गीता ने चिढ़ कर कहा, “उन्हें क्यों बुरा लगेगा, ब्राह्मणों की लड़की ले जा रहे हैं, उन की लड़की थोड़े ही कहीं जा रही है. तुम्हें जैसा चाहें, वैसा रखेंगे. अब नमाज पढ़ना. बुरके ओढ़ना. बाद में बैठ कर रोना.’’ इस बात पर अहाना जोरजोर से हंसने लगी, “मेरी सोशल मीडिया वाली मां, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है, आप जल्दी ही मिल लो उन से, फिर आप को थोड़ा चैन आ जाएगा.’’
अहाना और हारून ने मिल कर सब तय कर लिया, वह अपने मातापिता को संडे को हारून के घर ले कर आई. हाशिम और हानिया ने उन का खुले दिल से स्वागत किया. पहले औपचारिक बातें होती रहीं, फिर वेद ने कहा, “अगले संडे आप लोग हमारे घर आइए. बच्चों की मरजी है तो सब ठीक है.’’
अब तक हारून और उस के मातापिता की और घर की हैसियत का जायजा लेने के बाद गीता के माथे की शिकन कुछ कम तो हुई थी पर उन्हें देखने से ही लग रहा था कि वे खुश नहीं हैं. माहौल को खुशगवार बनाए रखने में हानिया ने बड़ी भूमिका निभाई. वह सब से हंसतीबोलती रही, नाश्ता सर्व करती रही, हाशिम वेद से बातें करते रहे, कुछ समय बाद वे चले गए तो हानिया ने बेटे को छेड़ा,“ बेटा, अपनी सास से बच कर रहना. तुम्हारे चक्कर में मुझे कितना सोशल बनना पड़ा. उन के चेहरे पर तो एक बार भी हंसी नहीं आई. यह अहाना कैसे इतनी हंसमुख है?’’
“मेरी कंपनी का असर है, ’’हारून हंसा. हाशिम ने कहा, “शादी जल्दी ही हो जानी चाहिए. उन के मन में कोई धार्मिक फितूर उठे, उस से पहले बच्चों को साथ कर देना चाहिए. कभीकभी ऐसी शादियों में रिश्तेदार भी रोड़े अटकाते हैं.’’
“अब्बू, अहाना कह रही थी कि कोर्ट मैरिज ही करेंगे, उन के रिश्तेदारों को पता चल गया तो कोई भी यह शादी होने नहीं देगा. चुपचाप ही करेंगे.’’ हानिया ने सोफे पर बैठते हुए कहा, “जरा तुम दोनों भी मेरे पास बैठना, मुझे कुछ जरूरी बातें करनी हैं.’’ दोनों हैरान से बैठ गए. हाशिम ने कहा, “क्या हुआ, हानिया?’’
“मैं ने इस शादी पर कई दिन सोचा है, मेरा कहना है कि अहाना बिलकुल ही एक अलग माहौल से आएगी, उस के लिए हमारे घर की हर चीज अलग होगी, मैं चाहती हूं कि वह अपनेआप को बिलकुल अलगथलग न समझे.’’
हारून बोला, “अम्मी, मैं समझा नहीं। क्या करना है?’’
“उसे जो अच्छा लगे, वह करे. हमें भी अपनी सोच को थोड़ा लचीला बनाना होगा. मजहब, अपने रीतिरिवाज में बदलाव करने होंगे, एकदम अड़ियल की तरह बस हर चीज अपनीअपनी की रट नहीं लगानी होगी. आने वाली लड़की के हिसाब से घर के माहौल में बदलाव होते रहना चाहिए. उस के ऊपर कोई दवाब न रहे. मजहब दिलों में दूरियां न बढ़ाएं. बाकी बातें मैं खुद अहाना से कर लूंगी.”
“प्राउड औफ यू, अम्मी,’’ हारून ने बड़े अदब से कहा तो हानिया मुसकरा दी. हाशिम ने भी हां में सिर हिला कर हानिया की बात का समर्थन किया. कुछ दिनों के बाद हारून, हानिया और हाशिम अहाना के घर गए.  बुझे दिल से ही वेद और गीता को अहाना के दवाब के कारण उन सब का खूब स्वागत करना पड़ा. हानिया ने साथ लाए बहुत से उपहार अहाना को देते हुए कहा, “आज हम तुम्हारा रिश्ता ले कर आए हैं.’’
“थैंक यू, आंटी,” कहते हुए अहाना भावी सास के गले लग गई. गीता ने उपहारों पर एक नजर डाली, माथे की सिलवटें कुछ कम हुईं. उसे यह तो समझ आ रहा था कि हारून का परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध है, मातापिता का व्यवहार भी अच्छा लग रहा था पर वही, दूसरे धर्म के लोगों को कैसे अपना समझें? यही चिंता उन्हें सहज नहीं होने दे रही थी. पर अहाना और हारून की जोड़ी इतनी अच्छी लग रही थी कि कुछ कहते नहीं बन रहा था, वे दोनों भी इतने कौन्फिडैंट थे कि सारी बातें होती चली गईं. कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया के लिए हारून के 2 वकील दोस्तों ने आ कर सब सैट कर लिया. ऐसे मौकों पर दोस्तों से ज्यादा कोई साथ नहीं देता. जब सब तय हो गया तो हानिया ने कहा, “मैं अहाना से अकेले में कुछ बात करना चाहती हूं.’’ सब हैरान हुए, अहाना ने कहा, “आंटी, आइए, मेरे रूम में चल कर बैठते हैं.”
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