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मैं नया नया लैफ्टिनैंट कर्नल बन कर अरुणाचल प्रदेश की एक फारवर्ड यूनिट की कमांड करने पोस्ट हो कर आया था. मेरी पत्नी रोजी और इकलौती युवा बेटी रमना अमृतसर के अफसर सैप्रेटेड फैमिली क्वार्टर में रह रही थीं. बेटी कालेज में थी. मैं रेजिमेंट का इंस्पैक्शन करने के बाद अपने औफिस में बैठा ही था कि बेटी का मोबाइल आया, बोली, “पापा, आप को एक बार आना पड़ेगा, मैं बहुत परेशान हूं.”

“क्यों, क्या हुआ, कुछ बताओगी?”

“पापा, मैं आप को फोन पर कुछ नहीं बता सकती. बस, जान लें कि मैं बहुत परेशान हूं, कई दिनों से कालेज नहीं जा पा रही हूं. मैं आप को व्हाट्सऐप का मैसेज फौरवर्ड कर रही हूं. आप समझ जाएंगे.”

रमना का मैसेज पढ़ा, कहा, “तुम चिंता मत करो. मैं तुरंत आ रहा हूं.”

मैं ने अपने ब्रिगेड कमांडर से बात की.

उन्होंने कहा, “कम टू माई औफिस एंड टेल मी इन-पर्सन.”

“राइट सर, कमिंग.”

मैं ने कमांडर साहब को बेटी की सारी कंवरसेशन सुनाई. उन्होंने कहा, “आप चिंता मत करो. अडल्टरेशन का मामला है. ऐसा है, एक हफ्ते की छुट्टी पर जाओ और प्रौब्लम सौल्व कर के आओ. लीव ऐप्लीकेशन लिखो, मैं अभी सैंक्शन कर देता हूं. दिल्ली से अपनी फ्लाइट बुक करवा लो.”

“थैंक्स सर.”

“अमुतसर का स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर गुरमीत ग्रेवाल मेरा दोस्त है. वह आप को एयरपोर्ट से कंवेएंस और प्रशासनिक सहायता देगा. कल मैं हैलिकौप्टर से आर्मी हैडक्वार्टर, दिल्ली जा रहा हूं एक अरजेंट मीटिंग के लिए. दिल्ली तक मेरे साथ चलो. वहां से आप को एयरपोर्ट छुड़वा दिया जाएगा.”

“राइट सर, थैंक्स सर. एट व्हाट टाइम सर?”

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