मन के भीतर जबरदस्त गुस्सा व आक्रोष लिए वे भद्र महिला चली गईं और मैं सोच रहा था, शायद डीसीपी साहब भी यही सोच रहे थे कि ऐसे लोग देश में अभी भी हैं जो अपराधी का साथ नहीं देते चाहे वह उन का कितना ही नजदीकी क्यों न हो.