कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

भाग्यजननी ने हकलाते हुए कहा, "वह... सर... लाल लकीर वाला केस दिख रहा है स्क्रीन पर ..."

सतेंद्र थोड़ा सहमा, फिर पूछा, "आगे का उस का वक्र कैलकुलेट करो. शायद आगे चल कर धरती से मिस हो रहा हो."

भाग्यजननी ने निराश हो कर कहा, "कर लिया सर. 'अखअ' के टकराव विश्लेषक सौफ्टवेयर को भी जौब सबमिट किया था. उस का भी नतीजा मेरे सामने है. मेरे हाथ से किए कैलकुलेशन भी पन्नों पर हैं. कोई शक की गुंजाइश नहीं है."

अपने जीवन में पहली बार सतेंद्र को ये शब्द सुनने को मिले थे. उसे नहीं लगा था कि अपने जीवनकाल में तो क्या, आने वाले किसी भी केंद्र के डायरैक्टरों के जीवनकालों में किसी को भी ये शब्द सुनने को मिलेंगे.

सतेंद्र ने व्याकुल होते हुए कहा, "ऐसा कैसे हो सकता है? अगर ऐसा होता तो नासा वालों की ओर से कोई सूचना न आ चुकी होती?"

भाग्यजननी ने कहा, "सर, बस अभीअभी लाल होना शुरू हुआ है. जैसे ही शुरू हुआ, वैसे ही मेरी नजर उस पर पड़ गई. हो सकता है कि वे लोग भी बस अभीअभी ही इसे देख रहे हों और कैलकुलेशन डबल चैक कर रहे हों."

सतेंद्र ने रुक कर कहा, "नासा के सौमंप अनुसंधान केंद्र से हमारी सीधी हौटलाइन है. उस पर इंतजार करो. मैं धरोहरी को मैसेज कर देता हूं कि हौटलाइन चैंबर की चाबी तुम को दे दे."

सतेंद्र ने मैसेज तो कर दिया, पर उसे नींद नहीं आई. उस के दिमाग में भाग्यजननी के शब्द घूमते रहे. लेकिन अपनी अमेरिकी पार्टनरशिप पर उसे पूरा भरोसा था. ऐसे अहम केस में वे जरूर पूरी दुनिया के सौमंप अनुसंधान केंद्रों को इत्तला कर देंगे. अपने देश की सरकार को भी उन्हें इस बात की जानकारी देनी होगी, जहां से यह जानकारी भारत देश की सरकार को उपलब्ध हो जाएगी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...