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इलाहाबाद के चौक एरिया के इस सुंदर से सजे घर में आज माहौल में एक नया नया सा उत्साह था. किचन से कई तरह की खुशबू दूरदूर तक आ रही थीं. ऐसा लग रहा था कि गेट के पास रखे गमले में सजे पौधे भी आने वाले मेहमान के स्वागत में अधीर हो कर इधरउधर बेचैनी में झूम रहे हैं. कभी वे इस तरफ झूम कर, कभी उस तरफ झूम कर देख रहे हैं कि मेहमान आया या नहीं. हानिया लिविंगरूम में सबकुछ ठीक से रखी चीजों को फिर से यों ही ठीक रख देती, कभी किचन के चक्कर लगाती. बीचबीच में एक नजर बाहर की सड़क पर डाल आती. 50 साल की खूबसूरत हानिया इस समय क्रीम कलर के सूटसलवार और लाल दुपट्टे में ढीला सा जूड़ा बनाए गजब ढा रही थी. फिटनैस का उन्होंने हमेशा ही ध्यान रखा था. कुल मिला कर इस समय वे बहुत ही ग्रैसफुल लग रही थीं.
तभी उन के पति हाशिम का फोन आया. शरारत से पूछा, “तुम्हारी मेहमान आई? तुम तो गेट पर ही खड़ी होगी?” हानिया ने हंसते हुए कहा, “हां, हारून की पसंद देखने के लिए सचमुच बेचैन हूं.’’ इतने में बाइक रुकने की आवाज सुनते ही हानिया ने कहा, “शायद दोनों आ गए, फोन रखती हूं,’’ कह कर हानिया बाहर की तरफ गई, बेटे हारून को लाड़ से देखा, वह बाइक को एक किनारे खड़ा करने लगा फिर नजर अहाना पर ठहर गई. ब्लू जींस और सिंपल सा वाइट टौप, कंधे तक कटे बालों को ऊपर कस कर बांधा गया था, गले में काला स्कार्फ जो शायद बालों को उड़ने से रोकने के लिए था। सुंदर नैननक्श, पतली, लंबी सी अहाना उन्हें देखते ही पसंद आ गई.
हारून ने अंदर आते हुए कहा, “अम्मी, यह अहाना है।” फिर फिल्मी स्टाइल में अपने बालों में हाथ फिराते हुए कहा, “नाम तो सुना ही होगा न?” अहाना खुल कर हंसी, कहा, “नमस्ते, आंटी,” हानिया ने खुशदिली से उस का स्वागत किया। हारून ने कहा, “अम्मी, इस के लिए कुछ स्पैशल बनाया है? दूर तक सेवंई और दहीबड़ों की खुशबू आ रही है, पकौड़े भी बने हैं क्या?’’
हानिया ने हां में सिर हिलाया. हारून ने मां को फिर छेड़ा, “कभी हमारे लिए भी कुछ स्पैशल बना दिया करो.  अब्बू और मैं ने क्या बिगाड़ा है?’’ अहाना अब तक कमरे में चारों तरफ देख रही थी, बोली, “आंटी, घर बहुत अच्छा लग रहा है. कितना खुलाखुला है.’’ थोड़ीबहुत आम बातें होती रहीं. होने वाली सासबहू चोरीचोरी कनखियों से एकदूसरे का जायजा लेती रहीं. हारून जैसे इस समय एक पुल का काम कर रहा था. यह समय थोड़ा अलग होता है जब लड़का अपनी प्रेमिका को अपने घर पहली बार मिलवाने के लिए लाए तो किसी को समझ नहीं आता कि क्या बात की जाए. मुखर से मुखर स्त्रियों के पास इस समय बातों की कमी हो जाती है. शब्दों से कम, आंखों से ज्यादा काम लिया जाता है. इतने में हानिया की नमाज का समय हो गया. उन्होंने घड़ी देखी, हारून समझ गया, बोला, “अम्मी, आप नमाज पढ़ आओ, हम बैठे हैं.’’
पांचों वक्त की नमाज की पाबंद हानिया ने पलभर कुछ सोचा फिर मुलायम स्वर में कहा, “कोई बात नहीं. अहाना पहली बार आई है. अभी उस के साथ बैठती हूं. नमाज तो फिर बाद में भी पढ़ लूंगी.’’ हारून बुरी तरह चौंका, “क्या? आप इस के साथ बैठने के लिए अपनी नमाज छोड़ रही हैं?’’
“इतना हैरान मत हो,’’ हानिया मुसकराई.
अहाना भी मन ही मन चौंकी थी, उसे हारून ने तो यही बताया था कि उस की अम्मी सारे नियमों के साथ अपने मजहब का पालन करती हैं. उस ने कहा, “आंटी, आप अपनी नमाज पढ़ लीजिए, मैं तो अभी बैठी ही हूं.’’
“पढ़ने बैठ भी गई तो तुम में ही ध्यान रहेगा. चलो, अब तुम लोगों के लिए कुछ खाने के लिए लाती हूं.’’
“आंटी, मैं आप की हैल्प के लिए आऊं?’’
“नहीं, आज बैठो, फिर बाद में कभी हैल्प करना.’’
हानिया ने बड़े प्यार से नाश्ते की प्लेट्स लगाईं, उसे अहाना पसंद आई थी. वह बड़े दिल वाली, आधुनिक विचारों की खुशमिजाज, समझदार महिला थीं. एक ही बेटा था, इसलिए उस की पसंद में ही उन की मरजी थी. अहाना हिंदू लड़की है, उस के पेरैंट्स को हारून स्वीकार होगा या नहीं, यही बात सोचतेसोचते वे ट्रे लिए वापस लिविंगरूम में आ गईं, अहाना ने उठ कर उन के हाथ से ट्रे ले ली और कहा, “वाह आंटी, क्या खुशबू आ रही है. हारून, तुम कितने लकी हो.’’
हारून ने मां को छेड़ा, “अरे, कहां. आज अम्मी ने यह सब बहुत दिनों बाद बनाया है.’’
अहाना ने हंस कर कहा, “झूठे हो तुम.” दोनों की खिलखिलाहटों से घर में एक रौनक सी थी. वरना हाशिम और हारून सुबह के औफिस गए शाम को ही आते. पूरा दिन हानिया अकेली ही रहती. कुछ न कुछ पढ़ती रहती. कभी किताबें, कभी पत्रिकाएं. वे सुशिक्षित थीं, खुली सोच रखतीं पर और आम महिलाओं की तरह पूरे रीतिरिवाज से अपने मजहब को फौलो करतीं. दोनों खुश हो कर खाते रहे. तारीफ करते रहे, इसी बीच हानिया ने पूछ लिया, “अहाना, तुम्हारे पेरैंट्स हारून के बारे में जानते हैं?’’
“जी आंटी, पहले मम्मीपापा काफी नाराज हुए, फिर मैं ने साफसाफ कह दिया कि मैं हारून से ही शादी करूंगी. मैं उन की एक ही संतान हूं. वे भी समझ गए कि मैं अपनी मरजी से ही शादी करूंगी. मैं ने हारून को अभी उन से मिलवाया नहीं है. आप जब कहें तो मैं उन्हें आप से मिलने भेज दूंगी.’’
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