अपनेअपने आदर्शों के कारण अब्बा, अम्मा और भाईजान सूफी के रिश्ते के संबंध में एकमत नहीं हो सके और हमेशा उस के रास्ते की रुकावट ही बने रहे पर अब सूफी ने खुद अपने भविष्य निर्माण का फैसला कर लिया था.