प्रिंसिपल का रंग पीला पड़ चुका था. उसे काटो तो खून नहीं. समय पर कोई ऐक्शन न लेने के कारण उस को खुद के भी फंसने का डर सता रहा था. इंस्पैक्टर सुरजीत ने कहा, “कर्नल सर, इसे कोतवाली ले चलते हैं, फिर आराम से पूछते हैं. कोर्ट से 7 दिनों की पुलिस रिमांड ले कर, फिर पूरे कालेज से बात करेंगे. प्रिंसिपल साहब आप भी कोतवाली आने के लिए तैयार रहिएगा. फिर हम पूरे कालेज से बात करेंगे. कल तक आप को नोटिस मिल जाएगा.”
इंस्पैक्टर सुरजीत ने उसे 2 थप्पड और जड़े़. मुझ से कहा, “कर्नल सर, मेरी कमिश्नर साहब से बात हो गई है कि एफआईआर रजिस्टर करें और पुलिस रिमांड लें.”
“ठीक है, इंस्पैक्टर सुरजीत, जैसा आप ठीक समझें.”
प्रोफैसर ‘सर’ ‘सर’ कहता रह गया, “सर, गलती हो गई. आगे से नहीं होगी. जितनी बार वह ‘सर’ कहता, उतनी बार इंस्पैक्टर सुरजीत उसे थप्पड़ मारता. उस की बोलती बंद हो गई थी. वह थरथर कांप रहा था. उसी समय कमिश्नर साहब का मुझे फोन आया, ‘‘कर्नल साहब, मैं ने इंस्पैक्टर सुरजीत को इंस्ट्रक्शन दे दिया है. प्रोफैसर की रिमांड ले कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.”
‘‘थैंक्स, सर.’’
‘‘आप कल 10 बजे कालेज आ जाएं. हम प्रोफैसर की रिमांड ले कर कालेज पहुंचेंगे. कालेज में सब से बात करेंगे. इंस्पैक्टर सुरजीत के साथ एक डीसीपी भी होंगे. कल सारी स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी. मैं ने ब्रिगेडियर ग्रेवाल साहब को भी बता दिया है.’’
‘‘राइट सर, थैंक्स सर. कल 10 बजे मैं यहां कालेज में हूंगा.’’ मैं ने ब्रिगेडियर ग्रेवाल साहब को सब बताया, तो उन्होंने कहा, ‘‘ठीक है, कर्नल, जब तक यह केस सौल्व न हो जाए, यह जीप आप के पास रहेगी. ड्राइवर को इंस्ट्रक्शन मिल जाएगा.’’
‘‘थैंक्स सर.’’
मैं बेटी को ले कर पहले इंस्पैक्टर सुरजीत और प्रोफैसर सुरिंदर को कोतवाली छोड़ा, फिर क्वार्टर पर आ गया. ड्राइवर को सुबह 9 बजे आने के लिए बोल दिया. वह मुझे सैल्यूट कर के चला गया. दूसरे रोज जब मैं बेटी को ले कर कालेज पहुंचा तो प्रोफैसर की 7 दिनों की पुलिस रिमांड ले कर डीसीपी के साथ इंस्पैक्टर सुरजीत कालेज पहुंच चुके थे. मुझे देख कर दोनों ने मुझे सैल्यूट किया. डीसीपी साहब ने कहा, ‘‘आइए सर, पहले आप की बेटी के क्लासमेट से बात करते हैं. चल बेटा, अपनी कलास में ले चलो.’’ मैं बेटी के साथ क्लास में पहुंचा.
इंग्लिश का पीरियड था. प्रिंसिपल को पता चला तो वे भी भागेभागे आए. इंग्लिश पढ़ा रहा प्रोफैसर एक तरफ खड़ा हो गया था. पहले डीसीपी साहब ने अपना परिचय दिया, ‘‘मैं, डीसीपी अमृतसर, अमृतपाल सिंह संधू.’’
‘‘मैं, कर्नल सतिंदर सिंह, रमना का पिता. इस समय बौर्डर से स्पेशल छुट्टी ले कर हाजिर हुआ हूं. मैं यहां क्यों आया हूं, आप सब को पता चल गया होगा. प्रोफैसर सुरिंदर ने मेरी बेटी रमना को गंदेगंदे मैसेज किए हैं और इसलिए उन्हें अरैस्ट कर लिया गया. मैं आप से पूछने आया हूं कि आप बताएं, प्रोफैसर सुरिंदर ने और किसी को भी ऐसे मैसेज भेजे हैं? न केवल प्रोफैसर सुरिंदर बल्कि और कोई प्रोफैसर या कोई स्टूडैंट इस तरह के मैसेज करता है तो बिना किसी डर के बताएं.’’
डीसीपी साहब ने कहा, ‘‘ऐसे प्रोफैसर या स्टूडैंट के विरुद्ध हम ऐक्शन लेंगे ताकि आप सब लड़कियां बेखौफ हो कर यहां पढ़ने आ सकें. वो मैसेज हमें फौरवर्ड करें. आप पर किसी तरह की कोई आंच नहीं आएगी. आप को थाने या कोर्ट में भी नहीं बुलाया जाएगा. आप सब के सामने नहीं बता सकतीं तो कोई बात नहीं. प्लीज, यह मेरा मोबाइल नंबर है, इस पर भेजें. किसी का नाम उजागर नहीं किया जाएगा,’’ कहते हुए डीसीपी साहब ने स्टूडैंट को अपना माबाइल नंबर दे दिया.
मैं ने आगे कहा, ‘‘यह विद्या का मंदिर है. यहां सब पढ़ने आते हैं. यहां इस तरह की गंदगी बरदाश्त नहीं की जा सकती. प्रोफैसर सुरिंदर के विरुद्ध तो ऐक्शन लिया जा रहा है. अगर कोई और भी है तो उन के विरूद्ध भी कार्रवाई करने का बीड़ा अमृतसर पुलिस ने उठाया है. आप मेरे इस मोबाइल पर भी मैसेज कर सकतीं हैं.’’ डीसीपी साहब ने कहा, ‘‘आप के पास कल सुबह 10 बजे तक का समय है.’’ पूरी क्लास में चुप्पी छा गई थी. उन के चेहरों से लगता था कि वे भी इस गंदी हरकत का शिकार हैं लेकिन वे किसी झंझट में नहीं पड़ना चाहती हैं.
डीसीपी साहब ने अंत में एक बात और जोड़ी, ‘‘आप लड़कियों को यह समझना है कि आप को डरडर कर, शोशित हो कर पढना है या ऐसे दोषियों को सजा दिलानी है. चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा.” मैं ने कहा, ‘‘हमें बाहर के दुश्मनों का पता है, उन्हें हम देखते ही गोली मार देते हैं लेकिन देश के भीतर छिपे दुश्मन हमारे ही देश के लोग होते हैं. उन्हें आप सब के सहयोग से कानून द्वारा मारा जा सकता है. अगर आप के साथ ऐसा हुआ है तो कृपया आगे आएं. विद्या के इस मंदिर को और पवित्र बनाएं.’’
यह सब कह कर मैं और डीसीपी साहब इंस्पैक्टर सुरजीत के पास आ गए जहां वे रमना और प्रोफैसर सुरिंदर के स्टेटमैंट रिकौर्ड कर रहे थे. डीसीपी साहब ने पूछा, ‘‘स्टेटमैंट हो गया रिकौर्ड?’’ ‘‘हां सर, इस ने 10 और लडकियों को इसी तरह के मैसेज भेजे हैं लेकिन इस ने अपने मोबइल से सारी चैट डिलीट कर दी हैं. हो सकता है, उन लड़कियों ने भी ऐसा किया हो?’’
‘‘कोई बात नहीं, आप मोबाइल के सर्विस प्रोवाइडर को तुरंत लिखें कि इस के मोबाइल की सारी व्हाट्सऐप चैट हमें भेजें. तब तक शायद लड़कियों की ओर से भी मैसेज आ जाएंगे, अगर उन्होंने डिलीट न किए हों. अगर वे उन के नाम भी बता देंगी तो उन के मोबाइल की चैट मंगवा लेंगे.’’
डीसीपी साहब ने मुझ से कहा, ‘‘चलें, सर, कोतवाली चल कर चाय पीते हैं. रमना बेटा, आप अपनी क्लास में जाएं. प्रिंसिपल साहब को नोटिस सर्व कर दिया?’’
‘‘हां, सर.’’
‘‘अगर तसल्लीबक्श जवाब नहीं मिलता तो प्रिंसिपल साहब का भी अरैस्ट वारंट ले कर अरैस्ट करना पड़ेगा.’’
‘‘राइट सर, मैं शाम तक इन के जवाब का इंतजार करूंगा, फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी.’’ पीछे खड़े प्रिंसिपल सारी बातें सुन रहे थे.
उन का रंग पीला पड़ चुका था. प्रोफैसर के विरुद्ध कर्रवाई न कर के वे पछता रहे थे. हम उन्हें ऐसी हालत में छोड़ कर कोतवाली आ गए. वहां डीसीपी साहब के औफिस में बैठे. उन्होंने चाय और स्नैक्स का और्डर दिया. बाहर खड़ा संतरी विधायक साहब का कार्ड ले कर आया. डीसीपी साहब ने उन्हें अंदर बुलाने के लिए कहा. मुझे कहा, ‘‘लो, अब पौलिटिकल ड्रामा शुरू हो गया. ये उसी एरिया के विधायक हैं जिस एरिया में प्रोफैसर सुरिंदर रहते हैं.’’
‘‘सुन लें, वे क्या कहते है. माफ करना डीसीपी साहब, आप इन के प्रभाव में आ सकते हैं लेकिन हम सेना के लोग नहीं आ सकते,’’ मैं ने अपनी बात रख दी.
‘‘कर्नल साहब, बेफिक्र रहें, हम भी इन के प्रभाव में आने वाले नहीं हैं. यह भयंकर अपराध है. पता नहीं, पूरे पंजाब में या पूरे देश में कितनी लड़कियां ऐसे अपराधियों की शिकार हैं और इस प्रोफैसर के विरुद्ध तो सौलिड प्रूफ हैं.’’ विधायक आए. डीसीपी साहब ने उठ कर उन का स्वागत किया. उन के प्रोटोकौल में किसी विधायक का ऐसे ही स्वागत करने की परंपरा है.
तब तक मोबाइल पर लड़कियों के मैसेज आने शुरू हो गए थे. परिचय होने के बाद चाय आई. पीतेपीते डीसीपी साहब ने पूछा, ‘‘कहिए, रवि शर्मा साहब, आज कोतवाली में आने की तकलीफ कैसे उठाई?’’ विधायक साहब मुद्दे पर आए, ‘‘डीसीपी साहब, आप ने हमारे इलाके के कालेज के प्रोफैसर सुरिंदर को पकड़ रखा हैं, केस क्या है?’’
‘‘केस अडल्ट्रेशन का है. सौलिड प्रूफ हैं गंदी और सैक्सी चैट के. 10 लड़कियों के साथ ऐसी चैट को उस प्रोफैसर ने खुद माना है. और लड़कियों के मैसेज भी आ रहे हैं. आप की लड़की भी उसी कालेज में पढ़ती है?’’
‘‘हां जी.’’
‘‘आप अपनी बेटी का नाम बताएंगे? शायद मुझे मैसेज करने वालों में आप की बेटी भी हो?’’
‘‘सुनीता शर्मा.’’
डीसीपी साहब ने मोबाइल देख कर बोला, ‘‘लीजिए, विधायक साहब, आप की बेटी ने भी मैसेज किया है. किसी प्रोफैसर ओमप्रकाश शर्मा की चैट भेजी है. कहें तो मैं आप को भेजूं? आप बरदाश्त नहीं कर पाएंगे.’’
‘‘ओमप्रकाश शर्मा तो मेरे घर का आदमी है.’’
‘‘घर के आदमी ही ऐसे काम करते हैं. जिन पर आप विशवास करते हैं वही विश्वासघात करते हैं.’’
‘‘बिटिया ने तो मुझे कुछ बताया नहीं?’’
‘‘क्या वह यह बताती कि प्रोफैसर ओमप्रकाश शर्मा उस से सैक्स करना चाहता है?’’