आंखें दिखाते ही सिर से पांव तक कांप जाती है.”
“मगर तुम यह क्यों भूल जाती हो कि पढऩेलिखने से अच्छाईबुराई में तमीज करना आ जाता है. जिस दिन ऐसा हो गया,
समझो, गई हाथ से.”
“समझ में नहीं आता, तुम्हारी इस बात पर हंसूं या कहकहे लगाऊं. जितने तमाशाई हमारे यहां आते हैं, माशाअल्लाह सब
पढ़ेलिखे होते हैं. अच्छे खानदानों से भी होते होंगे, लेकिन सफेद कपड़े पहन कर कीचड़ में आ जाते हैं. नरगिस कीचड़ में
कमल सी है.”
“तमाशा देखना अलग बात है, तमाशा बनना अलग. वे सब तमाशा देखने आते हैं, तमाशा बनने नहीं. नरगिस की बात और
है.”
“पैदा किए की तो खैर मोहब्बत होती ही है, मगर पालने की मोहब्बत भी कम नहीं होती. 4 साल की उम्र से पाला है उसे.”
“बेचारी तुम्हीं को अपनी मां समझती है,” गुलजार खां ने दांत निकालते हुए कहा. फिर एकदम संजीदा हो गया, “अच्छा, यह
बताओ, तुम से उस ने कभी अपने बाप का नाम पूछा है?”
“हां, बचपन में पूछती थी, मगर अब शायद समझ गई है कि इस बाजार में बाप नहीं, सिर्फ मां होती हैं.”
“अगर उसे मालूम हो जाए कि उस का कोई बाप भी है और तुम उस की मां नहीं हो तो सोचो, क्या होगा?”
“यह तो मैं बाद में सोचूंगी, पहले तुम यह बताओ कि तुम्हें आज हुआ क्या है?”
“हुआ यह है कि मुझे 20 हजार रुपए की जरूरत है.”
“मैं तुम्हें नरगिस की कीमत से बहुत ज्यादा दे चुकी हूं.”
“वह तो मुझे मिल चुकी है. अब मैं इस राज को छिपाने के लिए थोड़े से पैसे मांग रहा हूं. तुम्हें नहीं मालूम, किसी राज को