"जो बायोडाटा छोड़ गए थे उन में मैं ने देखा कि उन का बायोडाटा नहीं था जिस से बात हुई थी. मैं ने सोचा कुछ गलती हो गई होगी. कुछ दिन तक कृपानिधानजी से बात नहीं हुई पर उन के औफिस से मेरे व्हाट्सऐप पर नएनए बायोडाटा आने लगे.
"कृपानिधान से जब भी बात करने की कोशिश की, वे हमेशा कहते कि एक घर में बैठे हैं, अभी बात करेंगे. जब टालमटोल कर रहे थे तो मैं ने खुद भेजे गए बायोडाटाओं में से 4-5 को छांट कर उन के पिताओं को फोन किए. 2-3 ने तो कहा बात कृपानिधान के मारफत करें पर 2 से अच्छी बात हो गई. वे भी मेरी तरह कृपानिधान से बहुत खुश नहीं थे. 2 ने कहा कि आप की नातिन और उन का बेटा दोनों फेसबुक फ्रैंड्स बन कर बात कर लें.
‘‘अब यह अटपटा था पर जमाना बदल रहा था. मैं मान गया और नातिन की एक उद्धव शंकर से अच्छी चैटिंग होने लगी. फिर उद्धव शंकर हमारे शहर आ कर नातिन से और हम सब से मिल गया. उस के मातापिता भी आ गए. हमें लगा कि मामला अच्छा जंच रहा है. कहीं कोई खोट नहीं लगा. तभी कृपानिधानजी का फोन आया और तुम्हारा हवाला दिया कि तुम और वे तो एकदूसरे के पुराने परीचित हैं. उन्होंने कहा कि उद्धव शंकर अच्छा लडक़ा नहीं है. यह शादी न हो.
‘‘बात फैले नहीं, इसलिए मैं ने तुम्हें भी नहीं बताई. सिर्फ मैसेज भेजा था. मैं तुम्हें पूरी बात बता कर परेशान नहीं करना चाहता था.’’
फिर जयदत्त ने अपने मोबाइल पर कुछ जोड़ों के फोटो दिखाए जो पीछे से खींचे हुए थे. जयदत्त बोला, ‘‘कृपानिधान ने ये फोटो मुझे भेजे थे कि इन में लडक़ा उद्धव है.
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