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डीसीपी साहब की बात सुन कर विधायक साहब का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. डीसीपी साहब ने आगे कहा, ‘‘ये कर्नल सतिंदर साहब अरुणाचल प्रदेश के चाइना बौर्डर से इसी समस्या को ले कर आए हैं. इन की बेटी को ऐसीऐसी बातें लिखीं हैं कि आप पढ़ते ही उसे गोली मार दें. कर्नल साहब अपने दुश्मन को छोड़ देने में विशवास नहीं रखते हैं. इन्हीं की बहादुर बेटी के कारण आज प्रोफैसर सुरिंदर हिरासत में है.’’

विधायक साहब ने जातेजाते केवल इतना कहा, ‘‘डीसीपी साहब, आप इन्हें छोड़ना नहीं. जो उचित कार्रवाई हो, वह करें. चाहे वह ओमप्रकाश शर्मा ही क्यों न हो.’’ ‘‘बिल्कुल सर, छोड़ेंगे नहीं. लेकिन आप से गुजारिश है कि आप इस के प्रति किसी से बात न करें. अपनी बेटी से भी नहीं. नहीं तो आप की बेटी डिप्रेशन में चली जाएगी.’’

‘‘मैं समझ गया, डीसीपी साहब. मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा.’’

विधायक के जाने के बाद बाहर कुछ शोर हुआ. एक सिपाही अंदर आया, कहने लगा, ‘‘प्रोफैसर साहब की वाइफ और उन की बेटी आप से मिलना चाहती हैं.’’ डीसीपी साहब ने कुछ देर सोचा, फिर कहा, ‘‘ठीक है, आप उन को अंदर भेज दें.’’ मैं ने एक अत्यंत खूबसूरत औरत को अपनी बेटी के साथ अंदर आते देखा. बेटी भी निहायत खूबसूरत थी. मन के भीतर एक प्रश्न उठा कि यह पुरुष की कैसी वृति है कि इतनी सुंदर बीवी के होते हुए भी अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ ऐसी गंदी चैट करता है? मैं इसे समझ नहीं पाया था. डीसीपी साहब ने बड़े प्यार से पूछा, ‘‘कहिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

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